- सिटी में लगे कई ट्यूबवेल दे रहे हैं बालू

- इनको लगाने में हुए थे करोड़ रुपए खर्च

GORAKHPUR: नगर निगम के जलकल विभाग एक करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह इस घोटाले की ही देन है कि सिटी के डिफरेंट इलाके के लोग पानी के साथ बालू पीने को मजबूर हैं। गर्मी ने दस्तक दे दी है। शहर में पानी के लिए हाहाकार मचना तया है। अब बताते हैं आपको कैसे हुआ ये घोटाला। जलकल विभाग ने एक करोड़ रुपए खर्च करके सिटी के डिफरेंट एरिया में ट्यूबवेल लगवाए थे। आज उन ट्यूबवेल से पानी के साथ बालू निकल रहा है। खाना बनाना तो दूर इस पानी से नहाया भी नहींजा सकता है। ऐसे में तीन लाख से ज्यादा लोगों के सामने संकट आ गया है। खासकर महिलाओं के सामने। इस बालू वाले पानी का असर घरों में लगे आरओ पर भी पड़ रहा है। यह आरओ (रिवर्स ऑस्मसिस) हर महीने खराब हो जा रहे हैं। जब इसकी शिकायय जलकल के अफसरों से की जाती है तो वे सिर्फ आश्वासन दे कर मामले को टाल देते हैं।

क् घंटे पीला हो जाता है पानी

महेवा फलमंडी में लगे ट्यूबवेल से महेवा, महुईसुघरपुर, रुस्तमपुर और चिलमापुर एरिया में पानी सप्लाई होता है। इन एरिया में पिछले साल कैंप लगाकर और अभियान चलाकर घरों में पानी का कनेक्शन दिया गया, लेकिन अब पानी का कनेक्शन लेने वाले परेशान हैं कि इस पानी का यूज पीने के लिए करें या घर धोने के लिए। स्थिति यह है कि जलकल के सप्लाई का पानी एक घंटे में ही पीला हो जा रहा है। लोगों का कहना है कि जिस बर्तन में एक घंटे तक पानी रहने लगा है तो वह बर्तन भी पीला हो जाता है।

कहींबिजनेस बढ़ाने का खेल तो नहीं।

इलाहीबाग के पार्षद व कार्यकारिणी सदस्य मो। अख्तर का आरोप है कि जलकल विभाग के अफसरों ने खराब ट्यूबवेल लगाकर खेल खेला है। सिटी में एक तरफ जलकल के ट्यूबवेल बालू दे रहे हैं तो दूसरी तरफ सिटी में जार में बिकने वाले पानी की खपत बढ़ी है। लोगों को मजबूरन जार में बिकने वाला पानी खरीदना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जार वाले पानी का बिजनेस उन एरिया में खूब फल फूल रहा है, जिनमें जलकल के ट्यूबवेल बालू वाला पानी दे रहे हैं।

जेब पर भी लग रही चोट

शेषपुर वार्ड में गीताप्रेस के सामने और खूनीपर एरिया के लगभग क्000 घरों में ट्यूबवेल से पानी की सप्लाई होती है। करीब 70 फीसदी घरों में आरओ लगा हुआ है। रजनी गुप्ता का कहना है उन्होंने साफ पानी के लिए आरओ लगवाया था, लेकिन स्थिति यह है कि हर महीने आरओ का कैंडिल और बाउल चेंज करवाना पड़ रहा है। इसके लिए हर महीने भ्00 रुपए खर्च हो जा रहे हैं। खाना बनाने और पीने के लिए तो आरओ के पानी का यूज कर लिया जाता है, लेकिन नहाने और कपड़े धोने के लिए बालू वाले पानी का ही यूज करना पड़ता है। दामोदर दास गुप्ता ने बताया कि पानी में इतना बालू आता है कि उन्हें हर महीने पानी की टंकी साफ करवानी पड़ती है। इसमें आधे फीट तक बालू जमा हो जाता है। वे भी बाजार से पानी खरीद कर पीने के मजबूर हैं।

लाखों किए खर्च इस बालू के लिए

जगह लागत स्थिति आबादी

कचहरी चौराहा ख्भ् लाख रुपए बालू भ्0 हजार

इलाहीबाग ख्भ् लाख रुपए बालू 70 हजार

दिलेजाकपुर क्0 लाख रुपए बंद फ्0 हजार

कौवादह ख्भ् लाख रुपए बालू क् लाख

इस्माइलपुर क्क् लाख में टंकी बंद ब्0 हजार

दो साल पहले नगर निगम की बोर्ड की बैठक में भी पानी सप्लाई में बालू आने के मुद्दे को उठा चुका हूं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं होता है। नगर आयुक्त केवल यही आश्वासन

देते हैं कि जल्द ही पाइप साफ कराने के लिए बोल देता हूं, लेकिन होता कुछ नहीं है।

संजीव कुमार सिंह, सोनू, पार्षद वार्ड नं 70 शेषपुर

पानी की स्थिति यह है कि हर महीने आरओ जाम हो जाता है। एक बाल्टी पानी में दो से तीन किलो बालू आता है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहींहोता है। डर है कि गर्मी के मौसम में क्या हाल होगा।

सुगंधा श्रीवास्तव, स्थानीय नागरिक

घर के बजट में एक हजार रुपए का एक्स्ट्रा खर्च बढ़ गया है। हर माह आरओ का कैंडल बदलने के साथ ही साथ गंदे पानी से बच्चों को पेट संबंधी बीमारिया हो जाती हैं। इनके इलाज में भी खर्च होता है। पिछले दो साल से यह प्रॉब्लम है।

प्रीति श्रीवास्तव, स्थानीय नागरिक

नगर निगम की लापरवाही के कारण इस एरिया की पब्लिक को परेशानी झेलनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि शुद्ध पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। अगर होली के पहले नगर निगम पूरी पाइप की मरम्मत नहीं करेगा तो नगारिक आंदोलन को मजबूर होंगे।

सुशील अग्रहरि, स्थानीय नागरिक