- अपनी खूबियों से सिंगल गर्ल्स चाइल्ड कॉन्सेप्ट को अपनाने पर पैरेंट्स को मजबूर किया बेटियों ने
- छोटेकाजीपुर निवासी नाव्या पैरेंट्स की है लाडली, नहीं मानते बेटे से कम
GORAKHPUR: कभी बेटे को ही वंश चलाने वाला व कुल का चिराग बताने वाले अब बेटियों की अहमियत समझने लगे हैं। बेटियों ने अपनी खूबियों से खुद को साबित कर अपने लिए चाहत पैदा की है। यही कारण है कि अब नया जमाना उन्हें सलाम कर रहा है। सिटी में भी कुछ ऐसे कपल्स हैं जो बेटे से अधिक तवज्जो बेटी को देते हैं। आपको मिलवाते हैं सिंगल गर्ल्स चाइल्ड का कॉन्सेप्ट अपनाने वाले छोटे काजीपुर निवासी सिद्धार्थ आस्थाना और उनकी पत्नी अनुभूति आस्थाना से जिनके लिए उनकी बेटी नाव्या ही सबकुछ है।
पता था बेटी ही होगी
ज्यादातर लोगों को पहली संतान के रूप में बेटे की ही चाहत होती है लेकिन सिद्धार्थ आस्थाना और अनुभूति की शुरू से ही सोच थी कि उनकी पहली और आखिरी संतान बेटी ही हो। सिद्धार्थ और अनुभूति बताते हैं कि वे तो बिटियां के जन्म से ही पहले उसका नाम सोच चुके थे। संयोग से दंपति को पहली संतान के रूप में बेटी पैदा हुई। फैमिली में डॉ। संत प्रकाश आस्थाना और रीता आस्थाना ने भी उनके फैसले का सम्मान किया। परिवार के लोगों ने बिटिया को सहर्ष अपनाया।
सबकी है दुलारी
सिटी में बिजनेस करने वाले सिद्धार्थ व अनुभूति को कभी इससे कोई फर्क नहीं पड़ा कि उन्हें सिर्फ बेटी ही है। कक्षा सात में पढ़ने वाली उनकी 11 साल की बेटी नाव्या के साथ वे बेहद खुश हैं। उन्हें इस बात की खुशी है कि समाज की परिपाटी बदलने और इतने कठिन फैसले को लेकर वह नजीर बन गए। परिवार से जुड़े लोगों ने दूसरी संतान की सलाह भी दी, लेकिन दंपति ने मना कर दिया। सिद्धार्थ का कहना है कि बेटियां कई मायनों में बेटों से बेहतर होती हैं। वह अपने मां-बाप के ज्यादा नजदीक रहती हैं। बेटियां भी उन उम्मीदों पर खरी उतर रहीं हैं जिनकी उम्मीद किसी भी मां-बाप को बेटों से होती है। इसलिए वह लोग बेटी को पाकर बेहद खुश हैं।
होती हैं ज्यादा केयरिंग
सिद्धार्थ बताते हैं बेटी न सिर्फ एक घर को जोड़ती हैं बल्कि दो घरों को जोड़ती हैं, सदियों से चलती चली आ रही परंपरा को भी बेटियां ही निभाती हैं। केयरिंग के प्वाइंट ऑफ व्यू से बेटे से ज्यादा बेटियां ही केयर करती हैं। लिटिल फ्लावर धर्मपुर में पढ़ रही नाव्या आस्थाना को भी अपने मम्मी-पापा से बेहद प्यार है। उसे म्यूजिक और स्वीमिंग का भी इंट्रेस्ट है। उसे खुशी है कि पैरेंट उसके इंट्रेस्ट का भी ख्याल रखते हैं।