- महाराज दिग्विजयनाथ ने जलाई गोरखपुर के बीच शिक्षा की अलख
GORAKHPUR: गोरखपुर के विकास का नाम आते ही ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ का नाम सबसे ऊपर आ जाता है। मदन मोदन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, गोरखपुर विश्वविद्यालय, पॉलीटेक्निक, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की संस्थाएं दिखाई उन्हीं की देन है। उन्होंने देश की जनता को हिन्दुत्व का सम्मान कराना सिखाया। उन्होंने देश पर मर-मिटने वालों की एक लंबी फौज खड़ी कर दी थी। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के पदचिन्हाें पर चलते हुए ही ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ ने देश के हिन्दुत्व और विकास के कार्यो को आगे बढ़ाया। यह बातें केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र ने कहीं। वह ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ 46वीं श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित कर रहे थे।
चलती हैं 150 शिक्षण संस्थाएं
कलराज मिश्र ने कहा कि गोरखपुर के साथ ही साथ पूर्वाचल में भी उन्होंने शिक्षा का अलख जगाई है। आज गोरखपुर मंडल में 150 से अधिक शिक्षण संस्थाएं गोरखनाथ मंदिर से संचालित हो रही हैं, उनकी नींव रखने वाले दिग्विजयनाथ ही थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गोरक्षपीठाधीश्वर एवं गोरखपुर के सांसद महन्त योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत-नेपाल सम्बन्ध पर नेहरू सरकार को बार-बार ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ से सहायता लेनी पड़ी थी। शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से अति पिछड़े इस पूर्वी उप्र में उन्होंने शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं और तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कर हिन्दुत्व आधारित सामाजिक परिवर्तन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी थी। जब वाराणसी में विश्वनाथ के मंदिर में दलितों का प्रवेश कराने का काम किया था। इस दौरान जयपुर से पधारे श्रीमद्पंचखण्डपीठाधीष्वर आचार्य धर्मेन्द्र, डुमरियागंज के सांसद जगदम्बिका पाल, डॉ। धमेन्द्र सिंह, उपेन्द्र पाठक, डॉ। सीएम सिन्हा, योगेन्द्र सिंह, समेत सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि दी।