-जिला महिला अस्पताल का मामला, गर्भवती महिला ने लगाया आरोप

- जांच के लिए मांगा जा रहा था घूस

GORAKHPUR: जिला महिला अस्पताल का विवादों से पुराना नाता है। डॉक्टर और हेल्थ एंप्लाइज पर हमेशा ही आरोप लगते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन देकर कोरम पूरा कर लिया जाता है। बुधवार की सुबह एक बार फिर हॉस्पिटल में विवाद हो गया। अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर जांच के लिए गर्भवती महिलाओं की लम्बी कतार लगी थी, लेकिन उनकी जांच में देरी की जा रही थी। आरोप है कि कुछ एंप्लाइज जांच के लिए घूस मांग रहे थे, जिसके बाद इनकार करने पर उनकी पर्ची नीचे कर दी गई। इसके बाद आक्रोशित मरीज और तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया। इसकी जानकारी मिलने पर एसआईसी मौके पर पहुंची और किसी तरह से मामले को शांत कराया गया।

लाइन में लगकर करते रहें इंतजार

सरदारनगर के अयोध्या चक के रहने वाले इसराईल अंसारी अपनी पत्‍‌नी शहाना के साथ बुधवार की सुबह जिला महिला अस्पताल पहुंचे। वह अल्ट्राउंड कक्ष के बाहर लम्बी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। काफी भीड़ होने की वजह से सभी को परेशानी हो रही थी। आरोप है कि इस दौरान स्टाफ के लोग हर मरीजों से जांच के लिए घूस की डिमांड करने लगे। जिसका विरोध करने पर उन्होंने नंबर में लगी पर्ची को नीचे कर दी और बाद में आए मरीजों का पहले अल्ट्रासाउंड कर दिया। वहीं खजनी से आशा सरोज के साथ भी ऐसा ही हुआ। वहीं इस मामले में डॉक्टर ने सभी आरोपों को एक सिरे से नकार दिया है।

यहां कोई कार्रवाई नहीं

जिला अस्पताल में ऑपरेशन के नाम पर घूस का प्रकरण सामने आया, तो डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई हो गई। वहीं जिला महिला अस्पताल में टांका लगाने के मामले में शिकायत न होने का हवाला देकर जिम्मेदारों ने कन्नी काट ली। इतना ही नहीं, दूसरे दिन मासूम की मौत और मिठाई के नाम पर घूस लेने की बात सामने आई, इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। आलम यह है कि आये दिन मरीजों के साथ दु‌र्व्यवाहर होते रहते हैं, लेकिन जिला अस्पताल में तो जिम्मेदारों की नजर पड़ जाती है, लेकिन महिलाओं की प्रॉब्लम सामने आने के बाद भी महिला अस्पताल के जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं करता।

क्यों ना हो बवाल?

जिला महिला अस्पताल में दो अल्ट्रासाउंड मशीन लगाई गई है लेकिन एक ही वर्किंग कंडीशन में है। ऐसा क्यों ना हो? यहां दो रेडियोलॉजिसट का पद है लेकिन सिर्फ एक रेडियोलॉजिस्ट के भरोसे काम चल रहा है। अमूमन प्रतिदिन मरीजों की संख्या काफी ज्यादा होती है फिर भी 50 से 60 अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। पिछली बार एसआईसी ने शासन से पांच प्रसूती रोग विशेषज्ञ, दो रेडियोलॉजिस्ट, तीन लीफ्टर ऑपरेटर, पांच सपोर्टिग स्टाफ, एक दाई, चौकीदार, वार्ड ब्वॉय की डिमांड की थी, लेकिन अब तक कर्मचारी नहीं मिले। वहीं गोरखपुर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की भी हालत खराब है। यहां एक-एक रेडियोलॉजिस्ट की पोस्ट काफी दिनों से खाली है, लेकिन अब तक एक की भी तैनाती नहीं हो सकी है।

रिश्वत मामले में लिया बयान

जिला अस्पताल में ऑपरेशन के नाम पर घूसे लेने की मामले की जांच के लिए बुधवार को एडीएम सिटी बीएन सिंह जांच के लिए पहुंचे। उनके नेतृत्व में एडिशनल सीएमओ डॉ। नंद किशोर और एसआईसी डॉ। एचआर यादव ने पहले जेडी हेल्थ घनश्याम सिंह से पूरे प्रकरण के बारे में जानकरी ली। इसके बाद मरीज लक्ष्मण और बेचन निषाद से बयान लिया। इस मामले की रिपोर्ट जल्द ही डीएम को रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके बाद कोई फैसला होगा।

मामला प्रकाश में आया था। मैं खुद मौके पर पहुंची थी। जांच सुचारू रूप से की जा रही थी। यदि पैसे मांगने का आरोप लगाया जा रहा है तो पीडि़ता लिखित पत्र दें, इसके बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी। अभी तक किसी को ओर से को‌ई्र शिकायत नहीं की गई है।

- मिन्टू शर्मा, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल