- नगर निगम में टेबल के नीचे हो जाते हैं सारे काम

- पब्लिक को आती है ढेरों दिक्कतें, बहुत टाइम होता है बर्बाद

GORAKHPUR : नगर निगम में डेली सैकड़ों लोग अपना काम कराने के लिए लाइन लगाते हैं। पब्लिक की सहूलियत के लिए निगम में डिफरेंट काउंटर्स पर अधिकारी-कर्मचारी बैठते हैं। आई नेक्स्ट ने मंडे को नगर निगम के दो सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले काउंटर्स पर जाकर स्टिंग ऑपरेशन किया। मकसद था कि ये देखा जाए कि एक आम आदमी को अपना काम कराने के लिए कितना समय लगता है। अधिकारी उससे किस तरह पेश आते हैं और करप्शन का काला साया यहां पर कितना स्याह है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र और हाउस टैक्स काउंटर पर जाकर एक आम आदमी की तरह लाइन में लगकर सारी प्रकियाएं पूरी की। हमारे इस स्टिंग में एक बात साफ हो गई कि अगर आपके पास सारे पेपर्स नहीं है तो भी आपका काम रिश्वत देकर हो जाएगा। जितना ज्यादा पैसा आप देंगे, उतनी जल्दी आपका काम हो जाएगा। अपनी प्रॉब्लम के सॉल्युशन के लिए आपको चक्कर तो लगाने ही पड़ेंगे। यही नहीं, अगर आपने शिकायत की तो वो कब सॉल्व होगी, इसका कोई भरोसा नहीं।

सीन क्

प्लेस- नगर निगम का जन्म मृत्यु कार्यालय

हाल-ए-सॉल्युशन - रिपोर्टर करीब क्ख् बजे नगर निगम पहुंचा। मौके पर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जांच अधिकारी भोला प्रसाद नहीं मिले। उनसे मोबाइल पर संपर्क किया गया। रिपोर्टर और भोला के बीच जो बातचीत हुई, वो इस प्रकार है।

रिपोर्टर- हमें जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना है।

भोला - फार्म लेकर भरें और उसमें आईडी प्रूफ लगाएं।

रिपोर्टर- कितना पैसा लगेगा?

भोला - यदि नियम के तहत बनवाते हैं तो ख्0 रुपए चार्ज लगेगा।

रिपोर्टर- मेरे पास डॉक्युमेंट्स नहीं है, लेकिन काम जरूरी है।

भोला- यदि बिना पेपर दिए बनवाना चाहते हैं तो क्भ्0 रुपए लगेंगे।

रिपोर्टर- कितने देर में सर्टिफिकेट मिल जाएगा?

भोला - दो बजे के बाद आइए, सटिफिकेट मिल जाएगा।

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प्लेस- नगर निगम का टैक्स विभाग

हाल-ए-सॉल्युशन - रिपोर्टर करीब क्ख्.फ्म् बजे नगर निगम के टैक्स विभाग पहुंचा। यहां टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत धनवंत सिंह से रिपोर्टर ने हाउस टैक्स में नाम चेंज कराने को लेकर बात की। जो बातचीत दोनों के बीच हुई, वो इस प्रकार है।

रिपोर्टर- सर, हमें हाउस टैक्स में नया नाम दर्ज कराना है।

धनवंत सिंह- हाउस टैक्स बिल या जमीन का पेपर है?

रिपोर्टर- नहीं, मेरे पास कोई पेपर नहीं है।

धनवंत सिंह- पेपर लेकर आइए, तभी बात की जाएगी।

रिपोर्टर- सर, नाम दर्ज कराने के लिए बहुत दौड़-भाग करनी पड़ी है। अगर कुछ मदद हो जाती तो काम बन जाता।

धनवंत सिंह- जब तक पेपर नहीं देखेंगे, कैसे बता पाऊंगा कि क्या करना है।

रिपोर्टर- सर, इतना बता दीजिए कितना पैसा लगेगा?

धनवंत सिंह- अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। पेपर लेकर आइए, तब बात करेंगे।

(आधे घंटे बाद रिपोर्टर ने धनवंत सिंह को फोन किया। फिर रिपोर्टर टैक्स विभाग पहुंचा.)

