लाइनक्स अभी सेफ
हैकर्स ने जो वायरस डिजाइन किया है, उनके दर्जन भर से ज्यादा एक्सटेंशंस हैं। यह एंटी वायरस रन कराने के दौरान स्कैनिंग में तो सामने आ रहे हैं, लेकिन न तो यह डिलीट हो रहे हैं और न ही एक्सपट्र्स इन्हें अनइंफेक्टेड कर पा रहे हैं। नाइलिट के साइबर सेल ने इस मामले में प्रिकॉशन जारी किया है। इसके तहत यह वायरस खास तौर पर विंडोज को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। लाइनक्स का कोई केस अभी अभी सामने नहीं आया है। तो अगर पॉसिबिल्टी हो तो लोग लाइनक्स ओएस का इस्तेमाल करें। वहीं, विंडोज का अगर इस्तेमाल किया जा रहा है, तो वह जेनविन हो और अपडेटेड हो।
मार्केट में 80 फीसदी पाइरेटेड
एक्सपट्र्स की मानें तो मार्केट में इस वक्त जो विंडो यूज की जा रही है, चाहे वह एक्सपी हो, 7, 8 या फिर 10, ज्यादातर को क्रैक कर इस्तेमाल किया जा रहा है। यानी सभी सॉफ्टवेयर वर्क तो कर रहे हैं, लेकिन इनमें अपडेशन की कोई फैसिलिटी नहीं है। मार्केट की बात करें तो जेनविन और पाइरेटेड का रेश्यो 80:20 का है। पाइरेटेड विंडोज की सीडी मार्केट में आसानी से 100 रुपए में अवेलबल है। इसके साथ आपको क्रैक फाइल भी मिल जाती है, जो विंडोज वर्क करने के लिए काफी है।
काम के लायक, सिक्योर नहीं
टेक एक्सपट्र्स की मानें तो 20-25 हजार रुपए कंप्यूटर में इनवेस्ट करने वाले लोग, दो-चार हजार के लिए जेनविन और पाइरेटेड के बीच समझौता कर लेते हैं। शाही मार्केट में भी जो कंप्यूटर दिए जाते हैं, उनमें मैक्सिमम पाइरेटेड ओएस डालकर दिए जाते हैं। इसका ड्रा बैक यह है कि इसमें बाकी फीचर तो इस्तेमाल किए जा सकते हैं, लेकिन जब बात सिक्योरिटी की आती है तो यहां पर आकर पाइरेटेड सिस्टम फेल हो जाते हैं। ओएस या सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनीज अपने ओएस में रेग्युलर अपडेट करती रहती हैं, इसमें सिक्योरिटी फीचर्स के साथ काफी कुछ होता है। मगर इसका फायदा सिर्फ जेनविन विंडोज यूजर्स को ही मिल पाता है। वहीं हाल ही में हुए हमले के लिए भी माइक्रोसॉफ्ट ने पैच फाइल रिलीज की थी, जेनविन विंडो यूजर्स को इसका फायदा मिला, लेकिन पाइरेटेड ओएस यूजर्स सिर्फ हाथ मलते रह गए।
यमाहा में भी था पाइरेटेड ओएस
भारत ट्रेडिंग कंपनी में हुई हैकिंग की बात करें तो यहां विंडोज-7 का इस्तेमाल किया जा रहा था। मगर यह सॉफ्टवेयर भी क्रैक फाइल के जरिए ही इंस्टॉल किया गया है, जिसमें अपडेट करने की फैसिलिटी नहीं है। इसकी वजह से एक्सटेंशन क्लिक होने या अननोन सोर्स से वाइरस अटैक होने पर इंफेक्टेड फाइल कंप्यूटर में ट्रांसफर हो गई, जिसकी वजह से कंप्यूटर हैक हो गया। कंप्यूटर ऑपरेटर अमित की मानें तो इसमें कई रिकवरी एजेंसीज का सहारा लिया गया है, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वायरस स्कैन कराने पर 432 फाइल्स फाउंड हुई, लेकिन इसको हटाने में कोई भी एंटी वायरस नाकाम रहा।
गवर्नमेंट ने भी जारी की चेतावनी
इस मामले में गवर्नमेंट ने भी अपने लेवल से अवेयरनेस कैंपेन छेड़ दिया है। जहां ई-मेल के जरिए सभी यूजर्स को वॉर्निंग इशु की जा रही है। वहीं, दूसरी ओर वेबकास्ट ट्यूटोरियल के जरिए इसके अफेक्ट, बैक हिस्ट्री के साथ ही बचने के तरीके भी बताए जा रहे हैं। इसके लिए मेल में लिंक भी दिया हुआ है, जिसपर क्लिक कर डायरेक्ट लिंक कर पहुंचा जा रहा है और वेबकास्ट देखी जा सकती है।
यह हैं पॉसिबल एक्सटेंशन
.ecc, .ezz, .exx, .zzz, .xyz, .aaa, .abc, .ccc, .vvv, .xxx, .ttt, .micro, .crypto, _crypt, .crinf, .r5a, .XRNT, .XTBL, .crypt, .R16M01D05, .pzdc, .good, .LOL!, .OMG!, .RDM, .RRK, .encryptedRSA, .crjoker, .EnCiPhErEd, .LeChiffre, .keybtc@inbox_com, .0x0, .bleep, .1999, .vault, .HA3, .toxcrypt, .magic, .SUPERCRYPT, .CTBL, .CTB2, 6-7 length extension consisting of random characters
नाइलिट की आईटी सेल लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं। करीब तीन दर्जन से ज्यादा पॉसिबल एक्सटेंशन जारी किए गए हैं, जिनके जरिए कंप्यूटर का इंफेक्ट किया जा रहा है। यह सभी एक्सटेंशन विंडोज ओएस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। अगर पॉसिबल हो तो लाइनक्स ओएस का इस्तेमाल किया जाए, क्योंकि इससे जुड़ा कोई भी केस अब तक रिपोर्ट नहीं किया गया है।
- निशांत त्रिपाठी, डिप्टी डायरेक्टर, नाइलिट
इस मामले में कैंट थाने में तहरीर दे दी गई है। लोकल लेवल पर डाटा रिकवर कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अब हार्ड डिस्क को दिल्ली भेजा जा रहा है।
- संदीप वैश्य, ओनर, भारत ट्रेडिंग कंपनी (यमाहा)