- रामगढ़ ताल में प्रदूषण के कारण मछलियों को सांस लेने में परेशानी, बदबू से पब्लिक परेशान

- पूरी बरसात चला ही नहीं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, हरा हो गया है ताल का पानी, बढ़ने लगा जलकुंभी का खतरा

GORAKHPUR: रामगढ़ताल एक बार फिर जिम्मेदारों की अनदेखी का शिकार होकर कराहने लगा है। ताल को प्रदूषण से निजात दिलाने वाली कार्यदायी संस्था ही ताल में गंदगी फैलाने का सबब बन गई है। संस्था की लापरवाही के कारण ताल का पानी हरा हो गया है फिर से ताल में जलकुंभी फैलने का खतरा शुरू हो गया है। ताल में फैल रही काई को जल्द ही नहीं हटाया गया तो ठंड बीतने तक पूरा ताल इसकी चपेट में आ जाएगा।

काई से होती है जलकुंभी

रामगढ़ताल के पानी में फैली काई से ताल हरा-हरा दिखने लगा है। लेकिन यह हरा रंग न तो पर्यटकों को सुखद अहसास कराता है और न ही ताल की खूबसूरती बढ़ा रहा है। काई के चलते बदला पानी का यह रंग ताल देखने आने वालों की चिंता बढ़ा रहा है। हैरत यह है कि जिम्मेदार अब भी नहीं जाग रहे। जल निगम के रामगढ़ताल परियोजना अधिकारी रतनसेन सिंह का कहना है कि यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने इस काई पर दो साल पहले रिसर्च किया था। रिपोर्ट में उन्होंने रामगढ़ताल की जलकुंभी का कारण इसी काई को बताया है। एक बार जलकुंभी कंट्रोल कर ली गई थी लेकिन फिर काई के कारण यह हो सकता है।

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गंदे पानी से मिल रही काई को खुराक

2009 में रामगढ़ताल को साफ करने के लिए योजना बनी और सबसे पहले एसटीपी (सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण कराया गया। इस योजना के तहत रामगढ़ताल में नालों का पानी गिरने से पहले उसे एसटीपी में गिराना था। यहां पानी को साफ करने के बाद ही उसे रामगढ़ताल में जाने देना था। लेकिन शहर के एक तिहाई हिस्से का पानी ही एसटीपी से साफ होकर ताल में पहुंचा है। क्योंकि बरसात में डेढ़ माह तक एसटीपी पूरी तरह बंद रहा और ताल में गंदगी भरती रही। गंदे पानी से ही काई को खुराक मिली है और काई पूरे ताल में फैल गई है।

यह योजना है फैल

मोहद्दीपुर में आरकेबीके पास और तीन गेट लगाने थे, जो आज तक नहीं लग पाएं है, जिसके कारण मेडिकल कालेज एरिया का गंदा पानी गोडधोईया नाले से आकर सीधे रामगढ़ताल में गिर रहा है। यहां पर गेट के पास दिन में एक तरफ हरा और दूसरी तरफ काला पानी दिख रहा है।

यहां से आता है इतना गंदा पानी

पैड़लेगंज से मोहद्दीपुर- 3.5 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली)

मोहद्दीपुर से पुलिस चौकी व आरकेबीके तक- 6.5 एमएलडी

कूड़ाघाट की तरफ के नाले से- 15 एमएलडी

आरकेबीके के पास के गेट से- 5 एमएलडी (बारिश के समय यह 10 एमएलडी तक हो जाता है)

नोट- यह आंकड़े जल निगम के हैं।

वर्जन

ताल के नेचर के कारण इस समय पानी हरा हुआ है, इसको रोकने के लिए कार्य किया जाएगा। हरी काई से जलकुंभी पैदा होती है लेकिन इसे रोकने में समय लगेगा।

रतनसेन सिंह, परियोजना अधिकारी, रामगढ़ताल, जल निगम