- वॉटर सप्लाई सिस्टम से 15 परसेंट वॉटर डेली होता है वेस्ट

- 135 लीटर पर कैपिटा, पर डे है पानी की जरूरत

- अवेयरनेस के थ्रू ही हो सकती है पानी की बचत

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : पानी एक ऐसी अनमोल चीज, जिसका ऑप्शन किसी के पास भी नहीं है। पानी का क्या मोल है यह सिर्फ प्यासा ही बता सकता है। मगर सिटी के लोगों को पानी की कदर नहीं है। लोग अपने काम के लिए पानी को बेवजह बहाने में जरा भी गुरेज नहीं करते हैं। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जबकि पीने तक को पानी मयस्सर नहीं होगा, जहां मिलेगा वहां भी इसको पाने के लिए जंग होगी। इस कंडीशन में हम क्या करेंगे? इसको अभी से सोचने की जरूरत है। ऐसी नौतब न आए, इसके लिए अभी से तैयार होने की जरूरत है। पानी के वेस्टेज को बंद तो नहीं किया जा सकता। हां, थोड़ा सा अवेयरनेस और प्रिकॉशन से काफी हद तक कम जरूर किया जा सकता है।

सिर्फ 0.007 परसेंट पानी पीने के लायक

पूरे यूनिवर्स में महज 3 परसेंट पानी ही फ्रेश है, जिसमें ज्यादातर हिस्सा बर्फ के रूप में है। इसमें भी सिर्फ 0.007 परसेंट पानी ही पीने के लायक है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2025 तक लोगों को पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ेगा।

ऑन एन एवरेज पर कैपिटा 135 लीटर पानी होता है यूज

पानी की जरूरत सभी को पड़ती है, बस इसके तरीके अलग-अलग होते हैं। एमएमएमयूटी के प्रोफेसर डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो ऑन एन एवरेज डेली पर कैपिटा 135 लीटर पानी यूज किया जाता है। इसमें सबसे बड़ा पोरशन नहाने और बर्तन धोने में खर्च हो जाता है। वहीं इन दिनों फ्लश में भी काफी पानी वेस्ट हो जाता है। 135 लीटर में अहम जरूरत यानि कि पीने और खाना बनाने में महज 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा बचा हुआ 125 लीटर पानी का एक बड़ा पार्ट वेस्ट होता है।

सिर्फ नहाने में बहा देते हैं 55 लीटर पानी

पानी का वेस्टेज यूं तो सभी जगह होता है, लेकिन सबसे ज्यादा पानी अगर कहीं वेस्ट होता है तो वह है नहाने में। डॉ। गोविंद पांडेय ने बताया कि आमतौर पर अगर देखा जाए तो एक आदमी नहाने के लिए 35 से 55 लीटर पानी का यूज करता है। यह वह लोग होते हैं, जो पहले बाल्टी भर लेते हैं और उसके बाद नहाते हैं। मगर इस भीड़ में एक बड़ी तादाद उन लोगों की होती है, जो टैप ऑन कर नहाते हैं। ऐसे में जितना पानी वह नहाने में यूज करते हैं, उससे कहीं ज्यादा वह वेस्ट कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि नहाने के लिए लिमिटेड वॉटर का यूज करें और पहले बाल्टी भर लें और उसके बाद नहाना शुरू करें।

बाथ टब में सबसे ज्यादा वेस्ट होता है पानी

नहाने के दौरान भी वॉटर वेस्टेज की कई कैटेगरी है। इसमें सबसे ज्यादा पानी बाथ टब में नहाने के दौरान वेस्ट होता है। वह इसलिए कि बाथ टब में पानी भरने के बाद लोग नहाने बैठते हैं। इसमें काफी देर रिलैक्स होने के बाद वह फिर शॉवर के थ्रू पानी डालकर बाहर निकलते हैं। ऐसे में बाथ टब में भरा पानी एक्स्ट्रा वेस्ट होता है। वहीं शॉवर में भी 15 परसेंट से ज्यादा पानी बॉडी तक न पहुंचकर इधर-उधर वेस्ट हो जाता है। इसलिए जहां तक पॉसिबल हो बाथ टब का कम से कम यूज करें, जिससे कि बड़ी मात्रा में पानी बचाया जा सके।

