गोरखपुर (ब्यूरो)।एक तरफ जहां पैसेंजर्स को प्रॉब्लम हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ इसका लाभ प्राइवेट वाहन वाले उठा रहे हैं।
1 किलोमीटर पर 1.75 रुपए मानदेय
जानकारी के अनुसार रोडवेज में संविदा ड्राइवर्स और कंडक्टर्स को प्रति 1 किलोमीटर पर 1.75 रुपए मानदेय दिया जाता है। इसी का नतीजा है कि रोडवेज प्रशासन ने कई बार ड्राइवर्स की भर्ती निकाली, लेकिन लोग इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं।
गोरखपुर डिपो का हाल
गोरखपुर डिपो में वर्तमान में 42 नियमित ड्राइवर और संविदा ड्राइवर्स 120 हैं। यहां 36 ड्राइवर्स की कमी है। दूसरी तरफ नियमित कंडक्टर 73 व संविदा कंडक्टर 243 हैं। जबकि 95 और कंडक्टर्स की जरूरत है। डिपो में निगम की बसों की संख्या 80 और अनुबंधित बसें 128 हैं। जबकि निगम ने प्रति बस संचालन के लिए 2.16 के नॉर्म का फार्मूला निर्धारित किया है। इस प्रकार निगम की 90 बसों के संचालन के लिए कुल करीब 200 ड्राइवर्स की जरूरत पड़ती है। जबकि नियमित ड्राइवर सिर्फ 42 हैं। वहीं 114 बसों के लिए 250 कंडक्टर होने चाहिए, इसमें एक चौथाई तो अवकाश अथवा रेस्ट पर रहते हैं। जबकि इन्हीं कंडक्टर्स में करीब डेढ़ दर्जन कार्यालय में सेवा दे रहे हैं। इससे बसों का संचालन बाधित हो रहा है।
राप्तीनगर डिपो का हाल
राप्तीनगर डिपो में वर्तमान में नियमित ड्राइवर 49 और कंडक्टर 62 हैं। जबकि संविदा चालक 94 और कंडक्टर 114 हैं। इस प्रकार 22 ड्राइवर और 20 कंडक्टर्स की कमी है। जबकि रोडवेज के बेड़े में 74 निगम और 128 बसें अनुबंधित हैं। नार्म के हिसाब से ड्राइवर्स और कंडक्टर की कमी है।
फैक्ट एंड फीगर
-गोरखपुर रीजन में बसें--750
-नियमित ड्राइवर्स-253
-नियमित कंडक्टर्स--261
-संविदा ड्राइवर्स-642
-संविदा कंडक्टर-935
-ड्राइवर्स की कमी-176
-कंडक्टर की कमी-398
रोडवेज की बस समय से नहीं मिलती है। उसके लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कभी चालक नहीं होते तो कभी कंडक्टर के अभाव में बस खड़ी हो जाती है, जिससे परेशान होना पड़ता है।
ललित गुप्ता, बासगांव
रोडवेज बसों की कोई टाइमिंग नहीं है। बस पकडऩे के लिए वेट करना पड़ता है। जब इसके बारे में पूछा जाता है तो ड्राइवर और कंडक्टर की कमी की बात करते हैं।
राम प्रकाश राय, जमुनीजोत
रोडवेज में ड्राइवर्स और कंडक्टर की भर्ती निकाली गई हैं। अभी कंडक्टर्स की ज्वाइनिंग होनी है। जहां तक ड्राइवर्स की कमी दूर करने की बात है तो उनकी भी भर्ती हो रही है। कुछ ड्राइवर्स मिल चुके हैं। जल्द ही कमी को दूर कर लिया जाएगा।
महेश चंद्र, एआरएम, गोरखपुर डिपो