- बदमाश हो गए अरेस्ट, दारोगा को पता नहीं

- एसएसपी ने लिया संज्ञान, शुरू हुई जांच पड़ताल

GORAKHPUR:

केस एक:

सहजनवां थाना में बाइक लूट का एक मुकदमा दर्ज हुआ। हरपुरबुदहट थाना की पुलिस ने एक बदमाश को अरेस्ट किया। उसके पास से लूट की बाइक बरामद हुई। इसकी जानकारी सीनियर अफसरों को दी गई। अफसरों ने भी बदमाश से पूछताछ किया। फिर पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। गजब तो तब हो गया जब सहजनवां के विवेचक ने रिपोर्ट लगाई। रिपोर्ट में अफसरों को बताया कि घटना का खुलासा नहीं हुआ।

केस दो:

खजनी एरिया में एक मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने आरोपी मुल्जिम को जेल भेज दिया। गोला पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ कार्रवाई करके जेल भेज दिया। माल मुकदमाती भी बरामद हुआ। इस मामले में भी विवेचक ने मजाक बना दिया। ट्रांसफर होने पर उल्टी सीधी रिपोर्ट लगाकर चलते बने। फाइल अफसरों के पास पहुंची तो माथा पीट लिया।

ये दो उदाहरण इतना बताने के लिए काफी हैं मुकदमों की विवेचना किस तरह से हो रही है। हर स्तर पर समीक्षा होने के बावजूद मामलों का कबाड़ा किया जा रहा है। दारोगाओं की लापरवाही से बदमाशों को लाभ मिल रहा है। पुलिस इसी तरह से काम करेगी तो वारदातों पर अंकुश कैसे लग सकेगा। यह सवाल अफसरों को भी परेशान कर रहा है। एसएसपी का कहना है कि मामले की जानकारी हुई। लापरवाही के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कराई गई है।

मुकदमों में लापरवाही पड़ रही भारी

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि अभियुक्तों की गिरफ्तारी, उनके पास बरामद माल और लिखापढ़ी में मामूली लापरवाही का बढ़ा नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार मुल्जिमों को विवेचना में लापरवाही का लाभ मिल जाता है। ऐसे में क्राइम कंट्रोल के लिए बड़ी चुनौती सामने आती है। पकड़े गए बदमाश पुलिस की गलती का फायदा उठाकर जल्दी जेल से छूट जाते हैं। उनके मुकदमों के पैरवी में परेशानी आती है। इसके अलावा कई बार अन्य ड्यूटी की वजह से दारोगा विवेचना नहीं कर पाते हैं। कभी- कभी ट्रांसफर होने पर दारोगा आननफानन में रिपोर्ट लगा देते हैं। ऐसे में कई बार पुलिस की छिछालेदर होती है।

दो मामलों में गड़बड़ी सामने आई है। इन दोनों की जांच की जा रही हे। विवेचना में लापरवाही का सीधा फायदा अपराधियों को मिलता है। इसलिए लिखापढ़ी में सावधानी बरतनी चाहिए।

ब्रजेश सिंह, एसपी ग्रामीण