- शहर के एक भी संस्थान में नहीं है वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
- पीने वाले पानी से ही हो रही गाडि़यों की हो रही धुलाई
GORAKHPUR: आज नहीं चेते तो कल रोओगे यह बातें लोग बच्चों को सुधारने के लिए भले ही कहते हों, लेकिन यह कहावत गोरखपुर की जनता द्वारा की जा रही पानी की बर्बादी पर अक्षरश: लागू हो रही है। गोरखपुर महानगर में पानी की बर्बादी भले ही अभी लोगों को समझ में कम रही है, लेकिन जलकल को इस बात का आभास हो गया है। पिछले 15 साल में में शुद्ध पानी का लेवल लगातार गिरता गया है, स्थिति यह है कि 15 साल पहले लगे ट्यूबवेल आज पानी देना बंद कर चुके हैं। वहीं इंडियामार्का हैंडपंप से आने वाला पानी पीने लायक नहीं रहा है।
300 फीट नीचे पहुंचा है पानी
जिले के ग्रामीण अंचल में अभी भी जल स्तर नीचे गिरने का बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ रहा है। लेकिन अर्बन एरिया में बहुत बड़ा असर पड़ा है। 2001 से लेकर 2015 के बीच में शहर में शुद्ध जल का स्तर औसतन 300 फीट नीचे चला गया है। जलकल जेई अष्टभुजा सिंह का कहना है सिंह का कहना है कि जल स्तर और क्वालिटी जल स्तर दोनों में अंतर है। शहर में तो कई एरिया में तो हैंडपंप 40 फीट पर भी पानी देने लगते हैं, लेकिन क्वॉलिटी वॉटर स्टेजा की बात करें तो शहर के पूरे हिस्से में 500 फीट पर मिल रहा है, जबकि 2001 में यह लेवल 250 फीट के लगभग था।
सेकेंड स्टेप पर पहुंचा इंडियामार्का
जल निगम के एक्सईएन डीपी मिश्रा का कहना है कि शहर में तो जलकल इंडियामार्का हैंडपंप लगाता है। इसलिए यहां की हकीकत नहीं बता सकते हैं। लेकिन ग्रामीण अंचल में जल निगम हैंडपंप लगाने का काम करता है। ग्रामीण अंचल में फर्स्ट स्टेजा (110 फीट, कहीं-कहीं यह स्टेजा 100 फीट तो कहीं-कहीं 120 फीट पर मिलता है) पर लगाने का काम करते हैं। इस स्टेजा पर यह हैंडपंप शुद्ध पानी देते थे, लेकिन यह यह स्टेजा अशुद्ध पानी के स्रोत में आ चुका है। अब हम लोग सेकेंड स्टेजा (190 फीट) के ऊपर जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि कैंपियरगंज, खोराबार और सरदानगर ब्लाक के कई ऐसे गांव हैं, जहां थर्ड स्टेजा पर भी शुद्ध पानी नहीं मिला है। ऐसे में इन एरिया में जल निगम पानी की टंकियां लगाकर सप्लाई की तैयारी में है।
यहां नहीं होता रख-रखाव
शहर में पानी के रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं है। शहर के सभी रास्ते पर गाडि़यों को धोने वाली दुकानें खुल गई हैं, यह पानी का जमकर दोहन कर रहे हैं। गाडि़यों को धोने में उपयोग हुआ पानी सीधे नालों में जाता है और वहां से यह सीधे नाले के रास्ते होते हुए राप्ती नदी और रामगढ़ताल में चला जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि पूरे शहर में एक भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। जीडीए के मुख्य अभियंता संजय कुमार सिंह तो वाटर हार्वेस्टिंग की बात को सीधे नकारते हुए कहते हैं कि गोरखपुर के पानी का लेवल बहुत अच्छा है, इसलिए यहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की कोई बात ही नहीं हैं। जीडीए नक्शा पास करने में इस शर्त को नहीं रखा है।
कुछ इस तरह से गिरा वॉटर लेवल
एरिया वाटर लेवल शुद्ध वाटर लेवल(2001) शुद्ध वाटर लेवल (2015)
रुस्तमपुर 40 180 400
रेती 30 260 460
सूरजकुंड 30 240 620
गोरखनाथ 35 200 600
राप्तीनगर 40 350 650
पादरी बाजार 45 380 500
बिछिया 25 250 550
मोहद्दीपुर 20 350 500
कूड़ाघाट 25 350 460
बक्शीपुर 30 250 600