- सुबह 9 बजे से ही वोटिंग को लेकर उत्साहित नजर आए युवा वोटर्स
- यूनिवर्सिटी कैंपस में बने 28 बूथों पर 6500 से अधिक स्टूडेंट्स ने किया वोट
GORAKHPUR: डीडीयूजीयू में दस साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनाव का उत्साह वोटर्स के चेहरे पर साफ झलक रहा था। बुधवार को कैम्पस में 28 बूथ पर 6500 से अधिक स्टूडेंट्स ने वोट डाला। खास बात यह रही कि ब्वायज से ज्यादा उत्साह गर्ल्स में देखने को मिला जो बड़ी संख्या में अपने वोटिंग राइट्स को यूज करने के लिए कैम्पस पहुंची थीं। सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक लगातार वोटिंग चलती रही। इस बीच कई जगह अव्यवस्था दिखी। चुनाव के पूर्व प्रशिक्षण की कमी खली।
सुबह 8.45 बजे, दीक्षा भवन : गर्ल्स एजेंट को अपनी ड्यूटी ही नहीं पता
रिपोर्टर अपने कैमरा पर्सन के साथ डीडीयूजीयू मेन गेट होते हुए सीधे कला संकाय पहुंचा। यहां बूथ ऑफिसर्स बैलेट बॉक्स सील करते नजर आए। यहां से रिपोर्टर गर्ल्स बूथ दीक्षा भवन पहुंचा तो वहां बैलेट बॉक्स ही सील नहीं हो सका था जबकि सुबह 9 बजे से ही वोटिंग शुरू होनी थी। यहां गर्ल्स एजेंट को पता ही नहीं था कि उनकी ड्यूटी दीक्षा भवन में किसलिए लगाई गई है। कुछ एजेंट्स ने तो यहां तक कहा कि उन्हें सिर्फ मतदान स्थल तक किसी तरह पहुंचकर अपने प्रत्याशी के लिए वोटिंग का रिक्वेस्ट करना है। गर्ल्स एजेंट्स का कहना था कि वे अपने प्रत्याशी की कन्वेंसिंग के लिए आई हैं। यहीं नहीं दर्जन भर से ऊपर एजेंट्स तो सीधे मतदान स्थल वाले कमरे में घूमती हुई नजर आई। यहां की फोटो लेते ही मौके पर तैनात बूथ ऑफिसर्स और महिला पुलिस हरकत में आ गई। तुरंत सभी एजेंट्स को बाहर खदेड़ दिया। इस तरह करीब आधे घंटे देर से यानी 9.30 बजे वोटिंग शुरू हुई।
9.35 बजे, कैम्पस : गजब का उत्साह
कैम्पस में घूम रहे वोटर्स में जबरदस्त एक्साइटमेंट नजर आया। यह पूछने पर कि वोट देकर कैसा महसूस कर रहे हैं तो सभी का एक सुर में कहना था कि दस साल बाद छात्रसंघ चुनाव हो रहा है। ऐसे में वे अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल कर बहुत खुश हैं। बहुत से स्टूडेंट्स पासआउट हो गए लेकिन उन्हें यह मौका नहीं मिल पाया। सभी का कहना रहा कि उन्हें मिले वोटिंग राइट से वे खुद को खास महसूस कर रहे हैं और इसलिए आज वोट डालने पहुंचे हैं।
9.40, कैम्पस : प्लीज मेरे दोस्त को ही वोट देना
चुनाव के दौरान कई गड़बडि़यां भी नजर आई। कैम्पस के अंदर खुलेआम अपने प्रत्याशी के समर्थन में एजेंट्स वोटर्स से अपील करते नजर आए। बूथ की तरफ जाने वाले हर वोटर से एजेंट हाथ पैर जोड़कर अपने प्रत्याशी के लिए वोट डालने की रिक्वेस्ट कर रहे थे। यह सिलसिला दोपहर 3 बजे तक यूं ही चलता रहा। कैम्पस में प्रचार कर रहीं एजेंट नीति और सरिता से यह पूछने पर कि आपको यहां वोट नहीं मांगना चाहिए, पर उनका कहना था कि सब मांग रहे हैं तो वे भी मांग रही हैं। वे सभी से कह रही थीं कि प्लीजप्लीज मेरे दोस्त को ही वोट देना। हम आपके आभारी रहेंगे।
9.50 मेन गेट : उड़ते रहे पंपलेट्स
कैम्पस के अंदर एजेंट प्रचार में जुटे थे तो बाहर समर्थक हर आने-जाने वाले को अपने कैंडिडेट के नाम की पर्ची थमा रहे थे। विभिन्न संगठनों के समर्थक गर्ल्स और ब्वायज वोटर्स को रिझाने में जुटे रहे। इस दौरान आदर्श आचार संहिता की धज्जियां भी खूब उड़ाई गई। मेन गेट पर भी हवा में पंपलेट्स उड़ाए जाते रहे। यह सब पुलिस की मौजूदगी में होता रहा लेकिन वह तमाशबीन देखती रही।
