-आरटीआई से सूचना मांगी तो बिजली विभाग ने दो लिपिक और एक टाइपिस्ट का वेतन मांग लिया
-बिजली विभाग पर मनमाना रवैया अपनाने का आरोप
GORAKHPUR: अगर आपको बिजली विभाग से कोई सूचना आरटीआई से निकलवानी हो तो पहले अच्छी खासी रकम का जुगाड़ कर लें। चौंकिए मत। ये सच है। अगर आप बिजली विभाग में आरटीआई के तहत कोई सूचना चाहते हैं तो पहले आप कर्मचारियों का वेतन दीजिए। अगर आप ऐसा नहींकरते तो आपको सूचना नहींमिलेगी।
क्या है मामला
एडवोकेट सुनील कुमार श्रीवास्तव ने आरटीआई के तहत बिजली विभाग से क् जनवरी ख्0क्क् से लेकर ख्9 दिसंबर ख्0क्फ् तक की रिवाइज्ड और करेक्शन किए गए बिलों की वास्तविक बिल की रकम की जानकारी मांगी थी। जवाब में बिजली विभाग ने जो लिखा वह चौंकाने वाला था। विभाग ने लिखा कि उनके यहां कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और नए कर्मचारियों की नियुक्ति नहींहुई है। ऐसे में उपरोक्त जानकारी देने के लिए दो लिपिक तीन माह तक लगाने लगेंगे और साथ ही एक टाइपिस्ट भी एक माह तक लगेगा। ऐसे में लिपिक के लिए प्रतिमाह 9000 रुपए की दर से तीन माह का वेतन साथ ही टाइपिस्ट का एक माह वेतन दें। तभी आपको जानकारी मिल पाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई विभाग आरटीआई से जानकारी के नाम पर क्या कर्मचारियों के लिए क्या वेतन मांग सकता है। आईनेक्स्ट ने इस मामले में एक्सपर्ट्स से बात की तो सबने यही कहा कि सूचना देने के लिए कोई भी विभाग कर्मचारी का वेतन नहींमांग सकता है।
मांगे 8म् हजार रुपए
सुनील कुमार श्रीवास्तव ने बिजली विभाग से सूचना मांगी कि महानगर विद्युत वितरण निगम के फर्स्ट डिविजन में क् जनवरी ख्0क्क् से ख्9 दिसंबर ख्0क्फ् तक जितने भी बिल रिवाइज हुए हैं, उन सभी बिलों को वास्तविक बिल की रकम, रिवाईज्ड और कनेक्शन के बाद की रकम की जानकारी मांगी थी। इसके अलावा कुल यूनिट बिल, बिल संख्या, एकाउंट संख्या, कनेक्शन संख्या और विद्युत कनेक्शन के प्रकार सहित सूचना मांगी थी। और किस आधार पर इनका बिल रिवाइज किया गया है। यह भी जानकारी मांगी थी।
द्वितीय अपील करेंगे
सुनील कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली विभाग इस समय पूरी तरह मनमाना रवैया अपना रहा है। अधिकारी इतने मनमाने हो गए हैं कि जो चाह रहे हैं वही नियम बना दे रहे हैं। नियमानुसार प्रति फोटोकापी के हिसाब से जानकारी मांगने वाले को रकम देनी होती है। अब बिजली विभाग ने एक नया नियम बना दिया है कि उस कागज को तैयार करने में जो कर्मचारी लगेंगे उनका वेतन भी देना होगा। इस मामले को लेकर हम प्रदेश सुचना आयुक्त के यहां जाएंगे।
क्या होता है नियम
आरटीआई के तहत सूचना मांग ने और सूचना देने के लिए कुछ नियम है। कोई भी व्यक्ति क्0 रुपए का पोस्टल आर्डर लगाकर विभाग से संबंधित जानकारी मांग सकता है। सूचना पाने के लिए आपको ख्रु। प्रति सूचना पेज केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है। यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग है। इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है। आप फीस नकद में, डीडी या बैंकर चेक या पोस्टल आर्डर जो उस जन प्राधिकरण के पक्ष में देय हो द्वारा जमा कर सकते हैं। पब्लिक द्वारा मांगी गई जानकारी केवल देश की सुरक्षा से संबंधित नहींहोनी चाहिए।
सुनील कुमार श्रीवास्तव द्वारा पूछे गए प्रश्न पूरी तरह से अनावश्यक है। उनकी आरटीआई पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। अपना बिल या कोई विशेष बिल के संबंध में जानकारी मांगते तो दे दिया जाता, लेकिन एक्सईएन एके सिंह के कार्यकाल में जितने बिल संशोधित किए गए हैं उनका रिकार्ड मांगे हैं। ऐसे में इतनी बड़ी मात्रा में जानकारी देने के लिए कर्मचारी तो लगाने ही पड़ेगा।
एसपी पांडेय, एसई महानगर विद्युत वितरण निगम