- थोक मंडी से निकलते ही फुटकरिए तीगुने दाम में बेच रहे दाल
थोक मंडी से निकलते ही फुटकर विक्रेता दाल को डेढ़ गुने भाव में बचे रहे
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:
एक माह के अंदर दाल के भाव में आए उतार-चढ़ाव ने पब्लिक की कमर तोड़ कर रख दी है। इधर कुछ दिनों से थोक भाव थम गया है लेकिन थोक मंडी से निकलते ही फुटकर विक्रेता दाल को डेढ़ गुने भाव में बचे रहे हैं। सरकार का दाल के मूल्य पर कोई लगाम नहीं है। गोरखपुर सिटी में दाल का कारोबार तीस प्रतिशत मुनाफे से किया जा रहा है। दो माह पहले दाल के भाव में तेजी आने की वजह से अचानक अरहर की दाल सौ के पार पहुंच गई। हालांकि यही हालत अन्य दालों की भी है। दालों के भाव में इजाफा होने की वजह से पब्लिक के जेब ढिली हो रही है। पेश है इन दिनों सिटी में दालों के भाव की पड़ताल करती आई नेक्स्ट की विशेष रिपोर्ट।
पैदावार कम होने से बढ़ी महंगाई
व्यापारियों का मामना है कि बेमौसम बारिश और ओले पड़ने से दाल की पैदावार कम हुई है। गोरखपुर दाल व्यवसायी एसोसिएशन के अध्यक्ष भाष्करन नंद ने बताया कि आवक कम होने की वजह से दाल के भाव में बढ़ोत्तरी हुई है। इसका सीधा असर बड़े कारोबारियों पर पड़ रहा है। थोक कारोबारी घाटे में सौदा कर रहे हैं। दालों के दाम में कोई बदलाव नहीं आया है। डिमांड कम होने की वजह यह स्थिति पैदा हुई है। अचानक दाल के भाव बढ़ने की वजह से कारोबारी के साथ पब्लिक भी परेशान हो रही हैं।
सिटी में दाल के रेट
दाम फुटकर भाव प्रति किलो थोक भाव प्रति किलो
अरहर स्टैडर्स 120- 135 99 - 102
चना 52- 55 48-50
मटर 34- 38 29-30
उर्द दाल हरी 120 - 125 100-105
उर्द दाल काली 120-125 100-104
मसूर 95-98 85- 90
मूंग 125-130 100- 115
काबली चना 80-85 70-75
बेसन 74-75 72-73
राजमा 102-105 95-100
ये रेट थोक और फुटकर तीन-तीन व्यापारियों से लेकर कम्पाइल किए गए हैं।
गोरखपुराइट्स यहां की खाते है दाल
डिमांड अधिक और पैदावार कम होने की वजह से दूसरे देशों से भी दाल का निर्यात किया जाता है। इस समय अरहर की दाल वर्मा से मंगाई जा रही है। जबकि मटर का निर्यात कनाडा और चना ऑस्ट्रेलिया से आता है। मूंग की दाल और राजमा चाइना से खरीदा जाता है। जबकि उड़द की दाल की सप्लाई रंगून और थाईलैड से होती है।
चार से पांच हजार कुंतल रोजाना है दाल की खपत
पूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी महेवा के दाल कारोबारी शैलेंद्र कुमार बतातें हैं कि गोरखपुर में दाल की अनुमानित खपत चार से पांच हजार कुंतल है। इसमें गोरखपुर के अलावा आस-पास के जिले भी शामिल है। नेपाल, नौतनवा, बिहार, मऊ, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती आदि शामिल है। यहां सबसे अधिक मांग अरहर की दाल की होती है। दूसरे नंबर पर मटर की दाल का नंबर आता है।
रसोई तक पहुंचते-पहुंचते डेढ़ गुना हुआ मूल्य
गोरखपुराइट्स दलहन की अचानक कीमत बढ़ने से परेशान है। उनका कहना है कि मार्केट में दाल का भाव आसमान छू रहा है। फुटकर में डेढ़ गुने भाव में दाल बिक रही है। रसोई तक जाते-जाते यह दाल थाली में पूरी तरह से पतली हो गई है।
फुटकर कारोबारियों की मनमानी, नहीं है कंट्रोल
थोक व्यापारी अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि थोक में दलहन के रेट तय हैं लेकिन फुटकर में प्राइज तय नहीं है। इसका फायदा फुटकर कारोबारी उठाते हैं। दुकानदार प्रतिकिलो पर 25 से 30 रुपये अधिक लेते हैं। वहीं थोक मंडी में एक से दो रुपये के मुनाफे पर बेच दिया जाता है।
अरहर की दाल महंगी
थोक कारोबारी पवन कुमार का कहना है कि पिछले तीन महीनों में अरहर की दाल में तेजी आई है। पूर्व में अरहर की दाल का भाव 65 से 75 रुपये के बीच था, वहीं दाल का भाव अब 125 से 130 रुपये के बीच आ चुका है। हालांकि थोक में अच्छी अरहर के दाल की कीमत 99 से 100 रुपये तक है।
दाल पर बारिश का असर
जिस समय दलहन की फसल तैयार होने को थी उसी समय बारिश और ओलाबृष्टि हो गई थी। जिसकी वजह से दलहन की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। दलहन की सबसे अधिक पैदावार महराष्ट्र, मध्य प्रदेश में होती है। बारिश की वजह से 50 से 55 प्रतिशत तक दलहन की फसल बर्बाद हुई थी।
महंगाई का सबसे बड़ा कारण जमाखोरी
दाल के कारोबारियों का कहना है कि महंगाई का सबसे बड़ा कारण जमाखोरी है। दाल कारोबारियों ने दाल में तेती को भांपते हुए स्टोरों में माल रखना शुरू कर दिया था। अचानक दाम में तेजी आने का फायदा जमाखोर उठा रहे हैं। सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। जिसका खामियाजा पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है।
वर्जन
दाम बढ़ने से हो रहा नुकसान
दहलन में अचानक तेजी आने की वजह से थोक कारोबारियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इधर कुछ दिनों से डिमांड में कमी आने की वजह से स्थिरता बनी हुई है। दाल की कीमत बढ़ने से सभी लोग परेशान है। पूर्वाचल में दाल की खपत सबसे अधिक है। मंडी में प्रतिदिन चार से पांच हजार कुंतल दाल बेची जाती है लेकिन दाल में उछाल आने की वजह से बिक्री पर भी असर पड़ा है।
भाष्करण नंद, अध्यक्ष गोरखपुर दाल व्यवसायी एसोसिएशन