गोरखपुर (सैयद सायम रऊफ)। बेटियां बेमिसाल हैं। टोक्यो ओलंपिक में बेटियों ने एक बार कमाल कर देश का मान बढ़ा दिया। सोमवार को हुए नेक टू नेक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाकर मेडल की दौड़ में शामिल होने वाली टीम इंडिया पर हर किसी को नाज है। खासतौर पर गुरजीत कौर का नाम तो सभी की जुबां पर है। हो भी क्यों न, देश को वुमेंस हॉकी में ओलंपिक मेडल की राह पर ले जाने वाला उनका ही गोल है, जिसे अब इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। ओलंपिक हॉकी में कमाल करने वाली गुरजीत कौर रेलवे और टीम इंडिया का यूं ही हिस्सा नहीं बनी हैं, बल्कि गोरखपुर की बिटिया ने खूब पसीना बहाने और कोशिशों के बाद ऐसे नायाब हीरे को चुना और तराशा है, जिसपर आज सारा देश नाज कर रहा है।
2011-12 से शुरू की तलाश
गोरखपुर में पली बढ़ी और यहीं पर एनई रेलवे की जॉब करने वाली पुष्पा श्रीवास्तव वेटरन कैटेगरी में साल 2015-16 में रानी लक्ष्मी बाई अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी हैं। गोरखपुर के बाद उन्हें इलाहाबाद डीआरएम ऑफिस में पोस्टिंग मिली। वहां पर उन्हें 2011-12 में हॉकी टीम को नए सिरे से खड़ा करने की जिम्मेदारी मिली। हॉकी का खाया और उसी से नाम कमाया, इसलिए बिना कुछ सोचे ही पुष्पा होनहारों की तलाश में देश की खाक छानने में जुट गईं। हर इवेंट पर उन्होंने नजर रखी और कई प्रदेशों में जाकर खिलाडि़यों की तलाश की। टीम बनाई, जिसमें गुरजीत और निशा जोकि टोक्यो ओलंपिक में टीम इंडिया का हिस्सा हैं, उन्हें भी सेलेक्ट किया।
2016 में हुई तैनाती
चार साल की कड़ी मेहनत के बाद गोरखपुर की बिटिया पुष्पा ने अपना मिशन पूरा किया। रिक्वेस्ट की और खिलाडि़यों ने भी उनका सम्मान करते हुए एक बार में ही उनके साथ जाने के लिए हामी भर ली। अगस्त 2016 में गुरजीत और निशा का एनसीआर में अप्वाइंटमेंट हुआ। मुख्य रूप से पंजाब के अमृतसर की रहने वाली गुरजीत पर्सनल ब्रांच की कार्मिक शाखा में सीरियर क्लर्क के तौर पर काम कर रही हैं, जबकि हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली निशा की पोस्टिंग कॉमर्शियल डिपार्टमेंट में हैं।
कमाल दिखा चुकी हैं गुरजीत
ओलंपिक में कमाल देखाने वाली गुरजीत कौर पहले भी रेलवे और इसके बाद टीम इंडिया के लिए कमाल दिखा चुकी हैं। एशियन गेम्स जकार्ता में इनके ही गोल से टीम इंडिया ने सेमीफाइनल में एंट्री पाई थी। वहीं वर्ल्डकप, कॉमन वेल्थ जैसे गेम्स में गुरजीत टीम इंडिया का हिस्सा रह चुकी हैं। गुरजीत का गेम काफी अच्छा था, जिसकी वजह से पहले इंडियन रेलवे फिर नेशनल टीम और इसके बाद इंडिया कैंप और टीम का इंडिया का हिस्सा बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। 2018 में उनका सपना पूरा हो गया। वहीं निशा का यह पहला मेजर टूर्नामेंट है। उनका सेलेक्शन टीम इंडिया के लिए एक साल पहले ही हो गया था, लेकिन कोविड की वजह से उन्हें परफॉर्म करने का मौका नहीं मिली, लेकिन वह कुछ नेशनल इवेंट्स का हिस्सा रहीं।
पुष्पा श्रीवास्तव
साल 2015-16 में रानी लक्ष्मी बाई अवॉर्ड के लिए वेटरन कैटेगरी में सेलेक्ट हुईं पुष्पा श्रीवास्तव भी गोरखपुर की पैदाइश हैं। प्रेजेंट में इलाहाबाद हॉकी की सेक्रेट्री, मंडल की सचिव, यूपी की वाइस प्रेसिडेंट और एनसीआर की हॉकी कोच की जिम्मेदारी निभा रही हैं। पुष्पा श्रीवास्तव की शादी 1991 में अलोपीबाग इलाहाबाद के रहने वाले अजीत श्रीवास्तव से हुई। वह इस समय सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। गोरखपुर से स्पोर्ट्स हॉस्टल में पुष्पा ने 1977 में एडमिशन लिया। वहां पर कोच बुला गांगुली के निर्देशन में हॉकी का हुनर सीखा। 17 साल की उम्र में उन्हें रेलवे में नौकरी भी मिल गई। टीम इंडिया की ओर से 1983, 85 और 87 के दौरान रूस में उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। वहीं 1985 में ऑर्गनाइज हुए इंदिरा गांधी गोल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। पुष्पा की मानें तो दोनों विनिंग गोल उन्हीं की हॉकी स्टिक से निकले थे। 1984 में चीन, 85 में अर्जेटीना और जापान में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने शानदार परफॉर्मेस दी। जर्मनी में ऑर्गनाइज 10वें एशियन गेम्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और टीम इंडिया के खाते में ब्रांज मेडल आया था। 1988 और 89 में जर्मनी के साथ दिल्ली में इंदिरा गोल्ड कप खेला था, जिसमें टीम इंडिया को सिल्वर मेडल मिला था।
हॉकी के प्रति शुरू से ही लगाव था। 2011-12 में टीम बनाने का मौका मिला, जिसे मैंने नहीं छोड़ा। कड़ी मेहनत से टीम बनाई। इसमें काफी मुश्किलों के बाद गुरजीत और निशा का सेलेक्शन किया। इन दोनों ने ही ओलंपिक टीम में जगह बनाकर मेरा मान बढ़ाया है। गुरजीत की परफॉर्मेस को तो अब सारा देश हमेशा याद रखेगा।
- पुष्पा श्रीवास्तव, लक्ष्मी बाई अवॉर्डी, हॉकी कोच एनसीआर