डेली रूटीन में भी वॉटर लॉस

गोरखपुराइट्स जहां पानी का एक बड़ा हिस्सा नहाने में खर्च कर रहे हैं, वहीं डेली रूटीन की जरूरतों में भी वह पानी के एक बड़े हिस्से की बर्बादी कर रहे हैं। इसमें ब्रशिंग, शेविंग और टॉयलेट में भी वॉटर वेस्टेज काफी ज्यादा है। इसके साथ ही किचन में भी पानी का एक बड़ा पार्ट वेस्ट हो रहा है। डॉ। पांडेय ने बताया कि ऐसी कंडीशन में वॉटर वेस्टेज और लॉस, टोटल अमाउंट का 15 परसेंट होता है। इसे हम थोड़ा सा सावधानी रखकर बचा सकते हैं।

आरओ बर्बाद कर रहा है 60 परसेंट वॉटर

फ्रेश वॉटर पीने की चाह मे हजारों लोगों ने घरों में रिवर्स ऑसमॉसिस टेक्नीक पर बेस्ड वॉटर प्यूरिफायर लगवा रखे हैं। इससे उन्हें साफ पानी तो मुहैया हो रहा है, लेकिन इस बीच वह कितना पानी वेस्ट कर रहे हैं, यह शायद उन्हें भी नहीं मालूम। डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो रिवर्स ऑसमॉसिस में जो वॉटर प्यूरिफाई होकर बाहर निकलता है, वह टोटल वॉटर का 40 परसेंट होता है। इस तरह प्यूरिफिकेशन के हर स्टेप में हम 60 परसेंट वॉटर को वेस्ट कर रहे हैं।

गार्डनिंग में भी बर्बाद हो रहा है पानी

गार्डनिंग का शौक यूं तो सभी को होता है, लेकिन इसके पीछे वह अनमोल पानी की धड़ल्ले से बर्बादी कर रहे हैं। गार्डन में पौधों को पानी की एक लिमिट में जरूरत होती है। एक्सेस पानी से न सिर्फ पौधों के खराब होने का डर बना रहता है, बल्कि पानी वेवजह पौधों में पड़ता रहता है। ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग गार्डनिंग के दौरान पाइप क्यारियों में डालकर अपने काम में लग जाते हैं। ऐसे में जरूरत से ज्यादा पानी वेस्ट होता रहता है, लेकिन किसी को भी इसकी फिक्र नहीं होती।

वॉटर क्राइसिस के कई बड़े रीजन्स -

जनसंख्या दबाव

शहरीकरण

इंडस्ट्रीलाइजेशन

वाटर बेस एग्रीकल्चर

पॉल्युशन

यहां बर्बाद हो रहा है पानी -

- ब्रशिंग

- शेविंग

- टॉयलेट

- नहाने

- कपड़े धोने

- गार्डनिंग

- लीकेज

- आरओ

- धुलाई

ऐसे बचेगा पानी का वेस्टेज -

थ्रू अवेयरनेस प्रोग्राम

वॉटर की वेस्टेज को कम करने और उसे सेफ करने का सबसे बेहतर तरीका है, अवेयरनेस। अगर लोग पानी के वेस्टेज से होने वाले खतरे से आगाह हो गए और उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि हम जो कर रहे हैं, उससे क्या प्रॉब्लम हो सकती है, तो वॉटर वेस्टेज को कुछ हद तक रोका जा सकता है। इसके लिए सबसे कारगर हथियार है अवेयरनेस प्रोग्राम ही है। घर-घर जाकर, नुक्कड़ नाटक, एड, पोस्टर और बैनर के थ्रू पानी के वेस्टेज को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

