- लोको पाइलट्स को मिलने वाली व्यवस्था से एंप्लाइज में नाराजगी
GORAKHPUR: लोको पायलटों और गार्डो की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ड्यूटी पर जाने से पहले श्वास परीक्षण करना पड़ रहा। गंतव्य पर पहुंचने पर एक ही रनिंग रूम में 24 घंटे तक रुकना पड़ रहा। अलग-अलग जोन और डिविजन से पहुंचे रेलकर्मी एक ही टेबल पर खाने को मजबूर हैं। टॉयलेट भी बदहाल हैं। ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
गोंडा की हालत ज्यादा खराब
गोरखपुर, गोंडा और छपरा जंक्शन स्थित रनिंग की स्थिति कमोबेश एक समान है। लेकिन गोंडा की हालत सबसे ज्यादा खराब है। सर्वाधिक परेशानी गोरखपुर से मालगाड़ी लेकर गोंडा पहुंचने वाले लोको पायलटों और गार्डो को हो रही है। लोको पायलट और गार्ड रनिंग रूम में रहना नहीं चाह रहे हैं। सबसे अधिक परेशानी मालगाडि़यों के लोको पायलटों और गार्डो को हो रही है। मालगाडि़यों की समय सारिणी नहीं होने के चलते उन्हें 24 से 30 घंटे तक रनिंग रूम में ही रुकना पड़ जा रहा है। रेलवे प्रशासन एक तरफ कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने को लेकर दबाव बना रहा, दूसरी तरफ एक ही टेबल और प्रसाधन केंद्र का उपयोग करा रहा है।
सेनेटाइज के साथ व्यवस्था की मांग
इसको लेकर रनिंग स्टाफ में आक्रोश है। आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने रनिंग रूम को सेनेटाइज कराने के साथ ही व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त ने लोको पायलट्स और गार्ड्स के प्रति रेलवे प्रशासन की उदासीनता को लेकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि रेलवे प्रशासन फ्रंट लाइन के कर्मचारियों को उनकी हालत पर छोड़ दिया है। रेलकर्मी लगातार संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी न उनकी तरफ ध्यान दे रहे और न ही समुचित इलाज करा रहे हैं। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में ट्रेनों के पहिए रुक जाएंगे। उन्होंने रेलवे प्रशासन से रनिंग स्टाफ और फ्रंट लाइन कíमयों को सुरक्षित करने तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।