- सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज में रसायन परिषद की तरफ से आयोजित हुआ सेमिनार
- सेमिनार के दौरान दांतों के समस्या से लगाए उसके देखभाल पर की गई चर्चा
GORAKHPUR: सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में सैटर्डे को रसायन परिषद की तरफ से एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का मुख्य विषय 'दंत चिकित्सा में सिल्वर मिश्र धातु एवं कम्पोजिट की रेस्टोरेटिव पदार्थ के रूप में उपयोगिता' रहा। इस सेमिनार के मुख्य वक्ता डेंटल सर्जन डॉ। राबिन सिंह रहे।
दांतों में होती है कोई न कोई समस्या
उन्होंने बताया कि लगभग हर मनुष्य को दांतों की कोई न कोई समस्या होती है। चाहे वो सांसों की बदबू ही क्यों न हो। इलाज से बचाव ज्यादा जरूरी है। उन्होंने बताया कि दांतों के वास्तविक स्वरूप एवं कार्य को फिर से प्राप्त करना रेस्टोरेशन कहलाता है। दांतों की कैविटी को बंद करने के लिए सिल्वर मिश्र धातु को मरकरी के साथ अमलगम बनाते हैं और उससे दांतों की भराई करते हैं। बेसिकिली इसमें मूलरूप से टाइटेनियम का प्रयोग होता है, क्योंकि यह क्00 परसेंट बॉयोकम्पेटिबल है। चांदी मिश्र धातु सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले धातु है, क्योंकि इसमें शक्ति ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि दांत जब ज्यादा गल जाते हैं तब इसमें जिंक फॉस्फेट का बेस लगाते हैं। आज हाई कॉपर-सिल्वर मिश्र धातु का प्रयोग ज्यादा हो रहा है क्योंकि चांदी में एंटी बॉयोटिक गुण होते हैं और यह कोरोजन को स्वत: भर देता है। किन्तु इसका एक नकारात्मक पक्ष यह है कि यह दांतों के रंग से भिन्न दिखता है।
फ्लोराइड से होती है अनेकों बीमारियां
आज ग्लास आयनोमर सीमेंट का यूज बच्चों के दांतों में कीड़े लगने पर होता है, ताकि यह दांतों से बंध बना ले। लेकिन इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि इसमें सामर्थ्य कम होता है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में फ्लोराइड मुक्त टूथपेस्ट की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम पानी में फ्लोराइड की अधिकता से अनेक बीमारियों से परेशान हैं।
ब्रशिंग है महत्वपूर्ण
उन्होंने बताया कि ब्रशिंग टूथपेस्ट से ज्यादा महत्वपूर्ण है। ब्रशिंग फ्-भ् मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ब्रशिंग करते समय टूथ ब्रश और दांत के बीच में ब्भ् अंश के कोण होने चाहिए। मैदा और उससे बनी खाद्य सामग्री कम से कम प्रयोग करनी चाहिए। वहीं इस मौके पर कॉलेज के प्रिंसिपल जेके लाल ने इस कार्यक्रम की प्रशंसा की। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.पीडी सुभाष ने की। संचालन रसायन परिषद के सचिव डॉ। एके श्रीवास्तव ने किया।