गोरखपुर (ब्यूरो)।सबसे पहले यह कि स्कूल में एक साल में चार से पांच बार टीचर पेरेंट्स मीटिंग होती है। इसमें 100 परसेंट पहुंचने की कोशिश करें। बच्चा घर पर जाकर मोबाइल पर ना लग जाए और वह आउट डोर गेम में भी जरूर शामिल हो, इसको भी ध्यान दें। आपके सपोर्ट से बच्चा इम्प्रूवमेंट करेगा और स्कूल में भी उसका पढ़ाई में मन लगेगाÓ। ऐसे मैसेज इन दिनों पेरेंट्स के मोबाइल पर पहुंच रहे हंै। जिसमें बच्चों की परफॉर्मेंस इंप्रूव करने के लिए कुछ ऐसे पेरेंट्स का सपोर्ट मांगा जा रहा है। पेरेंट्स भी इस बार बच्चों के इंप्रूवमेंट में भागीदारी के लिए तैयार हैं।
नए सेशन में नई पहल
स्कूलों की मानें तो स्कूल में टीचर्स पेरेंट्स मीटिंग अब केवल कोरम बन कर रह गई है। बच्चे के माता या पिता मीटिंग में ना आकर किसी को भी भेज दे रहे हैं। जिससे टीचर बच्चों की स्कूल परफॉर्मेंस और उनकी अच्छी आदत और बैड हैबिट के बारे में पेरेंट्स को नहीं बता पा रहे हैं। इसलिए स्कूलों ने इस बार मीटिंग मे बुलाने के लिए विशेष पेरेंट्स से आग्रह कर रहे हैं।
बच्चों की हर बात नोटिस करते हैं टीचर
स्कूल टीचर का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि क्लास में पढ़ाते वक्त बच्चे का ध्यान कहीं और रहता है। बच्चे से कुछ भी पूछने पर वो बता नहीं पाता है। बच्चे बताते भी हैं कि वे देर रात मोबाइल या टीवी देखते रह गए और उनकी नींद पूरी नहीं हो पाई, इसलिए उन्हें टीचर की पढ़ाई बातें समझ नहीं आई। क्लास मेें बच्चों की अच्छी-खराब दोनों बातों को नोटिस कर टीचर पेरेंट्स मीटिंग में शेयर की जाती हैं। ताकि पेरेंट्स घर पर बच्चे का ध्यान दें।
स्टैटिस्टिक -
सीबीएसई स्कूल- 125
आईसीएससीई स्कूल- 25
पेरेंट्स टीचर मीटिंग में गार्जियन हो रहे प्रेजेंट- 50 परसेंट
स्कूलों ने बनाई रणनीति ताकि प्रेजेंट रहे गार्जियन- 100 परसेंट
क्लास में बातें करते हैं स्टूडेंट- 30 परसेंट
गुस्सा रहते हैं बच्चे- 20 परसेंट
क्लास में बच्चों को आती है नींद- 15 परसेंट
क्लास में बच्चे कहीं और मन- 20 परसेंट
नए सेशन में पेरेंट्स का सपोर्ट हमे चाहिए। स्कूल में पढ़ाई हो रही है। बच्चे अच्छा कर भी रहे हैं। टीचर और पेरेंट्स के बीच अच्छी बॉडिंग हो जाती है, तो घर पर बच्चों की मॉनीटरिंग अच्छे से हो सकती है।
अजय शाही, डायरेक्टर, आरपीएम एकेडमी
पेरेंट््स की मीटिंग में अपनी हाजिरी श्योर लगानी होगी। ये उनके बच्चे के लिए भी बहुत जरूर है। जब बच्चे की स्कूल और घर दोनों ओर से मॉनीटरिंग होती है तब बच्चे बहकता नहीं है।
हेमंत मिश्रा, डायरेक्टर, एबीसी पब्लिक स्कूल
पेरेंट्स से सपोर्ट मांगा गया है। बच्चों के लिए टीचर पेरेंट्स मीटिंग में वे जरूर आएं। टीचर से मिलकर पेरेंट्स बच्चे की अच्छाई भी जान सकेंगे और जो कमी होगी उसे समय रहते दूर कर पाएंगे।
अमरीश चंद्रा, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सेंट पॉल्स स्कूल
टीचर पेरेंट्स मीटिंग कोरम बनकर ना रह जाए इसलिए टीचर्स की डयूटी लगाई है। टीचर बच्चों के पैरेंट्स को कॉल करके उनकी कमियां और अच्छाई दोनों बता रहे हैं। पेरेंट्स का सपोर्ट बहुत जरूरी है।
रीमा श्रीवास्तव, स्प्रिंगर लोरेटो गल्र्स स्कूल
बच्चे की योग्यता में कोई कमी हो तो वो समय से समझ में आ जाए। तब बच्चे की परफारमेंस को आसानी से सुधारा जा सकता है। इग्नोर करने से बच्चे की आदत बन जाती है। जिसे छुड़ा पाना मुश्किल होता है।
- डॉ। आकृति पाण्डेय, साइकोलॉजिस्ट