रिपोर्टर- सर, हाउस टैक्स में नाम बदलने के लिए कौन-कौन से पेपर लगेंगे।

कर्मचारी- पिता की मौत हो गई हो तो मृत्यु प्रमाण पत्र, हाउस टैक्स का बिल, आईडी लगेगीे। सभी पेपर होंगे, तभी कुछ हो पाएगा।

नोट- इन दोनों कनवर्सेशन की रिकॉर्डिग आई नेक्स्ट के पास है.्र

प्रॉब्लम है तो लगाते रहिए चक्कर

नगर निगम में दसियों विभाग हैं। इनमें पब्लिक एडि़यां घिसती रह जाती है, लेकिन काम नहीं होता। आइए आपको बताते हैं नगर निगम के विभागों और उनमें शिकायतों पर होने वाली कार्रवाई के बारे में।

सिटीजन चार्टर

- ब्भ् दिन में नामांतरण हो जाना, शुल्क भ्0 रुपए

- अगर एक सप्ताह से कम उम्र का बच्चा है तो 7 दिन में बर्थ सर्टिफिकेट, नहीं तो क्भ् दिन, शुल्क ख्0 रुपए

- ख्क् दिन में मृत्यु प्रमाण पत्र, शुल्क ख्0 रुपए

- एक सप्ताह में रोड निर्माण के लिए इस्टीमेट

- कंप्लेन करने के म् घंटे में सफाईकर्मी की उपस्थिति

- फ्0 दिन में आरटीआई का जवाब

- जलकल में कंप्लेन पर क्ख् घंटे में कार्रवाई

जलकल-

नगर निगम के जलकल विभाग से सभी त्रस्त हैं। स्थिति यह है कि कई बार कंप्लेन करने के बाद हंगामा तक हो जाता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। सिटी के कई एरियाज में अक्सर गंदे पानी की सप्लाई होती रहती है।

सफाई-

नगर निगम का मूल कार्य है सफाई, लेकिन पब्लिक गंदगी को लेकर ऑफिस में कंप्लेन करती रह जाती है। सिटी के कुछ एरिया को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश एरिया में हफ्तों तक कूड़ा उठता ही नहीं है।

निर्माण विभाग-

नगर निगम के निर्माण विभाग में काम करवाने के लिए आम आदमी की चप्पल घिस जाती है, लेकिन काम नहीं होता। सिर्फ आश्वासन मिलता है। सिटी की दर्जनों सड़कें आज भी टूटी हुई पड़ी हैं, पब्लिक कंप्लेंट का कोई असर नहीं होता।

पथ प्रकाश-

सिटी में इस समय ख्0 हजार से ख्भ् हजार स्ट्रीट प्वाइंट या तो ख्ब् घंटे बंद रहते हैं या दिन में भी जलते रहते हैं। करोड़ रुपए खर्च होते हैं, लेकिन बिजली की बरबादी समाप्त नहीं होती है। पब्लिक कंप्लेंट का कोई असर नहीं होता।

जनसूचना कार्यालय

नगर निगम के सूचना विभाग में पब्लिक की कौन कहे, पार्षदों की भी नहीं सुनी जाती है। पब्लिक सूचना मांगती है, लेकिन महीनों तक जवाब नहीं मिलता। सूचना विभाग के कर्मचारियों का एक ही जवाब होता है कि विभाग में अप्लिकेशन भेज दी गई है, वहां से आने पर जवाब दे दिया जाएगा।

न हो काम तो यहां करें कंप्लेंट

नगर निगम हेल्पलाइन- 0भ्भ्क्-ख्ख्00ब्भ्0, 7म्0700फ्म्9ख्

मेयर- 7म्0700फ्म्00

नगर आयुक्त- 7म्0700फ्70क्

क्या कहते हैं जिम्मेदार

पब्लिक को अगर किसी तरह की कोई समस्या आती है तो सीधे मेरे ऑफिस आकर शिकायत कर सकते हैं। अगर कोई भी कर्मचारी पैसा मांगता है या बेवजह दौड़ाता है तो मेरे मोबाइल नंबर 7म्0700फ्म्00 पर कंप्लेंट कर सकते हैं।

डॉ। सत्या पांडेय, मेयर

किसी भी जनहित कार्य के लिए सरकारी चार्ज और समय निर्धारित है। इससे अधिक चार्ज वसूलने पर या काम को टरकाने के लिए हमारे पास रिटेन या मौखिक कंप्लेंट की जा सकती है। कंप्लेन मिलने के बाद तत्काल जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी। जो भी अधिक पैसे की मांग किया है, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त