गोरखपुर (ब्यूरो)।नगर निगम में बने इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के कंट्रोल रूम में ऐसी भी शिकायतें आ रही हैं। जिसे सुनकर कंट्रोल रूम में ड्यूटी कर रहे कर्मी हैरत में पड़ जा रहे हैं। पब्लिक को आपातकाल स्थित में मदद के लिए चौराहों पर इमरजेंसी काल बॉक्स (ईसीबी) लगाए गए। जिसमे झाड़ृ, चप्पल, मिठाई के साथ ही दाल और सब्जी छूटने की भी शिकायतें आ रही हैं।
डेली आती हैं 20 से 25 शिकायतें
रेग्युलर लोगों की 20 से 25 शिकायतें चौराहे पर लगे इमरजेंसी कॉल बॉक्स (ईसीबी) के जरिए आईटीएमएस तक आती है। जिनकी जांच करके पुलिस लोगों के गायब हुए सामान खोजने में मदद करती है। शहर के 21 चौराहों को आईटीएमएस से लैस किया गया है। हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरा, लाउडस्पीकर, ईसीबी और पेडेस्ट्रियन पुश बटन (पैदल यात्रियों के लिए बटन) लगा है। ईसीबी की मदद से रोजाना ही लोग अपनी शिकायत आईटीएमएस के कंट्रोल रूम तक पहुंचाते हैं।
इस तरह काम करता है ईसीबी
चौराहों पर इमरजेंसी कॉल बॉक्स (ईसीबी) लगाया गया है। इसमें सेव आवर सोल्स (एसओएस- हमें बचाओ) बटन को दबाकर किसी इमरजेंसी (आपातकाल) में सूचना दर्ज कराई जा सकती है। जैसे यदि किसी व्यक्ति का मोबाइल फोन खो गया या किसी वाहन में सामान भूल गया तो वह चौराहे पर लगे ईसीबी के लाल बटन को दबाकर सूचना दे सकता है। इस बॉक्स की मदद से लूट, छेडख़ानी और मारपीट सहित अन्य सूचनाएं भी दी जा सकती हैं। दुर्घटना की स्थिति में मौके पर सरकारी एंबुलेंस भेजने की व्यवस्था है। तत्काल मदद पहुंचाए जाने के लिए ही इसे जगह-जगह लगाया गया है।
सड़क पार करने के लिए भी कर सकते यूज
आईटीएमएस संचालित चौराहों पर पेडेस्ट्रियन पुश बटन बॉक्स (पैदल सड़क पार करने वाले लोगों के लिए बटन) भी लगाया गया है। इससे ट्रैफिक सिग्नल लाइट कंट्रोल किया जा सकता है। हर चौराहे पर पीले रंग का बॉक्स लगा है, जिसमें लाल बटन दिया गया है, जिसे दबाने पर सड़क पार करने की तरफ की ट्रैफिक लाइट लाल हो जाती है। इससे आसानी से सड़क पार किया जा सकता है। बटन दबाने पर 20 सेकेंड तक सिग्नल लाल रहता है। इतनी देर में कोई भी पैदल यात्री आराम से जेब्रा क्रॉसिंग से होकर सड़क पार सकता है।
इमरजेंसी कॉल बॉक्स (ईसीबी) के जरिए जैसे ही सूचना मिलती है तो फौरन टीम एक्टिव हो जाती है। ऑटो में सामान के साथ ही बहुत लोग कैश भी भूल जाते है। सूचना मिलने के बाद ऑटो सर्च कर खोया बैग या पैसा वापस दिलाया जाता है।
- डॉ। एमपी सिंह, एसपी ट्रैफिक