- यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी मंडलीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में पहुंचे गोरखपुर

- लोगों को आरटीआई के बारे में दी अहम जानकारी

GORAKHPUR: आरटीआई अधिनियम 2005 एक क्रांतिकारी एक्ट है, इस एक्ट से शासन और जनता के बीच पॉवर बैलेंस हो रहा है। इस अधिनियम ने आम आदमी को ताकत दी है। इससे शासन-प्रशासन की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता आ है। इसके देश और प्रदेश अच्छे शासन व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। यह बातें यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कहीं। वह जीडीए सभागार में जन सूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी के चार दिवसीय मंडलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गोरखपुर पहुंचे थे।

सूचना देना अधिकारी का दायित्व

जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक की ओर से नियमानुसार मांगी गई सूचना देना प्रत्येक जन सूचना अधिकारी का दायित्व है, कोई भी जन सूचना अधिकारी केवल विधिक आधार पर ही सूचना देने से इंकार कर सकता है, लेकिन आवेदक की ओर से आयोग में अपील करने पर जन सूचना अधिकारी के सूचना न देने का कारण स्पष्ट तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। समय से सूचना न देने पर जन सूचना अधिकारी पर अर्थदंड लगाने का प्राविधान है।

पहली कड़ी में आरटीआई की हकीकत

उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। इसके तहत सबसे पहले शासन स्तर पर तैनात जन सूचना अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके बाद निदेशालय स्तर पर और अब मंडल स्तर पर जन सूचना अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें यूपी सूचना अधिकार की नियमावली 2015 की जानकारी भी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में लगभग 18000 जन सूचना अधिकारी हैं, इस प्रशिक्षण से आवेदनों का निस्तारण जल्द और एकरूपता के साथ होगा।

हुआ शंकाओं का समाधान

उन्होंने बताया कि अर्थदंड की वसूली के लिए आयोग में शासकीय वसूली सेल भी बनाया गया है, जो आयोग की ओर से लगाये गए अर्थदंड आदेश से संबंधित विभाग के नियंत्रक अधिकारी को वसूली के लिए भेजता है। ट्रेनिंग के दौरान स्टेट रिसोर्स पर्सन राजेश मेहतानी ने लोगों को जन सूचना के नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी साथ ही उनकी शंकाओं का समाधान किया। इस मौके पर कमिश्नर अनिल कुमार, सीडीओ डॉ। मन्नान अख्तर, अपर आयुक्तगण, वीसी जीडीए, अपर जिलाधिकारी गण सहित मंडल के जन सूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे।