गोरखपुर (ब्यूरो)। ऐसे अगर आप रेलवे बस स्टेशन होते हुए गोरखपुर जंक्शन जाना चाहते हैैं तो कहीं न कहीं मन में इस बात का डर भी सताता है कि रेलवे बस स्टेशन की तरफ से जाने पर जाम ही मिलेगा। यह परसेप्सन पिछले कई वर्षों से बना हुआ है। लेकिन इस रोड के जाम को आज तक कोई भी बड़ा-बड़ा से अधिकारी नहीं खाली करवा सका है। बीती 21 सितंबर को एडीजी अखिल कुमार और कमिश्नर अनिल ढींगरा समेत नगर आयुक्त रेलवे बस स्टैंड के पास पहुंचे। रेलवे बस स्टैंड को बस मुक्त करने की बात कही और एआरएम ने वादा भी किया, लेकिन हमेशा की तरह यह इंस्पेक्शन भी फोटो सेशन साबित हुआ। आलम यह है कि रोडवेज बसों की वजह से आज भी रेलवे बस स्टैंड रोड पर जाम है।
ये था अफसरों का निर्देश
दरअसल, 21 सिंतबर की दोपहर 12 बजे एडीजी अखिल कुमार, कमिश्नर अनिल ढींगरा समेत नगर आयुक्त गौरव सोगरवाल रेलवे बस स्टेशन रोड के जाम को खुलवाने के लिए पहुंचे थे। अधिकारियों के मौके पर पहुंचने पर राहगीरों के बीच उम्मीद की किरण जगी थी कि रेलवे स्टेशन रोड के जाम को अब नहीं लगने दिया जाएगा। निर्देश दिए थे कि बसों को डिपो के अंदर वर्कशॉप एरिया में खड़ी कराएं। साथ ही डिपो के अंदर के पेट्रोल पंप को राप्तीनगर शिफ्ट करने की भी बात हुई थी।
एआरएम के झूठे दावे
बता दें, गोरखपुर डिपो में न सिर्फ डिपो की बसें खड़ी होती हैैं, बल्कि रीजन के आठ डिपो की बसें भी यहां आती हैैं। गोरखपुर रीजन में कुल 758 बसें हैैं। इनमें 426 निगम और 332 अनुबंधित बसें ऑन रूट हैैं। इसके साथ ही दूसरे रीजन की करीब 750 बसें भी इस डिपो से गुजरती हैैं। नेपाल बॉर्डर तक की बसें जयपुर और दिल्ली तक के संचालित होती हैैं, लेकिन इन बसों को परिसर में खड़ा करने के बजाय रोड पर ही खड़ा कराया जा जाता है। डिपो प्रबंधन और स्टेशन प्रबंधन के झूठे दावे और वादे कहीं न कहीं खोखले साबित होते हुए दिखाई दे रहे हैैं। डीजे आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने जब गोरखपुर डिपो के एआरएम महेश चंद श्रीवास्तव से बात की तो उन्होंने फिर से झूठ के आश्वासन देते हुए कहा कि बसें रोड पर खड़ी नहीं होती हैं। वे स्वयं सड़क पर उतरकर बसें हटवाते हैं। जबकि हकीकत में बसें सड़क के एक लेन में लंबी कतार के साथ खड़ी हुई दिखाई दीं। रोडवेज बसों को परिसर में खड़ा करने के बजाय सड़क के एक लेन में लाइन लगवाने के लिए बकायदा रोडवेज कर्मचारियों की तैनाती करवाई जाती है। हैरान करने वाली बात यह है कि मौके पर ट्रैफिक पुलिस और स्टेशन पुलिस चौकी के पुलिस कर्मियों की भी तैनाती होती है, लेकिन यह भी लाचार और बेबस नजर आते हैैं।
डिपो - अनुबंधित बसें - निगम की बसें
गोरखपुर डिपो - 120 - 77
राप्तीनगर डिपो - 26 - 67
देवरिया डिपो - 120 - 65
बस्ती डिपो - 31 - 82
सिद्धार्थनगर डिपो - 00 - 39
महाराजगंज डिपो - 13 - 35
सोनौली डिपो - 04 - 37
पडरौना डिपो - 18 - 24
कुल - 332 - 426
जब भी रेलवे स्टेशन बस स्टेशन रोड पर जाने की सोचता हूं तो रास्ता बदल देता हूं। कार्मल रोड होते हुए ट्रैफिक चौराहा होकर रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है। लेकिन बस स्टेशन रोड का जाम न जाने कब समाप्त होगा। कई बार अधिकारी आते हैैं और फोटो खिंचवा कर चले जाते हैैं।
महिपाल, राहगीर
पिछले कई साल से देखता हूं कि रेलवे बस स्टेशन रोड पर रोडवेज बसों द्वारा एक लेन की सड़क को जाम करके रखते हैैं। दूसरी लेन खाली रहती है तो उस पर जाम लगा रहता है। ऐसे मनमानी न जाने कब तक इन रोडवेज वालों की चलती रहेगी। कई साल से सुन रहे हैैं बसें परिसर में खड़ी होगी। लेकिन कुछ भी नहीं होता है।
सोनू, राहगीर
यूपी रोडवेज बसों की मनमानी का खामियाजा राहगीरों की भुगतना पड़ता है। डिपो प्रबंधन की लापरवाही इस कदर हावी है कि पूछिए मत, हर वक्त जाम लगा रहता है। शाम से देर रात तक एक लेन पूरी तरह से लंबे जाम से जूझना पड़ता है। दूसरे डिपो की बसें रोड ब्लाक करके रखती हैैं। चलना मुश्किल हो जाता है।
राजू, राहगीर
रोडवेज अफसरों को फटकारा
यूपी रोडवेज के अधिकारी हमारे पास आए थे, उनका कहना था कि बसें परिसर में खड़ी हो रही हैैं। जबकि हकीकत में बसें आज भी सड़क पर ही खड़ी हो रही हैैं। उन्हें कड़ी फटकार लगाई गई है। उन्हें किसी भी दशा में बसों को परिसर के भीतर ही खड़ी करना है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैैं तो रोडवेज अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अनिल ढीगरा, कमिश्नर