गोरखपुर (ब्यूरो)।स्टूडेंट को इंटर पास करने के बाद इधर-उधर कोई ट्रेनिंग ना लेनी पड़ी इससे पहले स्कूल में ही उन्हें ट्रेंड करने का प्रयास किया जा रहा है। कई स्कूलों में तो अब जर्मन, स्पेनिश समेत कई लैंग्वेज भी सिखाई जा रही है।
आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे भी जा रहे विदेश
आरपीएम एकेडमी स्कूल के डायरेक्टर अजय शाही ने बताया कि पहले एलीट क्लास फैमिली के बच्चे ही अधिकतर विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते थे। प्रेजेंट टाइम में अगर स्टूडेंट ब्रिलियंट है, स्कूल उसके लिए रिक्रूमेंट करता है तो उसे स्कॉलरशीप भी मिलती है। उनकी पढ़ाई से लेकर रहना खाना सब फ्री हो जाता है। काफी बच्चे इस आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी विदेश गए हैं। अब तो इसका क्रेज और बढ़ गया है।
यहां पढ़ाया जाता है जर्मन भाषा
एकेडमिक ग्लोबल स्कूल के डायरेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि जर्मनी एक ऐसा देश है जो भारतीयों के लिए फ्री एजुकेशन अवेलबल कराता है। उसका कुछ मानक होता है, जिसे पूरा कर स्टूडेंट वहां एडमिशन पा सकता है। जर्मनी से ली गई डिग्री आईआईटी और आईआईएम की अपेक्षा अच्छा पैकेज दिलाती है। यही कारण है कि पूरे विश्व से 23 परसेंट स्टूडेंट जर्मनी से हायर एजुकेशन की डिग्री लेने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
यूके और अमेरिका फेवरेट डेस्टनेशन
सेंट पॉल्स स्कूल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमरीश चन्द्रा ने बताया कि स्टूडेंट का यूके और अमेरिका हायर एजुकेशन के लिए फेवरेट डेस्टनेशन है। उन्होंने बताया कि जब से दुबई में फारेन यूनिवर्सिटी का कैंपस खुला है, तब से यहां भी स्टूडेंट पढ़ाई करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक्जीक्यूटिव एजुकेशन काफी तेजी से बढ़ रही है, जिसमें बच्चे एक से दो माह का कोर्स कर रहे हैं। 12वीं के बाद इस कोर्स का उन्हें यूनिवर्सिटी और आगे की पढ़ाई में काफी फायदा मिलता है।
स्कूलों में करवाई जा रही कॅरियर काउंसिलिंग
गोरखपुर में 125 सीबीएसई और 25 आईसीएससीई स्कूल हैं। जहां पर स्टूडेंट को हर फील्ड की जानकारी दी जाती है। स्टूडेंट किस फिल्म में अच्छा है, इसके लिए उसकी कॅरियर काउंसिलिंग भी स्कूल करवाते रहते हैं। साथ ही स्कूल स्टूडेंट को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए मोटिवेटर भी बुलाते हैं।
सीबीएसई स्कूल- 125
आईसीएससीई स्कूल- 25
यूपी बोर्ड स्कूल- 489
स्टूडेंट की पसंदीदा फॉरेन कंट्री
यूके, अमेरिका, चीन, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, दुबई, रूस, कनाडा, न्यूजीलैंड
इस कोर्स का क्रेज
- एमबीबीएस, इंजीनियरिंग, पांच वर्षीय एलएलबी, होटल मैनेजमेंट, बिजनेस मैनजमेंट, कंप्युटर साइंस,
इंटर के बाद काफी बच्चे अब विदेश की तरफ रूख कर रहे हैं। अब आर्थिक कारण स्टूडेंट के लिए बाधक नहीं बन रहा है। ब्रिलियंट स्टूडेंट को स्कॉलरशिप मिलती है, जिससे उनकी पढ़ाई बिल्कुल फ्री होती है।
अजय शाही, आरपीएम एकेडमी, डायरेक्टर
स्कूल में साल 2017 से ही जर्मनी भाषा की पढ़ाई भी कराई जा रही है। जर्मनी ऐसा देश है जो भारतीय को फ्री एजुकेशन की फैसिलिटी अवेलबल कराता है। इसके लिए बच्चे भी पहले से ट्रेंड हो जाते हैं।
संजीव कुमार, एकेडमिक ग्लोबल स्कूल, डायरेक्टर
यूके और अमेरिका हायर एजुकेशन के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन है। 12वीं पास कर काफी स्टूडेंट गोरखपुर से हायर एजुकेशन की डिग्री लेने विदेश जा रहे हैं। स्कूल से पढ़ाई कर काफी बच्चे विदेश में जॉब भी कर रहे हैं।
अमरीश चन्द्रा, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सेंट पॉल्स स्कूल
स्टूडेंट को विदेश जाने से पहले पर्सनॉलिटी डेवलपमेंट और इंग्लिश लैंग्वेज की पढ़ाई करनी पड़ती है। स्कूल का प्रयास रहता है कि बच्चों की पर्सनॉलिटी पढ़ाई के दौरान ही डेवलप हो जाए।
राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज
हर साल कुछ समय के लिए स्पेन से एक टीचर आती हैं। जो बच्चों को स्पेनिश भाषा के बारे में अच्छे से बताकर बोलना भी सिखाती हैं। स्टूडेंट को अधिक से अधिक भाषा की जानकारी होनी चाहिए।
रीमा श्रीवास्तव, डायरेक्टर, स्प्रिंगर लौरेटो गल्र्स स्कूल