- गोरखपुर में नजर आने लगी हैं रेयरेस्ट बर्ड्स
- शहर में बर्ड टूरिज्म को दिया जा सकता है बढ़ावा
GORAKHPUR: शहर की बदलती फिजा में परिंदों को परवाज मिलने लगी है। पिछले कुछ वक्त में गोरखपुर में कई ऐसी रेयर बर्ड्स देखने को मिली हैं, जिनके यहां होने के चांसेज बहुत कम होते हैं। वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स इस बात पर खुद हैरान होने के साथ खुश भी हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन पक्षियों को अनुकूल माहौल देकर इनकी तादाद बढ़ाई जा सकती है। इससे शहर में बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही शहर के वन्यजीव प्रेमियों को भी मदद मिलेगी।
परिवेश बदला तो बढ़ा दायरा
वाइल्डलाइफ से जुड़े लोगों का कहना है कि रेयरेस्ट प्रजाति की कभी-कभार नजर आने वाली पक्षियों की तादाद लगातार बढ़ी है। परिवेश बदलने की वजह से पक्षियों ने बसेरा बनाया है। वाल्मिकी नगर रिजर्व से शुरू होकर पीलीभीत रिजर्व तक तराई इलाका है। इस इलाके में वन्य जीवों और पक्षियों के लिए परिवेश बनते हैं। गोरखपुर का इलाका पहले से तराई का पार्ट रहा है। इसलिए यहां पर रेयरेस्ट बर्ड्स नजर आने लगी हैं।
ये बर्ड्स आ रहीं नजर
जामुनी जलमुर्गी: मुर्गी के आकार की यह पक्षी तालाब और झील में पाई जाती हैं। इनकी बड़ी संख्या रामगढ़ ताल में नजर आ रही है।
कालपुठ अंगारा कठफोड़वा: मैना के आकार का पक्षी खुल वन क्षेत्रों और बागीचों में नजर आता है। हाल ही इसे गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कैंपस में देखा गया।
नवरंग पिट्टा : बटेर की तरह दिखने वाली बर्ड्स झाड़ीदार जंगल, सूखे पतझड़ों, घने और सदाबहार जंगलों में पाई जाती है। विनोद वन में इसे देखा गया है। गोरखपुर में पहली बार इस बर्ड को देखा गया है।
ग्रेटर पेंटेड स्निप: जंगली मुर्गी के आकार की पक्षी रामगढ़ताल में आ रही हैं। गोरखपुर में इनको पहली बार देखा गया है।
कौरिल्ला किलकिला: मैना के जैसे नजर आने वाली इस प्रजाति की बडर््स नदी, झील, तालाब के पास मिलती हैं। जिले के छोटे-छोटे तालाबों और रामगढ़ताल में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
वर्जन
फूड और सिक्योरिटी के लिए पक्षी पलायन करते हैं। प्राकृतिक परिवेश को बचाकर इनको सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए वेटलैंड को बचाने का प्रयास होना चाहिए। प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित करने के लिए आसपास इलाके में किसी तरह का कंस्ट्रक्शन न होने दें। इससे इन पक्षियों की तादाद बढ़ाई जा सकती है।
चंदन प्रतीक, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट