गोरखपुर (ब्यूरो)। एकलौती महिला शायर नुसरत अतीक गोरखपुर ने ये माना बुझ चुका है। ये तो लेकिन, अभी इस दिल में चिंगारी बहुत है। नज्म से युवाओं का ध्यान आकृष्ट किया। युवा कवियित्री आकृति विज्ञा अर्पण ने सुनो बसंती हील उतारो, अपने मन से कील उतारो सुनाकर समा बांध दिया। इनके अलावा वीरेंद्र मिश्र, दीपक जलाल समानी, चेतना पांडेय, विनय दीक्षित, नसीम सलेमपुरी ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। प्रोग्राम का शुभारंभ संयोजक और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो। अनिल राय, प्रो। रजीउर्रहमान, डॉ। कलीम कैसर, प्रो। शोभा गौड़ और प्रो। नंदिता आईपी सिंह ने दीप जलाकर किया।
युवा रचनाकारों ने भी बांधा समा
बता दे, कवि सम्मेलन का आयोजन दो सत्रों में किया गया। पहले सत्र में यूनिवर्सिटी के रोहन मिश्र, आंकाक्षा, अंशुमान, आदर्श, यशवंत, राजीव प्रताप सिंह, शमसुद्दीन, अमरेंद्र विश्वकर्मा, क्षितिज, ज्ञानेश और अमरेश्वर पांडेय ने अपनी अपनी रचनाओं को सुनाकर समा बांध दिया। प्रोग्राम का संचालन आकृति विज्ञा अर्पण ने किया। वहीं दूसरे सत्र का संचालन डॉ। कलीम कैसर ने किया। जिसमें शहर के ख्यातिलब्ध कवियों और शायरों ने महफिल को जमाया।