- सोशल मीडिया यूजर्स ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
- लाखों पोस्ट्स कर सोशल मीडिया ने दिखाई ताकत, मनाया इंडिपेंडेंस डे
GORAKHPUR : फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट्स के यूजर्स के लिए ट्यूज्डे इंडिपेंडेंस डे जैसा रहा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) एक्ट के सेक्शन म्म्ए को अनकांस्टीट्यूशनल डिक्लेयर करने के बाद सोशल नेटवर्किग साइट्स ऐसे पोस्ट्स से पट गई। लोगों का कहना था कि सरकार ने फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को छीनने की तैयारी तो पूरी की थी, लेकिन कोर्ट में उसे मुंह की खानी पड़ी। किसी ने इसे संविधान की जीत बताया तो किसी ने इतिहास का नया अध्याय। हालांकि चुटकी लेने वालों ने इसे भी नहीं बख्शा। एक यूजर ने ट्वीट किया कि 'कुछ गलत पोस्ट करके टेस्ट करूं क्या? कहीं ये क् अप्रैल का गिफ्ट तो नहीं?' सोशल मीडिया साइट्स पर सरकार को चिढ़ाने वालों की बल्ले-बल्ले हो गई। सुबह आए फैसले के बाद फेसबुक, ट्विटर पर पूरे दिन लाखों पोस्ट की गई जिनमें म्म्ए हैशटैग का यूज किया गया।
हम आजाद देश के वासी हैं। हमें अपनी पूरी बात कहने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल साइट्स पर अपने मन का विचार रखने की छूट दी है और इसे अपराध की श्रेणी से खत्म कर दिया है। इससे अब हर भारतीय नागरिक अपने विचारों को लोगों के बीच बता सकेगा।
आशीष छापरिया, बिजनेसमैन
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर हमें आजाद होने का एहसास कराया है। अगर हम अपनी बातों को सोशल साइट्स पर भी नहीं कह सकेंगे तो आजादी कैसी। सोशल साइट्स पर सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
डॉ। अमित गोयल
सोशल साइट्स पर सभी को अपनी बात कहने का अधिकार होना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट के आए आदेश के बाद ये अधिकार मिल जाएगा जिससे अब हर कोई किसी मुद्दे पर अपना मत रख सकेगा।
राजीव गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा म्म्ए खत्म कर दी है। यह फैसला बहुत ही अच्छा है। इससे अब सोशल साइट पर अपना मत रखना आसान होगा। क्योंकि एक मुद्दे पर सभी के मत अलग-अलग होते हैं। हमारा देश आजाद है, सभी को अपना मत रखने का अधिकार है।
डॉ। आंचल बनर्जी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोशल साइट पर लिखने पर कोई बैन नहीं होगा। अब हर मुद्दे पर हर शख्स अपनी सोच को रख सकेगा। फिर चाहे वह उसके पक्ष में हो या विपक्ष में। अब पुलिस इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकेगी।
आशीष अग्रवाल