गोरखपुर (ब्यूरो)।दृष्टि दोष से उनको बचा लिया जाएगा। भारत में पहली बार हुए इस स्टडी से यह बात साफ हो गई है कि इस बीमारी से पहले रेटिना के पीछे कोरायड लेयर में सूजन शुरू हो जाती है। यदि इसे प्रारंभिक स्तर पर ही कंट्रोल कर लिया जाए तो रेटिनोपैथी नहीं होगी।
आंख के पर्दे में हो जाती है सूजन
आमतौर पर डायबिटिक पेशेंट्स को रेटिनोपैथी बीमारी हो जाती है। इसमें आंख के पर्दे में सूजन व रक्तस्राव हो जाता है, जिससे रोशनी कम हो जाती है। जितनी रोशनी कम हो चुकी है, वह इलाज के बाद भी वापस नहीं आती है। स्टडी में पता चला कि रेटिनोपैथी के पूर्व कोरायडोपैथी होती है। इसमें आंख के पर्दे के पीछे कोरायड लेयर में सूजन व रक्स्राव होने लगता है। यदि समय से इसकी जांच कर इलाज कर दिया जाए तो उसका प्रभाव रेटिना पर नहीं आता।
स्टडी में 64 पेशेंट्स की 128 आंख शामिल
स्टडी में 64 पेशेंट्स की 128 आंखें शामिल की गईं। इनमें से 113 में रेटिनोपैथी व कोरायडोपथी दोनों मिली। इसके पूर्व इस तरह का स्टडी कोरिया व चीन में किया गया था। स्टडी को इंडियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल ऑप्थलमोलाजी, नई दिल्ली में प्रकाशित करने के लिए भेज दिया गया है।
स्टडी से स्पष्ट हो गया है कि डायबिटिक के पेशेंट्स को नियमित कोरायडोपैथी की जांच कराते रहना चाहिए। यदि कोरायड लेयर में दिक्कत शुरू हो तो तत्काल उपचार कराने से रेटिना प्रभावित नहीं होने पाता।
- डॉ। रामकुमार जायसवाल, एचओडी, नेत्र रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज
ओपीडी में आए 64 डायबिटिक पेशेंट्स की 128 आंखों को स्टडी में शामिल किया गया था। 113 आंखों में रेटिनोपैथी व कोरायडोपैथी दोनों बीमारी मिली। पता चला कि रेटिनोपैथी से पूर्व कोरायडोपैथी होती है।
- डॉ। राजश्री पांडेय, रिसर्चर