- दो साल से जेल में बंद आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी की बेच दी जमीन
- मामला खुलने पर एआईजी ने लिया एक्शन, रजिस्ट्री कैंसिल करने के साथ दिया एफआईआर का निर्देश
GORAKHPUR : जमीन का मालिक कोई और बेच किसी ने दिया। ऐसे कई किस्से सुने होंगे और जिला प्रशासन से लेकर पुलिस अधिकारियों के बीच भटकते पीडि़तों को देखा होगा। गोरखपुर में यह अवैध धंधा जोरों से चल रहा है। इसका एक खुलासा तब हुआ जब रजिस्ट्री विभाग के पास जेल से एक कंप्लेंट आई। जिसमें सीनियर जेल सुप्रिटेंडेंट और जेलर ने एक कैदी की ओर से कंप्लेंट की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि दो साल से बंद कैदी की जमीन को कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से बेच दिया है। मामले की जांच करते हुए सहायक महानिरीक्षक ने खुद असलियत जानने की कोशिश की जिसमें मामला पूरी तरह सही मिला। इससे सहायक महानिरीक्षक राम शंकर सिंह ने कार्रवाई करते हुए न सिर्फ पूरा बैनामा कैंसिल कर दिया, बल्कि फर्जी तरीके से बैनामा कराने में शामिल सभी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
दो साल पहले हुई थी रजिस्ट्री
करीब डेढ़ साल पहले 26 नवंबर 2014 को रजिस्ट्री ऑफिस में बेलीपार निवासी अवधेश चौबे ने महाराष्ट्र के नासिक अशोक नगर की रहने वाली गुडि़या को करीब 25 डिसमिल जमीन 4 लाख 90 हजार की बेची थी। जमीन का बैनामा होने के बाद गुडि़या अपने घर नासिक चली गई जबकि जमीन पर कब्जा असली अवधेश का है। इधर जमीन बिकने की जानकारी जब अवधेश चौबे की पत्नी को हुई तो उसने 26 अप्रैल 2015 को जेल में मिलकर अपने पति को इसकी जानकारी दी जो वर्तमान में गोरखपुर जेल में 278/09 में हुए फैसले के तहत आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। अवधेश ने जेल के अधिकारियों को घटना की जानकारी देने के साथ उनसे रजिस्ट्री विभाग को कंप्लेंट कराई। साथ ही अवधेश की वाइफ ने भी एक कंप्लेंट की। मामले की शिकायत होने पर रजिस्ट्री विभाग भी चौंक गया। जब अवधेश 1 सितंबर 2014 से जेल में बंद है, तो रजिस्ट्री कराने कौन आया था। सहायक महानिरीक्षक राम शंकर सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दे दिया। जांच में पूरा मामला सही पाया गया। जमीन का व्यापार करने वाले कुछ लोगों ने मिलकर षडयंत्र रच कर यह बैनामा कराया था।
फोटो चेंज कर कराई रजिस्ट्री
एआईजी स्टांप ने बताया कि अवधेश जेल में बंद था जिसकी जानकारी जमीन का कारोबार करने वाले कुछ लोगों को थी। उन लोगों ने फर्जी फोटो लगाकर षडयंत्र कर बैनामा करा लिया। उन्होंने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने का भी निर्देश दिया है। अब यह पुलिस की जांच का विषय है कि फर्जीवाड़ा सिर्फ बैनामा कराने वालों ने किया है या फिर खरीदने वाली पार्टी इस पूरे मामले में शामिल थी।
बैनामा करते समय बारीकी से जांच की जाती है, फिर भी कई मामलों में गलतियां हो जाती हैं। इस मामले में भी कंप्लेंट आई थी जिसकी जांच की गई। जांच में पूरा मामला सही पाया गया। अवधेश चौबे जब दो साल से जेल में बंद है, तो वह जमीन का बैनामा कैसे कर सकता है। वह अब भी जेल में बंद है। जांच में पता चला कि षड़यंत्र रच कर फर्जी तरीके से बैनामा कराया गया था। बैनामा कैंसिल करने के साथ एफआईआर के आदेश दिए गए हैं।
राम शंकर सिंह, सहायक महानिरीक्षक निबंधन