- एमपीपीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में स्पेशल लेक्चर हुआ ऑर्गेनाइज
-पृथ्वी गोल है वैदिक ग्रन्थ में यह उल्लेख 12 अवतार में स्पष्ट और प्रमाणिक तथ्य के साथ है उपलब्ध
GORAKHPUR : भारतीय संस्कृति और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। भारतीय धर्म संस्कृति अपने आप में विज्ञान है। वैदिक ग्रन्थ की रचना गहन-चिन्तन और वैज्ञानिक आधार पर की गयी है। अगर इस निगाह से देखें तो यहां के ऋषि मुनि बड़े वैज्ञानिक थे। प्राचीन वैदिक ग्रन्थ शोध ग्रन्थ की कृति के रूप में स्थापित था। यही नहीं आधुनिक विज्ञान की जननी भारतीय धर्म विज्ञान ही है, जो अरब देशों से होते हुए पश्चिमी देशों तक पहुंची और वहां से आधुनिक विज्ञान का स्वरूप ग्रहण करके प्रतिष्ठित हुई। यह बातें होम मिनिस्ट्री से संबद्ध डीआरडीओ फेमस साइंटिस्ट डॉ। अनन्त नारायण भट्ट ने कहीं। वह एमपीपीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में ऑर्गेनाइज 'भारतीय संस्कृति एवं वैज्ञानिक सोच' टॉपिक पर अपना लेक्चर दे रहे थे।
वैदिक ग्रंथों में पहले ही था उल्लेख
डॉ। भट्ट ने कहा कि पृथ्वी गोल है हम इसे आधुनिक विज्ञान की खोज मानते हैं, जबकि वैदिक ग्रन्थ में यह उल्लेख क्ख् अवतार में स्पष्ट और प्रमाणिक तथ्य के साथ उपलब्ध है। इसी प्रकार संस्कृत भाषा भी विश्व की उन पांच भाषाओं में स्थान रखती थी, इसीलिए इसे प्राकृतिक भाषा भी कहा गया। संस्कृत भाषा के उच्चारण में न केवल स्पष्टता है, बल्कि मानसिक बीमारियों का इलाज भी सम्भव है। भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं में तमाम ऐसे बातें व्याप्त हैं जिनका अत्यन्त वैज्ञानिक महत्व है।
हर चीजों के दोहरे फायदे
भारतीय संस्कृति में तुलसी की पूजा का महत्व भी अत्यन्त उपयोगी है। आज कैंसर एवं तमाम प्रकार के गम्भीर बीमारियों में तुलसी की उपयोगिता जगजाहिर है। भारतीय संस्कृति में नमस्कार करने के पीछे भी वैज्ञानिक दृष्टि ही है, इससे न सिर्फ हम सामने वाले के मन में बसते हैं, बल्कि उंगलियों के आपसी दबाव की वजह से हमारे मस्तिष्क में सेंसटिविटी पैदा होने से स्मरण शक्ति मजबूत होती है। भारत की गौरवशाली इस सांस्कृतिक परम्परा आज के इस जीवन पद्धति के कारण बढ़ रहे संकटों के लिए रामबाण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता छात्रसंघ प्रभारी डॉ। अविनाश प्रताप सिंह ने की। इस दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष किशन देव निषाद ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया। छात्रसंघ उपाध्यक्ष मनीषा सिंह ने प्रेाग्राम की आउटलाइन पेश की। महामंत्री आशीष राय ने आभार ज्ञापित किया। प्रेाग्राम का संचालन प्राचीन इतिहास विभाग की प्रवक्ता शालिनी चौधरी ने किया। इस मौके पर सुबोध कुमार मिश्र, कविता मन्ध्यान, श्रीकान्त मणि त्रिपाठी, डॉ। विजय कुमार चौधरी, डॉ। आर.एन। सिंह, डॉ। आरती सिंह, डॉ। शालिनी सिंह, डॉ। शिवकुमार बर्नवाल, डॉ। राम सहाय, डॉ। नन्दन शर्मा, डॉ। महेन्द्र प्रताप सिंह के साथ टीचर्स और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।