- ई रिक्शा के लिए सरकार ने जारी किया संशोधित कानून
- रजिस्ट्रेशन, परमिट के साथ इंश्योरेंस भी जरूरी, ड्राइवर्स को लेना होगा लाइसेंस
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : पॉल्युशन की जद से कोसों दूर एनवायर्नमेंट फ्रेंडली ई-रिक्शा को चलाना, कॉमर्शियल व्हीकल चलाने जैसा होगा। बस फर्क सिर्फ इतना होगा कि इससे पॉल्युशन नहीं फैलेगा, जबकि दूसरे कॉमर्शियल व्हीकल गैस, एलपीजी से चलने की वजह से पॉल्युशन फैलाते हैं। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने अब ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन भी मस्ट कर दिया है। इन गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन भी मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कॉमर्शियल व्हीकल में किया जाएगा। इसके साथ ही गाड़ी के बाकी कागजात को भी ट्रांसपोर्ट व्हीकल की तरह ही अपडेट करना होगा।
आरटीओ ऑफिस पहुंचा जीओ
फ्राइडे को इससे संबंधित जीओ आरटीओ ऑफिस पहुंच गया। आरटीओ एम अंसारी ने बताया कि इस जीओ में कई हिदायतें दी गई है। इसके तहत जहां रजिस्ट्रेशन मस्ट है, वहीं गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर के पास लाइसेंस होना भी जरूरी है। ऐसा न होने की कंडीशन में उसकी गाड़ी का चालान होगा और सीज की कार्रवाई भी की जा सकती है, इतना ही नहीं उन्हें अपनी गाड़ी का इंश्योरेंस भी कराना होगा, जिससे एक्सीडेंट की कंडीशन में कोई प्रॉब्लम न हो।
रजिस्टर्ड होंगे ई रिक्शा एसोसिएशन
ई-रिक्शा को बेहतर ढंग से चलाने के लिए एक और नई पहल की गई है। इसके तहत ई-रिक्शा एसोसिएशन रजिस्टर्ड होंगे। इस एसोसिएशन के पास पूरा अधिकार होगा कि वह प्रॉपर वे में जांच के बाद ही उसे रजिस्ट्रेशन के लिए आगे पेश करेंगे। एसोसिएशन रिक्शा ड्राइवर्स को लाइसेंस के लिए फार्म 22 प्रस्तावित करेंगे। यही नहीं ई-रिक्शा के लिए जबतक कोई कंपनी ऑथराइज नहीं हो जाती तबतक ई-रिक्शा का चेसिस नंबर भी यही प्रोवाइड करेंगे।
दूर होगी गैस की किल्लत
बैट्री चालित ई रिक्शा से न तो धुआं निकलता है और न ही उसमें कोई आवाज होती है। इसकी वजह से पॉल्युशन से काफी हद तक छुटकारा मिलेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें ऑटो और टेम्पो की तरह एलपीजी भी नहीं यूज होता। जिसकी वजह से गैस की काफी हद तक किल्लत कम हो सकेगी। ऐसा पाया गया है कि सिटी में चलने वाले आटो और टैंपो में घरेलू गैस का इस्तेमाल किया जाता है।
ई-रिक्शा के लिए रजिस्ट्रेशन और परमिट लेना मस्ट कर दिया गया है। वहीं इसके ड्राइवर्स को लाइसेंस भी लेना होगा। इससे संबंधित जीओ आ चुका है, जल्द ही इसपर कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
- एम अंसारी, आरटीओ