- वापस ले सकते हैं अपना पैसा, क्षतिपूर्ति का भी कर सकते हैं दावा

- 45 दिनों के अंदर कंज्यूमर्स को मिल जाएगा पैसा

GORAKHPUR: जीडीए ने 2009-10 में राप्तीनगर विस्तार आवासीय योजना के तहत 892 प्लॉट्स बनाए। 261 लोगों ने जल्दी दिखाते हुए जीडीए की इस स्कीम में इनवेस्ट कर दिया। मगर इनवेस्टर्स के सपने उस वक्त चकनाचूर हो गए जब मामला कोर्ट पहुंच गया। पांच साल गुजर गए, लेकिन किसी को सिवाए कर्जदार होने के और कुछ भी नहीं मिला। अपना खेत बेचकर, मार्कशीट और डिग्री रखवाने के साथ ही लोन और कर्ज लेकर बुकिंग कराने वाले ब्याज अदा कर परेशान हैं। अगर भी इस लिस्ट में शामिल हैं या किसी बिल्डर को पैसा देकर चक्कर काट रहे हैं, तो कतई परेशान होने की जरूरत नहीं है। देश के कानून ने लोगों को यह अधिकार दिए हैं कि बिल्डर या जिम्मेदार उनके पैसे वापस करने के लिए मजबूर होगा।

मिले हैं यह अधिकार

-मकान के खरीदार अब अपने पैसे वापस मांग सकते हैं या क्षतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं।

-अगर ग्राहकों पर डेवलपर का कुछ बकाया है, तो वह भी उपरोक्त दर से ब्याज वसूल सकता है। जो विलंबित भुगतान के लिए बिल्डरों की ओर से वसूले जाने वाले 15.18 फीसदी की दर से काफी कम है।

- ग्राहक के दावा किए जाने के 45 दिनों में बिल्डर को पैसे वापस करने होंगे।

-बिल्डर विशेष अकाउंट से उसी अनुपात में पैसों की निकासी कर सकते हैं, जिस अनुपात में प्रोजेक्ट का निर्माण हो चुका है।

-किसी भी आधार पर प्रॉपर्टी की बिक्री में अब बिल्डर भेदभाव नहीं कर सकेंगे।

- ग्राहकों की शिकायतों का त्वरित निपटारा किया जाएगा।

-रियल एस्टेट अथॉरिटी और अपीलेट ट्रिब्यूनल 60 दिनों में ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा करेंगे।

-इस कानून से पारदर्शिता आएगी क्योंकि बिल्डरों को अपनी कंपनी और प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी सूचनाएं देनी होंगी।