-संडे को मां ने चलती ट्रेन से दे दिया था धक्का

- हॉस्पिटल में इलाज जारी, घर से कोई नहीं आया मिलने

GORAKHPUR: अपने ही मां के हाथों मौत के मुंह में धकेली जा चुकी रिंकी की जान तो बच गई, लेकिन तमाम रिश्ते-नाते टूट गए। आलम यह है कि जिला अस्पताल में अपने जख्मों पर खुद ही मरहम लगा रही रिंकी का दर्द बांटने वाला कोई नहीं है। आंसू भरी निगाहों से आने-जाने वालों को देख रही रिंकी चाहती है कि कोई अपना आए और एक बार उसके सिर पर हाथ फेर दे। यहां पर अगर रिंकी से मिलने कोई अगर आया भी तो जीआरपी पुलिस या फिर जिला अस्पताल की डॉक्टर, नर्स और दाई।

कोई नहीं आया

जिला अस्पताल में घायलावस्था में भर्ती रिंकी से जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पूछा कि कोई घर से आया था, तो उसकी आंखें गीली हो गई, लेकिन जुबां खामोश थी। कुछ खाने के सवाल पर बोली सुबह चार पुलिस वाले आए थे। उसके बाद दो महिला पुलिसकर्मी आई थीं खाना लेकर। एक महिला पुलिस हैं जो बार-बार पूछने आ रही हैं। इसके बाद एक फिर रिंकी खामोश होकर टकटकी लगाए देखने लगती है।

तीन दिन बाद भी नहीं दर्ज हुआ मुकदमा

संडे की सुबह रिंकी की मां ने ट्रेन से धक्का दे दिया था। ट्रेन से गिरी रिंकी गंभीर रूप से घायल हो गई। जीआरपी ने सक्रियता दिखाते हुए लड़की को इलाज के लिए भर्ती तो करा दिया, लेकिन तीन दिन हो गए अभी तक इस मामले में किसी के ऊपर एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। गोरखपुर के जीआरपी प्रभारी गिरजाशंकर त्रिपाठी का कहना है कि लड़की देवरिया जीआरपी के एरिया में घायल अवस्था में पड़ी मिली थी, लेकिन गोरखपुर जीआरपी ने उस लड़की को जिला अस्पताल पहुंचाया और इलाज की व्यवस्था की। मामला देवरिया के एरिया में होने के कारण वहां के प्रभारी को पत्र लिखकर जानकारी दे दी गई है। अभी हम लोग लड़की के स्वस्थ होने का इंतजार कर रहे हैं।

कुछ लोगों ने फोन करके हमें जानकारी दी है कि रिंकी का केस देवरिया जीआरपी को मिला है, हालांकि अभी तक कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है, लिखित आदेश मिलने के बाद जांच की जाएगी और एफआईआर भी दर्ज होगी।

-सुधीर कुमार सिंह, प्रभारी, जीआरपी देवरिया

अभी लड़की के इलाज की व्यवस्था जीआरपी की ओर से की जा रही है। लड़की के ठीक होने के बाद उसका बयान लेकर एफआईआर दर्ज कराया जाएगा।

-विजय शंकर सिंह, सीओ जीआरपी, गोरखपुर