गोरखपुर (ब्यूरो)।इस बार इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम के लिए 23 करोड़ का बड़ा बजट आवंटित किया गया है। इससे तीनों डिवीजन के 12 रूटों पर इंटरमीडिएट सिग्नलिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। दरअसल, आइबीएसएस के जरिए एक लंबे रेलखंड को दो खंडों में विभाजित कर ज्यादा रेल गाडिय़ां चलाई जा सकती हैं। आइबीएस सिस्टम में ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ती, साथ ही स्टेशन मास्टर और ऑपरेटिंग स्टाफ की आवश्यकता होती है, जिससे एक्यूपमेंट्स, स्टेशन बिल्डिंग और ऑपरेटिंग स्टाफ पर होने वाले खर्च की बचत होती है।

ट्रेनों की भीड़ होगी कम

गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कुल 9 प्लेटफॉर्म हैैं। इन प्लेटफॉर्म पर करीब 250 से ज्यादा ट्रेनों का आवागमन होता है। लेकिन ट्रेनों के सिग्नल की वजह से कई ट्रेनें स्टेशन पर ही खड़ी रहती हैैं। सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह बताते हैैं कि आइबीएसएस पूरी तरह इलेक्ट्रानिक सिस्टम पर आधारित है, यह सिस्टम रेलगाडिय़ों की दूरी को कम से कम करती है और ट्रेन की स्पीड को बढ़ाती है, जिससे समय की बचत होती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अगर गोरखपुर से जगतबेला तक एक ब्लाक सिग्नल सिस्टम है तो जब तक गोरखपुर से छूटने वाली ट्रेन जगतबेला नहीं पहुंच जाती है, तब तक गोरखपुर से दूसरी ट्रेन नहीं चलाई जाएगी। ऐसे में अगर जगतबेला और गोरखपुर के बीच डोमिनगढ़ में इंटरमीडिएट ब्लाक सिगनल सिस्टम लगा दिया जाएगा तो पहली ट्रेन के डोमिनगढ़ के पहुंचते ही दूसरी ट्रेन गोरखपुर से चला दी जाएगी। इससे ट्रेनें जल्दी-जल्दी रवाना होंगी और प्लेटफार्म पर ट्रेनों की भीड़ कम होगी।

ऐसे काम करेगा आईबीएसएस

- दो सेक्शन के बीच एक और इंटरमीडिएट सेक्शन बनाने के लिए मिला बजट

- इस सिस्टम से स्टेशन से एक ट्रेन जाने के महज दो मिनट के अंदर ही रवाना हो सकेगी दूसरी ट्रेन

- इस बार के बजट इस सिस्टम के लिए मिला है सबसे अधिक 23 करोड़ का बजट

- इस बजट से तीनों मंडलों के 12 रूटों पर बनाए जाएंगे इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नल सिस्टम