- मोहद्दीपुर निवासी विवेक चन्द्र वर्मा और रंजना वर्मा बिटिया देवांशी पर छिड़कते हैं जान

- कॉर्मल ग‌र्ल्स स्कूल में क्लास 4 की स्टूडेंट है देवांशी वर्मा

GORAKHPUR:

'जनक की फूलवारी में,

कभी प्रीत की क्यारी में,

रंग और सुगंध का,

महका गुलबाग है बेटी,

अनुनय, विनय, अनुराग है बेटी'

मोहद्दीपुर निवासी विवेक चन्द्र वर्मा 'विक्की' अपनी बिटिया देवांशी वर्मा 'यशी' का जिक्र होते ही यह कविता गा पड़ते हैं। विवेक की पत्‍‌नी रंजना वर्मा यशी की खूबियां गिनाने लग जाती हैं। कहती हैं, यशी तो उनका सारा संसार है। उसके बिना तो वे जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। उसे पाने के बाद कभी बेटा-बेटी सोचने की जरूरत ही नहीं पड़ी। दोनों के लिए यशी ही बेटा है और वही बेटी भी। आज वे बिटिया की हर चाहत पूरी करते हैं। उम्मीद है बिटिया आगे चलकर उनकी हर तमन्ना पूरी करेगी। मां-बाप की उम्मीदों पर खरा उतरना बेटियां खूब जानती हैं।

समाज को दिखाना भी जरूरी है

वन गर्ल चाइल्ड कांसेप्ट में यकीन करने वाले विक्की पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककना, पिपरौली में तो रंजना प्राथमिक विद्यालय विजयी काफ, सुकरौली में टीचर हैं। दोनों अपनी ड्यूटी को लेकर जितने सजग हैं, अपनी बिटिया को लेकर भी उतने ही संजीदा। मम्मी स्कूल जाने के पहले बिटिया के लिए नाश्ता तैयार कर जाती हैं। यशी अपने स्कूल पढ़ने चली जाती है और मम्मी-पापा अपने-अपने स्कूल पढ़ाने चले जाते हैं। लौटने के बाद कोशिश करते हैं कि पूरा समय एक साथ ही बीते। विक्की और रंजना कहते हैं कि वे दोनों टीचर हैं। उन्हें समाज को सिर्फ बताना ही नहीं, दिखाना भी है। बिटिया समाज का आधार हैं, सबको उन्हें दुलार और सम्मान करना चाहिए।

घर की लाडली है यशी

विक्की और रंजना ही नहीं, यशी तो घर में सबकी दुलारी है। दादा उमेश चन्द्र वर्मा और दादी द्रौपदी वर्मा की आंखों का भी वह तारा है। परिवार में उसे देखे बिना जैसे किसी को चैन नहीं पड़ता। रंजना बताती हैं कि जो जिधर से आता है, यशी-यशी पुकारता हुआ घर में एंट्री लेता है। विक्की बिटिया की बातें तो सुनते ही हैं, उससे अपनी बातें भी शेयर करते हैं। यहां तक कि उससे सलाह भी लेते हैं। वे यह कभी नहीं जताते कि बिटिया कितनी छोटी है, वह यह दिखाते हैं कि बिटिया उनके लिए कितनी इम्र्पोटेंट है।

कुछ दिन बिटिया को ही जीते हैं

विक्की बताते हैं कि पति-पत्‍‌नी दोनों गवर्नमेंट टीचर हैं और दोनों के स्कूल घर से काफी दूर हैं। ऐसे में सिर्फ संडे को ही टाइम मिलता है। उस दिन भी पूरे सप्ताह का काम एक साथ निपटाने की वजह से बिटिया के लिए समय कम ही दे पाते हैं। बिटिया की भी पढ़ाई जरूरी है। घर आने के बाद वह होमवर्क में लग जाती है। ऐसे में आम दिनों में एक-दूसरे के साथ समय तो बीतता है लेकिन वे बिटिया के साथ और भी ज्यादा वक्त चाहते हैं। ऐसे में गर्मी की छुट्टियों में वे सिर्फ बिटिया को ही जीते हैं। उसके पसंद से कहीं घूमने जाते हैं और वहां सबकुछ उसी की पसंद की करते हैं। इस बार बाम्बे, एलोरा, नासिक, पूना आदि जगहों पर गए थे। बिटिया को भी हर साल गर्मी की छुट्टियों का इंतजार रहता है।

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मम्मी-पापा की लाडली देवांशी वर्मा 'यशी' अभी कॉर्मल ग‌र्ल्स स्कूल, सिविल लाइंस में क्लास 4 की स्टूडेंट है। यशी बताती है कि मम्मी-पापा उसके सपने पूरा करने के लिए बहुत सैक्रिफाइस करते हैं। ऐसे में वह भी अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं रखती। उसे मम्मी-पापा की अच्छी बेटी बनकर दिखाना है। यशी कहती है कि अब वह 9 साल की हो गई है। 29 मार्च 2007 को वह इस घर में आई थी। मम्मी-पापा के लिए तो वह अब भी छोटी सी गुडि़या ही है। यशी का कहना है कि वह डॉक्टर बनना चाहती है और चाहती है कि उसके मम्मी-पापा हमेशा स्वस्थ रहें। ऑल व‌र्ल्ड हेल्दी हो। यशी को पहले डांस और टूरिज्म का शौक था लेकिन अब उसे स्टडी का भी शौक है। छोटी सी यशी बड़ी बात बोल जाती है। कहती है कि उसके शौक को पूरा करने के लिए मम्मी-पापा कोई कसर नहीं छोड़ते इसलिए उसने स्टडी को अपना शौक बना लिया ताकि मम्मी-पापा का सपना पूरा कर सके।