- मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी बोले, मीडिया दे रहा तूल
- नगर निगम के पास नहीं है कांजी हाउस, वेटरनरी डॉक्टर भी नहीं है मौजूद
GORAKHPUR : सिटी की सड़कों पर घूम रहे आवारा जानवरों ने गोरखपुराइट्स का रोड पर चलना मुहाल कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में दो व्यापारी आवारा सांड़ के हमले में घायल होकर अपनी जान गंवा जा चुके हैं। आई नेक्स्ट ने जब इस बारे में जिम्मेदारों से सवाल किये तो मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने की जगह उल्टे मीडिया को ही दोषी ठहराने लगे। नगर आयुक्त भी ये बात स्वीकारते दिखे कि उन पर एनजीओ का दबाव रहता है।
एनजीओ से डरता है नगर निगम!
नगर निगम आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए कागजी कार्रवाई करता है। आई नेक्स्ट की इनवेस्टिगेशन में ये बात सामने आई कि जानवरों के हित के लिए काम करने वाले एनजीओ से नगर निगम घबराता है। नगर निगम के पास न तो कांजी हाउस है, न ही जानवरों का इलाज करने के लिए डॉक्टर। इन्हीं दो प्वाइंट्स पर एनजीओ नगर निगम को कोर्ट में घसीट लेते हैं और नोटिस थमा देते हैं। इस बात को नगर आयुक्त भी स्वीकारते है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
घटना के बाद ही नगर आयुक्त और मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को सख्त निर्देश दिये गये। आवारा जानवरों को पकड़ने की डेली मॉनिटरिंग की जा रही है। नगर निगम कोई ढिलाई नहीं करने वाला है। आवारा जानवरों को पकड़ने में नगर निगम किसी के आगे नहीं झुकेगा।
डॉ। सत्या पांडेय, मेयर
डेली आवारा जानवर पकड़े जा रहे हैं। हम मीडिया में इस मामले को प्रचारित नहीं कर रहे हैं क्योंकि अगर हम इसकी जानकारी दे देंगे तो एनजीओ वाले उस जगह पहुंच कर हंगामा करने लगेंगे। आवारा जानवरों को पकड़ने की मॉनिटरिंग खुद कर रहा हूं। कई गोशालाओं से बात की गई है, जहां आवारा जानवर रखे जाएंगे। जल्द ही सिटी के सभी आवारा जानवर पकड़ लिए जाएंगे।
राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त
गोरखपुर से अधिक सांड़ बनारस में हैं, लेकिन वहां ऐसी घटनाएं नहीं होती। गोरखपुर में एक छोटी सी घटना को मीडिया तूल दे रहा है। नगर निगम ने पहली घटना होने के बाद से ही आवारा जानवरों को पकड़ने का काम शुरू कर दिया है।
डा। अरूण कुमार, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी