- कोई नहीं कराता वेरीफिकेशन, चुका रहे कीमत
- ड्राइवर का हाथ होने से दहशत में आए गोरखपुराइट्स
GORAKHPUR: विन्ध्यवासिनी नगर मोहल्ले में हाई प्रोफाइल डबल मर्डर के खुलासे ने गोरखपुराइट्स के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी है। सवाल उठने लगा है कि आखिर किस पर भरोसा करें। ड्राइवर, मेड या वर्कर रखने के पहले वेरीफिकेशन न होने से खतरा बढ़ता जा रहा है। चोरी में जेल जा चुके ड्राइवर के बैक ग्राउंड से अंजान दंपति को जान गंवानी पड़ी। एसएसपी का कहना है कि सोशल अवेयरनेस से इस प्रॉब्लम को दूर किया जा सकता है। इसके लिए अभियान चलाकर शुरूआत की जाएगी।
कोई नहीं कराता वेरीफिकेशन
ड्राइवर और घरेलू नौकर, पलम्बर की जरूरत हो या फिर बिजली मैकेनिक, हर बार लोग अपने परिचितों को कॉल करके जरूरत पूरी कर लेते हैं। इस बात की जहमत कोई नहीं उठाता कि संबंधित के संबंध में कोई जांच पड़ताल कर लें। काम खत्म होने के बाद लोग भूल जाते हैं कि उनकी लापरवाही से कोई गड़बड़ हो सकती है। सिटी में रोजाना हजारों लोग बिना जान-पहचान बताए लोगों के घरों में काम करके चले जाते हैं। पुलिस का कहना है कि सिटी में किराये पर मकान देने के पहले मकान मालिक किरायेदारों का सत्यापन नहीं कराते हैं। शहर की पुलिस के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है जिससे पता चल सके किस मकान में कितने किरायेदार रहते हैं।
बेकार गया अभियान
किरायेदारों की संदिग्ध गतिविधियां सामने आने पर वर्ष 2010 में सत्यापन का काम शुरू हुआ। तत्कालीन डीआईजी असीम अरुण ने एक व्यवस्था बनाई। लेकिन किरायेदार रखने वालों ने रुचि नहीं दिखाई। वर्ष 2012 के बाद एसएसपी आशुतोष कुमार, आरके भारद्वाज सहित कई पुलिस अधिकारियों ने इसकी प्रक्रिया शुरू की। कुछ दिनों बाद किरायेदारों के सत्यापन को मकान मालिक और किरायेदार दोनों भूल गए।
सर्विस प्रोवाइडर को भी जानकारी नहीं
सिटी में विभिन्न तरह की सुविधाएं देने वाली एजेंसी पर काम करने वाले कर्मचारियों का वेरीफिकेशन नहीं होता। ट्रेवल एजेंसी हो या फिर कोई दुकान, काम करने वाले कर्मचारी पूरी जानकारी नहीं रखी जाती। बल्कि किसी परिचित की पैरवी उनको काम पर रख लिया जाता है। ऐसे में किसी वारदात के होने पर आरोपी को तलाशना मुश्किल हो जाता है। पुलिस का कहना है कि यदि वेरीफिकेशन कराया जाए तो आधी समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। उधर सुरक्षा के लिहाज से विन्ध्यवासिनी नगर मोहल्ले में रविवार को मियां बाजार के फाटक को ईट लगाकर लोगों ने परमानेंट बंद दिया।
इसके लिए सोशल अवेयरनेस की जरूरत है। बहुत सारी घटनाओं का वर्कआउट नहीं हो पाता है। सर्विस प्रोवाइडर के संबंध में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
लव कुमार, एसएसपी