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- कोटेशन की हर फाइल के साथ लगानी है 500 रुपए की रसीद

- बिना रसीद काटे ही फाइल तैयार कर दे रहे नगर निगम के बाबू

saurabh.upadhyay@inext.co.in

GORAKHPUR: नगर निगम हाल में कभी किसी उपलब्धि के लिए चर्चा में रहा हो, शायद ही आपको याद हो लेकिन इस समय निगम अपने अजीबोगरीब कारनामों को लेकर अक्सर चर्चा में बना हुआ है। निगम में जिसको जहां मौका मिल रहा, वहीं चूना लगाने में रिकॉर्ड बनाने की कोशिश कर रहा है। अभी फेक रजिस्ट्रेशन पर टेंडर हथियाने का मामला शांत भी नहीं हुआ कि कोटेशन की फाइल तैयार करने में एक अलग तरह का घोटाला सामने आया है। इसके बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

100-200 में ही हो जाता काम

कोटेशन की किसी भी फाइल में 500 रुपए की रसीद होनी चाहिए जो कि नगर निगम के शहरी विकास के लिए निश्चित बोर्ड फंड में जाता है। लेकिन नगर निगम में इस फाइल को तैयार करने में बाबू खेल कर दे रहे हैं। बिना रसीद ही फाइल तैयार कर दी जा रही है और बाबू 500 के बदले 100-200 रुपए अपने पॉकेट में भर ले रहे हैं। सिग्नेचर करते समय मोटी फाइल होने के कारण एक-एक कागज पर अधिकारी ध्यान नहीं दे पाते और इस कारण यह आसानी से पकड़ में नहीं आता।

घपले में जेई आगे

नगर निगम के निर्माण विभाग के एक पूर्व कर्मचारी ने बताया कि यूं तो यह खेल अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर किया जाता है, लेकिन कुछ को इसकी जानकारी भी होती है। अधिकारी कोटेशन की एक-एक फाइल बारीकी से नहीं देख पाते जिसका फायदा बाबू उठाते हैं। कई बार कर्मचारी ठेकेदार से 500 रुपए लेकर भी रसीद नहीं कटाते तो कई बार कुछ कम रुपए ही ले लेते हैं जो उनके पॉकेट में चला जाता है। वहीं आठ-दस फाइल में एक-दो में रसीद लगाकर अधिकारी को विश्वास में ले लेते हैं जिससे अन्य फाइल बिना रसीद की ही ओके हो जाती है। सबसे ज्यादा खेल वह फाइल में होता है, जो जेई तैयार कराते हैं। बताते हैं कि जेई के तैयार कोटेशन की फाइल में किसी की भी रसीद नहीं कटती है।

करीब 2 लाख पॉकेट में

नगर निगम के निर्माण विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो तीन महीने में करीब 500 कोटेशन की फाइल तैयार कर काम हुआ है। लेकिन यदि बोर्ड फंड की बात करें तो इसमें करीब 50 फाइल की ही रसीद के पैसे ही जमा हुए हैं। इस तरह 2 लाख रुपए बाबुओं व जेई के पॉकेट में चले गए जिसे कि नगर निगम के फंड में जाना चाहिए था। इतने रुपए में करीब 100 मीटर लंबी गली की नाली तैयार हो सकती है। वहीं एक वार्ड में पार्षद अपने पथ प्रकाश का प्रस्ताव भी दे सकता है।

बॉक्स

तो बनती नाली, जलती लाइट

कोटेशन की हर फाइल से 500 रुपए का यदि घोटाला रुक जाए तो ये रुपए बोर्ड फंड में जमा होंगे। बोर्ड फंड शहर के विकास के लिए नगर निगम का खुद का फंड है। इस फंड में नगर निगम द्वारा प्राप्त आय जमा होता है और इसी से नगर निगम के पार्षदों को विकास के लिए पार्षद निधि के नाम से राशि दी जाती है। इसमें बाहरी एरिया के पार्षदों को 31 लाख और भीतरी एरिया के पार्षदों को 26 लाख रुपए दिए जाते हैं। पार्षद अपने हिसाब से प्रस्ताव देते हैं और उसके बाद कार्य होता है। इस निधि से ही पथ प्रकाश के भी कार्य नगर निगम कराता है।

पिछले साल भी हुआ था घपला

नगर निगम सूत्रों ने बताया कि इस तरह का मामला पिछले साल भी सामने आया था। लेकिन मुख्य लेखा परीक्षक की पकड़ में आ गया था। उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि कोटेशन की कई फाइल के साथ रसीद नहीं लगाई गई थी। तब इस मामले में एक बाबू को हटा दिया गया था।

वर्जन

इस बात की जानकारी अभी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा मामला है तो उसकी जांच की जाएगी। कोटेशन की पुरानी फाइलों की भी जांच की जाएगी और पैसा जमा कराया जाएगा।

- एसके केसरी, एक्सईएन, नगर निगम