री-साइकिलिंग ऑफ वॉटर

पानी का वेस्टेज कम कर हम पानी जरूर बचा सकते हैं, लेकिन पानी को री-साइकिल कर इसके वेस्टेज को और कम किया जा सकता है।

डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो गंदा पानी भी बड़े ही काम का है। इससे प्यास तो नहीं बुझाई जा सकती लेकिन आग जरूर बुझाई जा सकती है। इसका यूज नहाने के लिए नहीं किया जा सकता, लेकिन गार्डन में पौधों को पानी देने के लिए इसका यूज कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ग्रे वॉटर, जिसमें टॉयलेट वॉटर नहीं आता, उनको दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। टॉयलेट वॉटर में ऑर्गेनिक पॉल्युशन होता है, इसलिए इसको रीसाइकिल कर यूज नहीं किया जा सकता।

फिटिंग चेंज कर भी बचेगा पानी

घर में पानी के लिए जगह-जगह टैप और फिटिंग्स लगी रहती हैं। इनसे पहले काफी पानी वेस्ट होता था, लेकिन इन दिनों कंपनीज ने इनकी डिजाइन काफी चेंज कर दी है, जिससे कि 25 परसेंट तक पानी के वेस्टेज को कम किया जा सकता है। डॉ। पांडेय ने बताया कि पहले टैप से डायरेक्ट पानी बाहर आता था, लेकिन इन दिनों कंपनी ने टैप के एग्जिट प्वाइंट को अपग्रेड करके छोटे-छोटे छेद कर दिए हैं, जिनसे पानी फोर्सली बाहर आता है। इससे कम पानी में जरूरत पूरी हो जाती है।

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तेरा रंग कैसा -

सिटी के कई इलाकों में की गई पानी की टेस्टिंग की सीरीज में मंडे को धर्मशाला के पानी की क्वालिटी जांची गई। इसमें ड्रिंकिंग वॉटर में क्या-क्या जरूरी एलिमेंट्स हैं और वह मानक के मुताबिक हैं या नहीं उसकी जांच की गई। इंडिया मार्का हैंडपंप से लिए गए नमूने की गई जांच में सभी कुछ विद इन नॉर्मल रेंज पाया गया, लेकिन हार्डनेस एक्सेप्टेबल लिमिट से कुछ ज्यादा पाई गई।

ढ्ढठ्ठस्त्रद्बड्ड रूड्डह्मद्म2

न्ह्मद्गड्ड - ष्ठद्धड्डह्मद्वह्यद्धड्डद्यड्ड

क्कड्डह्मड्डद्वद्गह्लद्गह्मह्य न्ष्ह्लह्वड्डद्य न्ष्ष्द्गश्चह्लड्डढ्डद्यद्ग रुद्बद्वद्बह्लह्य

क्क॥ - 7.2 (6.5-8.5)

ञ्जष्ठस् - 250 (500द्वद्द/द्यह्लह्म)

॥ड्डह्मस्त्रठ्ठद्गह्यह्य - 275 (200द्वद्द/द्यह्लह्म)

ष्टद्य - 76 (250द्वद्द/द्यह्लह्म)

न्द्यद्मड्डद्यद्बठ्ठद्बह्ल4 - 75 (200द्वद्द/द्यह्लह्य)

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वॉटर कंजर्वेशन -

पानी वेस्टेज का एक बड़ा रीजन लीकेज भी होता है। घर में ही कई ऐसी जगह मिल जाएंगी, जहां से पानी टिप-टिप कर गिरता रहा है। इसमें अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो, अगर एक सेकेंड में एक ड्रॉप भी वेस्ट हो रही है, तो 2700 गैलन वॉटर पर इयर वेस्ट हो रहा है। इसे बचाने के लिए फौरन ही टैप के वॉशर को रिपेयर करने की जरूरत है। ऐसा करने से आप कम ही सही लेकिन वॉटर कंजर्वेशन में अहम रोल अदा करेंगे।