कौन गंदा कर रहा शहर

- शहर में अवैध तरीके से बड़ी संख्या में लगाई गई हैं छोटी होर्डिग्स

- नगर निगम का दावा, हम कार्रवाई करते हैं, वे फिर टांगकर चले जाते हैं

GORAKHPUR: शहर में जहां-तहां बड़ी संख्या में लगाई गई होर्डिग्स को देखकर ऐसा लगता है कि अपना चेहरा चमकाने के लिए शहर को गंदा करने पर लोग जैसे आमादा ही हो गए हैं। इनमें भी छोटी होर्डिग्स तो हर गली, चौक-चौराहे पर टंगी नजर आ जाती है। यहां तक कि इससे न तो बिजली-टेलीफोन के पोल बचते हैं और न ही दीवारें। जहां जगह दिख गई, वहीं टांग लिया। मनमाने तरीके से लगाई गई होर्डिग्स से शहर की जगह सिर्फ होर्डिग्स ही नजर आती हैं।

पोल हो जाते हैं खराब

बिजली विभाग के एसडीओ प्रमोद जायसवाल का कहना है कि शहर में ज्यादातर पोल होर्डिग्स वगैरह की वजह से खराब हो जाते हैं। रुस्तमपुर से नौसड़ के बीच 80 पोल लगे हैं। हर साल एक से दो पोल बदलने पड़ जाते हैं। पोल पर बांधे गए होर्डिग्स की वजह से अक्सर पोल टूट जाते हैं। होर्डिग्स के कारण पोल पर पानी व धूल जमा होता है। इसी के साथ खतरनाक धुएं से बहुत ही जल्द पोल पर जंक लग जाती है। जिससे पोल कमजोर हो जाते हैं और कभी किसी बस या वाहन की हल्की टक्कर से मुड़ या टूट जाते हैं।

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नगर निगम को होता है नुकसान

नगर निगम के विज्ञापन विभाग के बाबू दीपक श्रीवास्तव का कहना है कि जहां-तहां लगा दिए गए इन छोटी होर्डिग्स की वजह से काफी नुकसान होता है। नगर निगम को पहले तो इससे एक रुपए की भी आय नहीं होती। वहीं जिस स्ट्रीट लाइट पर इसे बांधने के क्रम में कई बार तार टूट जाते हैं। जिसके कारण स्ट्रीट लाइट को सही करने में नगर निगम को पैसा खर्च करना पड़ता है। संस्था या नेता को केवल होर्डिग बनवाने का खर्च पड़ता है। ऐसे में वह साल में कई बार लगाते हैं। अगस्त में एक बार नगर निगम की टीम ने रेलवे स्टेशन से बस स्टेशन होते हुए छात्र संघ तक छोटे-छोटे होर्डिग हटाया था। वे बताते हैं कि रात नौ बजे से 11 बजे तक यह अभियान चला था। रात 11 बजे लौटते वक्त रेलवे स्टेशन पर चाय पीने जा रहे थे तो देखा कि जिस कोचिंग संस्थान की सबसे अधिक होर्डिग हटाई गई थी, उसके लोग फिर से होर्डिग्स टांगना शुरू कर दिए थे। नगर निगम जब कभी इन होर्डिग्स को हटवाता है, संबंधित लोग फिर से होर्डिग्स लगवा लेते हैं।

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एक के ऊपर एक लदे

शहर की मेन सड़क या गली में बिजली और स्ट्रीट लाइट के लिए हजारों पोल लगे हुए हैं। लगभग 95 प्रतिशत पोल पर छोटी-छोटी होर्डिग्स लगी हैं। यहां कमाल यह है कि जिस नेता या संस्था के लोग जिस दूसरे नेता या संस्था को देखना पंसद नहीं करते, उनकी होर्डिग्स के ऊपर अपनी होर्डिग्स लटकाते हुए संकोच नहीं करते। सबकी होर्डिग्स एक के ऊपर एक लदी हुई हैं। कई बार तेज हवा में होर्डिग्स किसी पर गिर जाती है और लोग घायल भी हो जाते हैं।

मोहद्दीपुर

इस चौराहे पर लगभग 7 बिजली के और चार स्ट्रीट लाइट के पोल लगे हुए हैं। एक पोल पर कम से कम पांच से छह छोटी-छोटी होर्डिग्स लगी हैं। कई बार होर्डिग देखने के चक्कर में लोग एक दूसरे से टकरा भी जाते हैं।

पैडलेगंज

सिटी के एंट्री प्वाइंट पैडलेगंज चौराहे पर भी यही हालत है। यहां बिजली के और स्ट्रीट लाइट के 10 के लगभग पोल लगे हैं। इन पोल पर भी नेता, छात्र नेता से लेकर कोचिंग संस्था तक के लोग टंगे हुए हैं। छात्रसंघ चुनाव हुए 2 माह से अधिक हो गए लेकिन छात्रनेताओं की होर्डिग्स पोल पर अब तक भार बनी हुई हैं।

छात्रसंघ चौराहा से कचहरी चौराहा

छात्रसंघ चौराहा से कचहरी चौराहा तक स्ट्रीट लाइट के 45 खंभे लगे हुए हैं। प्रत्येक खंभे पर नेता लोगों की चार से पांच होर्डिग्स लगी हैं। इस रोड पर सबसे अधिक होर्डिग स्नातक निर्वाचन वाले एक नेताजी और कुछ कोचिंग संस्थाओं की हैं।

कोट्स

पोल पर होर्डिग लगे होने के कारण कई बार दुर्घटना हो जाती है। जुलाई माह में हम लोग सेडिका के सामने खड़े थे। एक दोस्त पोल पर हाथ रखे था कि अचानक उसके हाथ पर एक होर्डिग गिर गई। जिससे उसके हाथ में चोट लग गई थी।

- राहुल कुमार, स्टूडेंट, बीए

शहर में बहुत अधिक होर्डिग्स लगी हैं। मोहल्लों में तो जब हवा चलती है कि तो हम लोग डर जाते हैं कि कहीं कोई होर्डिग शरीर पर न गिर जाए। वहीं होर्डिग्स हवा में उड़कर कई बार लोगों के घर के तार तोड़ देती हैं, जिसके बाद रुपए खर्च कर फिर से लाइन ठीक करानी पड़ती है।

- सोनू कुमार, प्राइवेट सर्विसमैन