-इस सेशन में बढ़ गई तीन नई छुट्टी
-लगातार बढ़ रही छुट्टी से डिस्टर्ब हो रही स्टूडेंट्स की क्लास
GORAKHPUR: वोट की राजनीति देश के फ्यूचर के साथ खिलवाड़ कर रही है। वोट बैंक को लेकर हर साल एक नए महापुरुष की जयंती मनाई जाती है और उनसे जुड़े लोगों को रिझाने के लिए सरकारी छुट्टी डिक्लेयर की जाती है। मगर कोई यह जानने की कोशिश नहीं करता कि छुट्टी के इस थोपे गए फैसले का इफेक्ट क्या होगा? अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो फ्म्भ् दिन में से सिर्फ क्म्0 दिन ही पढ़ाई होती है। छुट्टी से जहां बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है, वहीं सरकारी कामकाज ठप हो जाता है। साथ ही प्रदेश में उस महापुरुष को वैल्यू देने के बावजूद देश का फ्यूचर उसके बारे में नहीं जानता। जबकि जयंती का असली मकसद उस महापुरुष के बारे में पूरी जानकारी बच्चों तक पहुंचाना होता है। इस सेशन में ब्9 सरकारी छुट्टी हैं।
हर साल बढ़ रही छुट्टी
शिक्षा विभाग ख्0क्भ् सेशन में ख्फ्भ् दिन पढ़ाई का दावा कर रहा है। जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत होने वाली है। क्योंकि विभाग की ओर से जारी कैलेंडर में आलरेडी चन्द्रशेखर जयंती की छुट्टी का जिक्र नहीं है। वहीं समर, विंटर और रेनी सीजन में बच्चों के हेल्थ को लेकर आलरेडी छुट्टी की भरमार होती है। ऐसे में एक सेशन में बमुश्किल ख्0भ् दिन स्कूल पढ़ाई के लिए खुलता है। वहीं यूनिट, मिड टर्म और एनुअली एग्जाम को लेकर करीब ब्0 से ब्भ् दिन पढ़ाई आलरेडी डिस्टर्ब रहती है। ऐसे में महज क्म्0 से क्70 दिन में स्टूडेंट्स को पूरे साल का सिलेबस पूरा करना पढ़ता है।
इस छुट्टी से क्या हासिल होगा
स्टूडेंट्स का एक-एक सेकेंड कीमती होता है। मगर प्रदेश की सरकार सेकेंड, मिनट नहीं बल्कि स्टूडेंट्स का पूरा दिन खराब कर रही है। विभिन्न जयंती पर छुट्टी डिक्लेयर होने से स्टूडेंट्स को कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है। न तो वह स्कूल जाकर पढ़ाई करता है और न ही किसी कॉम्प्टीशन में पार्टिसिपेट कर अपना हुनर दिखाता है। इन जयंती पर उस महापुरुष से जुड़ा कोई प्रोग्राम भी नहीं होता कि वह कम से कम इस दिन को उन्हीं के रूप में याद कर सके। बल्कि अगर हकीकत देखी जाए तो 90 परसेंट स्टूडेंट्स को छुट्टी होने वाली विभिन्न महापुरुष की जयंती के बारे में कुछ पता नहीं है।
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फीस साल भर और पढ़ाई महज इतनी
एक सेशन - फ्म्भ् दिन
टोटल पढ़ाई - ख्फ्भ् दिन
टोटल छुट्टी - क्फ्0 दिन
(शिक्षा विभाग के जारी कैलेंडर ख्0क्भ् के मुताबिक)
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इस साल बढ़ गई तीन नई छुट्टी
कर्पूरी ठाकुर जयंती - ख्ख् फरवरी
चन्द्रशेखर जयंती - क्7 अप्रैल
अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस - म् दिसंबर
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हर साल कैलेंडर से एक्स्ट्रा होती है छुट्टी
रेनी डे - म्
कोहरा, गलन - क्ब्
लू, हीट स्ट्रोक - क्0
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हकीकत में यूं चलती है क्लास
एक सेशन - फ्म्भ् दिन
सरकारी छुट्टी - क्फ्0 दिन
एक्स्ट्रा छुट्टी - फ्0 दिन
एग्जाम टाइम - ब्भ् दिन
टोटल पढ़ाई - क्म्0 दिन
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वर्जन- (अधिकारी)
शिक्षा विभाग की ओर से जारी हर आदेश का पालन कराया जाता है। जो छुट्टी डिक्लेयर हुई है, से पूरी तरह लागू किया जाएगा। इस दिन स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी।
एसएन मिश्रा, ज्वाइंट डायरेक्टर एजुकेशन
इस साल तीन नई छुट्टी डिक्लेयर की गई है। शासन के आदेश का पालन कराया जाएगा। हालांकि जयंती के मौके पर अगर कोई स्कूल विभिन्न तरह का कॉम्प्टीशन ऑर्गनाइज करता है तो वह बच्चों को बुला सकता है। मगर स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी।
एएन मौर्य, जिला विद्यालय निरीक्षक
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वर्जन- (प्रिंसिपल)
महापुरुषों के बारे में जानना अच्छी बात है। मगर उनकी जयंती पर छुट्टी डिक्लेयर कर स्कूल बंद करना गलत है। इससे न सिर्फ बच्चों के पढ़ाई का नुकसान होता है बल्कि उनको उस महापुरुष के बारे में कुछ पता भी नहीं होता। छुट्टी से अच्छा स्कूल में उस महापुरुष से जुड़े कार्यक्रम कराए जाएं। जिससे जयंती का असली मकसद पूरा होगा।
डॉ। मीना अधमी, प्रिंसिपल डिवाइन पब्लिक स्कूल
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वर्जन- (स्टूडेंट)
स्कूल में छुट्टी लगातार बढ़ती जा रही है। हर साल नई छुट्टी डिक्लेयर होती है। इससे पढ़ाई में काफी डिस्टर्बेस होता है। समर, रेनी और विंटर में आलरेडी छुट्टी अधिक हो जाती है।
मो। ओसामा, स्टूडेंट
कई ऐसे महापुरुषों की जयंती पर छुट्टी होती है, जिनके बारे में हमें कुछ नहीं पता है। ऐसी जयंती पर छुट्टी से क्या फायदा। वैसे ही छुट्टी का दायरा बढ़ता जा रहा है।
दीक्षा, स्टूडेंट
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वर्जन- (पैरेंट्स)
कॉम्प्टीशन लगातार बढ़ता जा रहा है। बच्चों को लीमिट समय में क्लास के सिलेबस को पूरा करने के साथ बार-बार रिवीजन की आवश्यकता पड़ती है। मगर विभिन्न जयंती पर छुट्टी होने से उनका नुकसान हो रहा है। अगर छुट्टी के बजाए प्रोग्राम कराए जाए तो फिर भी ठीक है। कम से कम जनरल नॉलेज तो बढ़ेगा।
संजीव राय, पैरेंट
महापुरुषों की जयंती मनाना अच्छी बात है। मगर इस दिन स्कूल बंद करना गलत है। इस दिन को विभिन्न प्रोग्राम कर मनाना चाहिए। जिससे उनकी महानता को बच्चे भी जान सकेंगे। बच्चों को उस दिन कुछ तो ज्ञान मिलेगा।
तूलिका गुप्ता, पैरेंट