- बजट में दोहरी मार झेलने के बाद अब बारिश और ओला पड़ने से आलू, सरसों के साथ दलहन की फसलों को नुकसान
- कम पैदावार होने से इसके रेट भी बढ़ने के आसार
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : अच्छे दिनों का ख्वाब सजाए गोरखपुराइट्स को किस्मत धोखा देने में लग गई है। पहले रेल बजट, फिर आम बजट और अब मौसम की मार ने गोरखपुराइट्स की परेशान बढ़ा दी है। इन सभी का असर सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ना तय है। इन दोनों बजट में कुछ फेवरेबल न होने से सभी बुनियादी चीजों के दाम बढ़ने तय हैं, जिसका सीधा असर आम आदमी पर ही पड़ेगा। सरकार की बेरुखी के बाद अब कुदरत का कहर लोगों को कंगाल करने में जुट गया है, जिसका इलाज किसी के पास भी नहीं है।
आलू, सरसों और दलहनी फसल पर पड़ेगा मौसम का इफेक्ट
मौसम की मार से आम आदमी की जेब पर एक और बोझ बढ़ना तय हो गया है। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की मानें तो हल्की बूंदा-बांदी, ओले और तेज हवा की वजह से कई फसलें बर्बाद होंगी। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान सरसों और दलहनी फसल मटर और चने को होगा। इसके अलावा आलू पर भी यह मौसम असर दिखाएगा। इन सबके बीच सिर्फ गेहूं ही ऐसी फसल है जिसको मौसम के इस रुख का फायदा मिलेगा।
सरसों के फूल डैमेज होने से कम होगी पैदावार
मौसम के इस रुख का सबसे ज्यादा इफेक्ट सरसों पर पड़ेगा। एक्स्पर्ट्स की मानें तो तेज हवा की वजह से फूल डैमेज होंगे, तो फ्लावरिंग स्टेज में बीज नहीं बनेंगे। इससे पैदावार पर ऑटोमेटिक इफेक्ट पड़ना है। वहीं बारिश का सबसे ज्यादा असर आलू पर पड़ेगा, वह भी उनपर जो अब तक खुदे नहीं है। आलू की खुदाई के बाद इसमें फंगस लगने के चांसेज काफी कम होते हैं, मगर जिनकी खुदाई नहीं हुई है, उनपर पानी पड़ने से फंगस और काले धब्बे पड़ जाते हैं जिसकी वजह से आलू जल्दी खराब हो जाता है।
चना और मटर पर भी इफेक्ट
मौसम के इस रुख का असर दलहनी फसलों पर भी पड़ रहा है। दलहनी फसलों में चना और मटर आते हैं। चना काफी देर में होता है जिससे उसकी क्वालिटी बेहतर होती है, मगर इस मौसम में वेजिटेशन ग्रोथ बढ़ जाने की वजह से फल कम हो जाएगा जिससे मार्केट में भी अवेलिबिल्टी कम होगी और इन सभी के दाम भी बढ़ जाएंगे। गेहूं के लिए यह मौसम बिल्कुल फेवरेबल है, जिससे इसकी ग्रोथ होगी और नॉर्मल पैदावार होने से इस पर कोई खास इफेक्ट नहीं पड़ेगा।
इस मौसम से आलू, सरसों और दलहनी फसल चना और मटर को काफी नुकसान होगा। वहीं गेहूं की फसल को फायदा होगा।
डॉ। महेश्वर प्रसाद, डीन एग्रीकल्चर, डीडीयू