एसपी सिटी ने खदेड़ा
दोपहर 12 बजे एसपी सिटी हेमराज मीणा, सीओ कैंट अभय मिश्रा और कैंट प्रभारी ब्रृजेश वर्मा अपनी टीम के साथ यूनिवर्सिटी चौराहे पर पहुंचे तो नारेबाजी और पंपलेट बांटने वालों को पहले तो प्यार से समझाया लेकिन नहीं मानने पर एनाउंसमेंट करके सभी को खदेड़ा।
डीएम बोलीं, आईकार्ड दिखाओ
डीएम संध्या तिवारी व एसएसपी रामलाल वर्मा चुनाव का जायजा लेने कैंपस में पहुंचे तो भीड़ देखकर हैरान रह गए। डीएम ने सभी से आईकार्ड दिखाने को कहा। इसी बीच उनकी नजर एक प्रत्याशी पर पड़ी। प्रत्याशी के गले में पार्टी का गमछा देखकर एसएसपी ने उसे हटाते हुए प्रचार न करने की चेतावनी दी। कैम्पस में चल रही कैपेनिंग पर अधिकारी हैरान रह गए। न सिर्फ प्रत्याशी समर्थक हाथ जोड़ वोट मांग रहे थे बल्कि कई तो वोटर्स के पैर ही पड़ जा रहे थे।
सारा शहर कर दिया गंदा
डीएम व एसएसपी राम लाल वर्मा सेकेंड राउंड में दीक्षा भवन पहुंचे। डीएम बोलीं कि यहां कितनी गंदगी है। पानी पीकर ग्लास फेंक दिए हैं। पूरे शहर में गंदगी भर दी है। छात्र नेताओं ने जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगाकर और पंपलेट्स फेंककर शहर को गंदा कर दिया है। देश का भविष्य कहीं शहर गंदा करते हैं क्या? यह तो गलत है। गंदगी पर अपनी नाराजगी जताते हुए वे दीक्षा भवन के भीतर काउंटिंग को लेकर मीटिंग के लिए चली गईं।
सुबह-सुबह जबरदस्त बारिश हो रही थी, लेकिन हमने पहले ही मन बना लिया था कि आंधी आए चाहे तूफान, वोट डालने तो जाएंगे जरूर। मैंने अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल किया है। मुझे काफी अच्छा लगा।
- शुभ्रा दुबे
छात्रसंघ राजनीति की पहली पाठशाला है। इसलिए दस साल बाद हो रहे इस चुनाव को लेकर जबरदस्त एक्साइटमेंट है। हम सब अपने फ्रेंड्स के साथ आए हैं। अपने वोटिंग राइट का इस्तेमाल किए।
पूजा
सुबह दस बजे ही मैं आ गई थी। बूथ तक पहुंचने में कोई दिक्कत भी नहीं हुई। यूनिवर्सिटी की तरफ से ऐसी व्यवस्था की गई थी कि पूछिए मत। अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि जो समस्याएं यूनिवर्सिटी में है, वे दूर हो जाएं।
विजय लक्ष्मी
पहली बार मैंने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल किया है। एक्साइटेड हूं। फॉर्म भरने से लगाए मतपेटिका के इस्तेमाल तक का एक अलग ही अनुभव मिला। छात्रसंघ चुनाव से काफी कुछ सीखने को भी मिला।
- मनीष जायसवाल
राजनीति क्या होती है, वह छात्रसंघ चुनाव में देखने को मिला। अपने वोटिंग राइट्स के इस्तेमाल को लेकर जो एक्साइटमेंट है, वह मैं बयां नहीं कर सकती। यह कोशिश रही कि हर हाल में वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल जरूर कर लूं।
लक्ष्मी तिवारी
सोमवार की देर रात से जबरदस्त बारिश हो रही थी। मुझे तो यही लग रहा था कि बारिश होने के चलते मैं वोट नहीं कर सकूंगी लेकिन भगवान ने भी हम छात्रों की सुन ली। सुबह जब मौसम साफ हुआ तो जान में जान आई। सुबह 10 बजे मैंने अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल किया।
दिव्या रावी
वोटिंग के लिए तो आना ही था। इसलिए हम सभी ने पहले से ही प्लान बना लिया था। काफी अच्छा अनुभव रहा। पहली बार मैने छात्रसंघ चुनाव में वोट दिया है।
अंशु यादव