- आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में गोरखपुराइट्स ने बेबाकी से रखे विचार
- सिंगल गर्ल चाइल्ड कॉन्सेप्ट को फॉलो करने वाले लोगों को प्रमोट करने पर रहा फोकस
- बेटियों को एग्जाम्पल के रूप में रखकर लोगों ने शेयर किए विचार
GORAKHPUR: बेटियां, जिनका अहसास ही पेरेंट्स को बल देता है, उनके बारे में यह सोचना कि वे पैरेंट्स का सहारा नहीं बन सकती या कुल का मान नहीं बढ़ा सकती, गलत है। बेटियों के लिए दुनिया को अपनी सोच बदलनी होगी। इकलौती बेटी क्या कर सकती है, जिन्हें यह देखना है तो साइना नेहवाल की तरफ निगाह उठाकर देख लें, जवाब उन्हें मिल जाएगा। बेटियां किसी भी फील्ड में किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज ग्रुप डिस्कशन में सिटी के रिनाउंड लोगों ने सिंगल गर्ल्स चाइल्ड्स कांसेप्ट पर बेबाकी से ये बातें रखीं। इस दौरान यह बात सामने आई कि सिंगल गर्ल चाइल्ड का कॉन्सेप्ट जिसने भी फॉलो किया है, अब उन्हें प्रमोट करने की जरूरत है।
ताकि फील न हो इनसिक्योरिटी
डिस्कशन में यह बात सामने आई कि सिर्फ डर की वजह से ही लोग बेटों को प्रिफर करते हैं। अगर प्रशासन और पुलिस थोड़ा एक्टिव रहे और गर्ल्स के साथ हो रहे क्राइम को कंट्रोल कर लिया जाए, तो पेरेंट्स को सिंगल गर्ल रखने में जरा सा भी हिचकिचाहट नहीं होगी। वहीं जिन घरों में लड़के हैं, वहां पेरेंट्स लड़कों पर कंट्रोल रखें। क्योंकि अक्सर यह देखा जाता है कि घर वाले बेटियों पर फोकस तो रखते हैं कि वह कहां जा रही है? क्या कर रही है? मगर अपने लड़कों पर वह बिल्कुल ध्यान नहीं देते। इस वजह से भी ईव टीजिंग की घटनाएं होती हैं और गर्ल्स के साथ क्राइम होता है। इसे रोकने की जरूरत है।
कोट्स
पहले यह कॉन्सेप्ट था कि कौन मरने के बाद आग कौन देगा? कौन वंश चलाएगा। मगर अब ऐसा नहीं है। जमाना बदल चुका है। जो काम लड़के करते हैं आज वहीं काम बेटियां भी कर लेती हैं। लड़के मां-बाप को छोड़ भी देते हैं, लेकिन बेटियां ससुराल जाने के बाद भी अपने पेरेंट्स को नहीं भूलतीं। वह काफी सिंसीयर और रिस्पांसफुल होती हैं। लोगों को अब यह समझ लेना चाहिए कि उनकी जो भी एस्पेक्टेशंस हैं, वह बेटियां भी पूरा कर सकती हैं।
- कमल किशोर गुप्ता, बिजनेसमैन
हमारे पांच भाई थे, हमारी कोई सिस्टर नहीं थी। तो शुरुआत से ही बहन की कमी खलती थी। मैंने यह सोच लिया था कि बेटी ही चाहिए और भगवान ने मेरी यह ख्वाहिश पूरी कर दी। आज मेरी बेटी ही मेरा सबकुछ है। उसके अलावा मैं कुछ और सोचता भी नहीं हूं। बेटियां हमेशा ही सीखती हैं और सिखाती हैं। वह अच्छी मार्गदर्शक होती हैं। मैंने अपनी बेटी से बहुत कुछ सीखा है।
- मनीष कुमार सिन्हा, प्रोफेशनल
सिंगल गर्ल चाइल्ड रखने वाले लोगों को आइडियल बनाकर इन्हें प्रमोट करने की जरूरत है। बेटियों के साथ जब क्राइम नहीं होगा, तो लोगों के दिल से डर निकल जाएगा। क्राइम को देखने के बाद ही लोगों को बेटों की जरूरत महसूस होती है। अगर यह रुक जाए, तो लोगों की भी सोच बदलेगी। इसके साथ ही समाज के लोगों को भी सोच बदलनी होगी और उन्हें बेटियों के महत्व को खुद समझना व दूसरों को समझना होगा।
- धीरेंद्र प्रताप, प्रोफेशनल
हमें उन लोगों को प्रमोट करना चाहिए जिन्होंने सिंगल गर्ल चाइल्ड का कॉन्सेप्ट अपनाया है। साइना ऐसी एग्जामपल के रूप में सबके सामने हैं कि बेटियां क्या कर सकती हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि जितना ध्यान वह बेटियों को देखने में लगाते हैं कि वह क्या कर रही हैं, कहां जा रही हैं, अगर वह वही ध्यान अपने बेटों पर लगाएं, तो दूसरे की बेटियां सेफ होंगी और लोगों के दिलों में बेटियां रखने के बाद किसी तरह का खौफ नहीं रहेगा।
- डॉ। दीपक ठुडी, सोश्योलॉजिस्ट