गोरखपुर (ब्यूरो).मगर इसके बावजूद उनको कैंपस में गाइड नहीं मिल रहा है। इनकी शिकायत है कि यूनिवर्सिटी में सीट खाली होने के बावजूद इन्हें काफी दूर-दूर तक के कॉलेजों में भेजा जा रहा है। पीएचडी में एडमिशन के टाइम पर डिग्री कॉलेज से रिसर्च गाइड उपलब्ध कराने की कोई सूचना नहीं दी गई थी।
एक प्रोफेसर के अंडर में मैक्सिमम 8 स्कॉलर
गोरखपुर यूनिवर्सिटी के रिसर्च आर्डिनेंस के अनुसार एक प्रोफेसर अपने अंडर में 8 से अधिक रिसर्च स्कॉलर को गाइड नहीं कर सकते। एक एसोसिएट प्रोफेसर 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर अधिकतम 4 स्कॉलर्स को गाइड कर सकते हैं। हालांकि एजुकेशन डिपार्टमेंट की डीन और एचओडी प्रो। शोभा गौड़ ने बताया कि मैं अभी बाहर हूं और मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिक्षा शास्त्र विभाग में पीएचडी की सीटों को शोध अध्यादेश 2021 का उल्लंघन करते हुए कम किया जा रहा है और सत्र 2020 -21 के शोधार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर में शोध करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। शोधार्थियों को महाविद्यालय में शोध करने के लिए जबरन भेजा जा रहा है।
पीयूष मिश्रा, रिसर्च स्कॉलर, एजुकेशन डिपार्टमेंट
गोरखपुर विश्वविद्यालय में हमने 2020-21 सत्र में प्रवेश लिया था मगर लगभग डेढ़ साल के बाद विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय में शोध करने के लिए भेजा जा रहा है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश 2021 को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है।
-अजीत जायसवाल, रिसर्च स्कॉलर, एजुकेशन डिपार्टमेंट
बीएससी से लेकर एमएड तक की पढ़ाई गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर से ही किया है। अब शोध के लिए महाविद्यालय में भेजा जा रहा है। गोविवि शोध अध्यादेश 2021 और यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार अभी भी शिक्षाशास्त्र विभाग में सीट खाली है। हम सभी को परिसर से शोध पर्यवेक्षक अलॉट किया जाए।
-प्रदीप सिंह, रिसर्च स्कॉलर, एजुकेशन डिपार्टमेंट
गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश 2021 में एक प्रोफेसर 8 शोधार्थियों को शोध करा सकते थे लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उसे घटाकर 6 किया जा रहा है जो अध्यादेश का पूरी तरह से उल्लंघन है।
- निमिषा बाजपेई, रिसर्च स्कॉलर, एजुकेशन डिपार्टमेंट