- कई स्कूलों ने बंद कर दी ऑनलाइन पढ़ाई
- बंद हुई पढ़ाई तो बच्चे घर में खेलने लगे वीडियो गेम
- दिन भर टीवी देख बिता रहे समय
GORAKHPUR: अभी तक ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी बच्चे उसमें व्यस्त थे। अचानक ऑनलाइन पढ़ाई भी बंद हो गई। अब बच्चे दिन भर मोबाइल और वीडियो गेम खेलने में बिजी हो गए हैं। उससे जो टाइम बचता उसे टीवी देखकर बीता रहे। हुमायूंपुर के अजय श्रीवास्तव अपने बच्चों के रूटीन से बहुत परेशान हैं। अजय का कहना है कि मेरे बच्चे लगातार जो अपना समय स्क्रीन पर बीता रहे हैं वो आगे चलकर उनकी आंखों पर गलत प्रभाव ना डाल दे और टीवी और वीडियो गेम की लत उन्हें बीमार ना बना दे ये सोचकर दिल घबराता है। ये केवल अजय की ही परेशानी नहीं है बल्कि हर घर के पेरेंट्स अपने बच्चों को डांट-डांट कर अब परेशान हो गए हैं। वे भगवान से विनती कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सबकुछ अच्छा हो और उनके बच्चे स्कूल जाना शुरू कर दें।
चुपके चुपके चोरी चोरी खेलता है गेम
इसी तरह बक्शीपुर इलाके विशाल शर्मा बताते हैं कि अभी तक ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी तब मेरा बेटा अंकित लैपटॉप से क्लास करता था। उसी दौरान उसे अब लैपटॉप चलाना और मोबाइल देखना अच्छा लगने लगा। इससे पहले वो बाहर या छत पर घूम फिरकर खेलता था। जब से ये लैपटॉप और मोबाइल की लत लगी है वो दिन भर उसे ही यूज करना चाहता है। डांट फटकार का भी उसपर बहुत असर नहीं होता है। इधर कुछ दिन से वो चुपके से मोबाइल लेकर दूसरे कमरे में चला जाता है। मैंने जाकर देखा तो पता चला कि वो चुपके चुपके चोरी चोरी वो वीडियो गेम खेल रहा था। मैने मोबाइल तो छिन लिया लेकिन वो जब भी मौका पाता है वो यही काम बार-बार करता है।
टीवी पर दिन बिता रहे बच्चे
शाहपुर इलाके के धमेन्द्र कुशवाहा बताते हैं कि उनके दो बच्चे एक बेटी जो 8 में पढ़ती है और दूसरा बेटा 6वीं में पढ़ता है। धमेन्द्र ने बताया कि जब तक स्कूल चला मेरे बच्चे कभी टीवी मोबाइल नहीं देखते थे। इधर जब कोरोना आया और घर से ऑनलाइन पढ़ने लगे तभी से उनका नेचर चेंज हो गया। अब उन्हें बाहर जाना नहीं बल्कि टीवी देखना अधिक पंसद आता है। हम लोग बोलते हैं तो वे किताब कॉपी लेकर पढ़ने लगते हैं। जैसे ही हटो फिर टीवी देखना शुरू। देर रात तक यह सिलसिला जारी रहता है। डर ये लगता है कि कहीं उनकी आंखें ना खराब हो जाएं।
स्कूलों में बंद है पढ़ाई
यूनिवíसटी और शहर के अधिकतर स्कूलों में 15 मई तक ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है कि अधिकतर घरों में कोरोना के पेशेंट हैं। ऑनलाइन पढ़ाई से और भी लोग ना डिस्टर्ब हों। जहां पहले बच्चे कॉमिक्स या और कहानी की किताबें पढ़कर अपनी छुट्टियां बिताते थे। वहीं अब के बच्चे टोटल सोशल मीडिया पर डिपेंड हो गए हैं। इससे उनके रूटीन पर भी असर पड़ रहा है। सुबह लेट-लेट तक सोना और रात में देर तक सोना उनके रूटीन में शामिल हो गया है। जो कि सेहत के लिए ठीक नहीं है। इसलिए इस समय अधिकतर पेरेंट्स बच्चों के मोबाइल, टीवी प्रेम से परेशान हैं।
कम हो जाता बच्चों का दूर दृष्टि विकास
-पहले ब्लैक बोर्ड देखते थे जो कि दूर होता था उससे दूर दृष्टि का विकास होता था।
-अब पास से मतलब बिल्कुल सामने से सबकुछ देख रहे हैं।
- स्क्रीन पर अधिक टाइम देने पर दूर की दृष्टि के विकास में कमी आ जाती है।
-आंखों में पानी की कमी होने लगती है।
-जो लोग चश्मा पहले से पहन रहे हैं उनके चश्मे का नम्बर बढ़ जा रहा है।
-अभी तक 6 से आठ साल की एज में चश्मा लगता था। अब हर ऐज में चश्मे की जरूरत पड़ रही है।
-इस समय क्लिनिक बंद होने से बच्चों की आंख भी चेक नहीं हो पा रही है।
-जब भी कोविड नार्मल होता है लोग अपने बच्चों की आंख जरूर चेक करवाएं।
-जो लोग चश्मा नहीं पहनते हैं उन्हें भी चश्मे की जरूरत पड़ जा रही है।
-किसी भी हाल में तीन घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर देना आंखों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
-बच्चों को एंटी रिफ्लेक्टेड कोटिंग ग्लासेस पहनक स्क्रीन पर काम करें।
डॉ। कमलेश शर्मा, आई स्पेशलिस्ट
बच्चों को हिंसक बनी स्क्रीन
-बिना काम के मोबाइल पर सोशल मीडिया को देखते रहना किसी को भी हिंसक बना सकता है।
-बच्चों के दिमाग पर इसका गहरा असर पड़ रहा है।
-इधर काउंसिलिंग में कई ऐसे केसेज आए जिसमे मोबाइल की लत से बच्चा घर पर खराब व्यवहार करता है।
- समाज से कटकर कोने में जगह बनाकर लगातार मोबाइल देखने से उसके अंदर समाजिकता खत्म हो जाती है।
-पेरेंट्स को बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिताना होगा।
-पेरेंट्स बच्चों के दोस्त बन उन्हें अच्छे बुरे का अहसास कराते रहे।
-एक बार बच्चे के अंदर कुछ बैठ जाएगा तो उसे निकाल पाना मुश्किल होगा।
डॉ। सुषमा पाण्डेय, साइकोलॉजिस्ट, डीडीयू