- दाल सब्जी और तेल को महंगाई ने रसोई से किया रुसवा

- किचन के स्वाद में महंगाई की मार

- थोक में सरसों के तेल का रेट 100 रुपये प्रतिकिलो वहीं फुटकर में बिक रहा 115 रुपये किलो

GORAKHPUR:

महंगाई कम करने के लिए लोगों ने देश की सरकार तो बदल दी लेकिन इसका कोई फायदा मिलता दिख नहीं रहा हैं। दाल सब्जी और ओर तेल के मूल्य बढ़ जाने से आम आदमी का हल्का हो गया है। अभी कुछ दिनों पहले ही तिलहन की फसल कटने के बावजूद सरसों के तेल का भाव सौ के पार पहुंच चुका है। इससे आने वाले दिनों इसकी कीमतों के बढ़ने का अंदाजा लगाया जा सकता है। सिटी में खाद्य तेल प्रदेश के कुछ जिलो के अवाला अन्य राज्यों से भी मंगाया जाता है। शहर में तिलहन के कारोबारी ज्योति अग्रवाल ने बताया कि सिटी में पहले तेल मिल हुआ करती थी लेकिन छापेमारी के दौरान सभी मिलों को बंद कर दिया गया। अब डिब्बा बंद ब्राडेंड कंपनी के खाद्य तेल मंगाए जाते हैं। आस-पास के एरिया में सरसों की पैदावार कम होने की वजह से पर्याप्त मात्रा में लोकल स्तर के तेल नहीं मिल पाते हैं। पहले सबसे अधिक खाद्य तेल सिटी के महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, मऊ, आजमगढ़ आदि जगहों से मंगाए जाते लेकिन अब यहां भी पैदावार कम होने के कारण तेल नहीं आते हैं।

मालभाड़ा व वैट ने बढ़ाया भाव

मालभाड़ा बढ़ने और 2008 से पांच प्रतिशत वैट लगने के कारण तेल के तेल के भाव में तेजी आई। सरकार की ओर से तिलहन के दाम में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है। इधर कुछ हद तक रेट में गिरावट आई है।

बारिश ने बर्बाद की फसल

इस बार तिलहन और दलहन की फसल बेमौसम बारिश की वजह से बर्बाद हो गई। जिसके कारण जहां तेल का आयात किया जाता है। वहां भी तेल के दाम में इजाफा हो गया है। इसका का असर है कि एक साल में तेल के भाव में कई प्रतिशत की बढ़ोत्तर दर्ज की गई है। वहीं बाहर से तेल मंगवा कर लोक पैकिंग करने वाले शॉप ओनर पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। जिसके कारण वह भी अपने हिसाब से ही सभी खर्चो निकालकर भाव निर्धारित करते हैं।

खाद्य तेल वजन थोक का भाव फुटकर का भाव

सरसों ब्राडेंड 15 लीटर 1400 1605

पॉमोलीन आयल 15 किलो 945 1350

फॉरच्यून 15 किलो 1100 1300

सन फ्लावार 12 लीटर 1050 1250

मूंगफली तेल 12 लीटर 1740 2000

डालडा 15 किलो 1050 1240

यहां से मंगाया जाता है तेल

साहबगंज मंडी में कलक्कता, बरेली, राजस्थान अहमदाबाद आदि से खाद्य डिब्बा बंद ऑयल मंगाया जाता है।

क्या कहते हैं कारोबारी

संयुक्त व्यापार मंडल के संयोजक सीतारात जायसवाल ने बताया कि पिछले दिनों बेमौसम बारिश की वजह से तेलहन और दलहन की पैदावार कर हुई जिसकी वजह से अचानक तेल के दामों में इजाफा हुआ है। जहां पहले सरकार की ओर दलहन 40 टन इम्पोर्ट किया जाता था उसकी अपेक्षा 20 टन कम है। जब 20 टन और आयात किया जाएगा तभी जाकर इस कमी की भरपाई हो पाएगी। कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने पहल की है।

तेल के भाव तेजी के साथ बढ रहे हैं। रसोई घर में जहां कई तरह के व्यंजन बनाए जाते थे। अब कम में ही काम चलाया जा रहा है। सरसों के तेल का डिब्बा 115 रुपये लीटर बिक रहा है।

सुमित

जमाखोरों की वजह से तेल के दाम में तेजी आ रही है। यदि सरकार की ओर से इन पर लगाम लगाई जाए तो काफी हद तक इसमें कमी आयेगी। खाद्य के सभी सामग्री में महंगाई डायन खाए जात है।

शिव कुमार गुप्ता

तिलहन और दलहन के साथ सब्जी के मूल्य बढ़ने से लोगों की रसोई पर असर पड़ा है। जहां पहले हजार रुपये में किचन का खर्च चल जाता था वहीं आज दस हजार रुपये भी कम पड़ जा रहे हैं।

शशी प्रभा पांडेय

मार्केट में सबसे ज्यादा मिलावटखोरों का बोलबाला है। इन पर किसी का भी नियंत्रण नहीं रह गया है। इनकी वजह से पब्लिक महंगाई की मार झेल रही है। सरकार को इस पर पहल करनी चाहिए।

जीतेंद्र गुप्ता

वर्जन

तिलहन की पैदावार कम होने से कुछ हद तक महंगाई बढ़ी है। सरकार महंगाई को कट्रोल करे तो काफी हद तक इसे कम किया जा सकता है।

सीताराम जायसवाल, संयुक्त व्यापार मंडल संयोजक