- मधेशी आंदोलन का दिखने लगा असर
- इंडिया से नेपाल का आवागमन हुआ ठप
GORAKHPUR: नेपाल में मधेशी समुदाय के आंदोलन की आंच इंडिया में नजर आने लगी है। बार्डर पर सैकड़ों की तादाद में गाडि़यां फंस गई हैं। नेपाल में आवाजाही बंद होने से महंगाई भी परेशान करने लगी है। गोरखपुर के रास्ते आवागमन ठप होने से टूरिस्ट की प्रॉब्लम बढ़ गई है। हालांकि फ्राइडे को दोपहर बाद भैरहवा में जहां मार्केट खुले, वहीं बुटवल के स्कूलों में पढ़ाई भी शुरू हो गई। इसके साथ ही भैरहवा से बुटवल के लिए माइक्रो बस सेवा बहाल हो गई। अलबत्ता, कपिलवस्तु में सन्नाटा पसरा रहा। इस बीच आंदोलनकारियों ने जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
भूकंप के जख्म को बढ़ा रहा आंदोलन
नेपाल में आंदोलन के चलते बॉर्डर सील कर दिया गया है। पुलिस और एसएसबी इसको लेकर अलर्ट है। खुनुवा, ककरहवा, सोनौली, बढ़नी सहित कई जगहों पर आवागमन ठप है। महराजगंज और सिद्धार्थनगर में बॉर्डर पर सैकड़ों व्हीकल फंसे हुए हैं। लरामपुर, डुमरियागंज, कस्टम बैरियर से जाम लगा है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र की गाडि़यां कतारों में रास्ता साफ होने का इंतजार कर रही हैं।
बंद से मंडराने लगे महंगाई के बादल
नेपाल बंद का असर तराई इलाकों में नजर आ रहा है। भूकंप की त्रासदी झेल चुके नेपाल की हालत खस्ता हो चुकी है। ऐसे में मधेशी आंदोलन के बंद का व्यापक असर नजर आ रहा है। आंदोलन होने से इंडिया से नेपाल में होने वाली सप्लाई ठप हो गई है। डीजल, करोसिन, पेट्रोल, गैस की सप्लाई नहीं हो रही। राशन, फल और सब्जियां भी रास्ते में फंसी हुई हैं। नेपाल में रहने वाले पीपीगंज एरिया के डॉक्टर प्रदीप कुमार ने बताया कि तुलसीपुर, दांग, पोखरा, नारायणघाट, विराटनगर, रानी बाजार, धरान, इटहरी सहित कई जगहों पर आलू 90 रुपए किलो हो गया है। प्याज के दाम भी दो सौ रुपए के आसपास पहुंच गई है। मसाला और तेल भी दो से तीन गुने दामों पर बिकने लगा है।
सरकार से मधेशी मांग रहे अलग प्रांत
मधेशी जनाधिकार फोरम सहित कई संगठनों के लोग अलग प्रांत बनाने की मांग कर रहे हैं, इसलिए लगातार आंदोलन चल रहा है। मई 2008 में माओवादी व अन्य दवाब के कारण राजा ज्ञानेन्द्र का राजतंत्र समाप्त हुआ। इसके बाद तत्कालीन मधेशी आंदोलन को ब्रेक लग गया। लेकिन मधेशी समुदाय के लोगों की मंशा नेपाल संविधान में पूरी नहीं हुई। इसलिए अपने अधिकारों को लेकर मधेशी समुदाय दोबारा आंदोलन छेड़ दिया। आंदोलन में जुटी नेपाल की 23 पार्टियां अलग प्रांत बनाने को कह रही हैं। लेकिन नेपाल सरकार उनकी बात नहीं मान रही है। माओवादी सहित अन्य पार्टियां नेपाल को बांटने के विरोध खड़ी हैं।
22 जिलों में निवास करते हैं मधेशी
आंदोलनकारियों की मांग है कि पूरी तरह से स्वायत्त मधेश प्रदेश की स्थापना की जाए। नेपाल के तराई इलाके में जहां मधेशी निवास करते हैं। वहां मधेशी राज्य बनाया जाए। नेपाल के कुल 75 जिलों में 22 जिले पूरी तरह से मधेशी प्रांत में शामिल हो जाएंगे। इन 22 जिलों में मोरंग से सुनसरी, झापा, कंचनपुर, सप्तरी, सिरहा, धनुषा, मोहतरी, सरलाही, रोतहठ, गौड़, परसा, चितवन, कैलाली, कपिलवस्तु, नेपालगंज, नवन परासी, दांग व जुमला इत्यादि शामिल हैं।
नेपाल सरकार से सात मांगों पर सहमति पर बनाने की मांग की गई थी। तीन पीढि़यों से मधेशी के परिवार के लोगों को चुनाव लड़ने के लिए मान्यता दे दी जाए। आज ही बेलहिया शाखा पर मौजूद संघ के लोगों से बातचीत हुई है। नेपाल बंद होने से पब्लिक की परेशान बढ़ गई है। गोरखपुर में रहने वाले नेपाली अपने लोगों के कुशलक्षेम को लेकर फ्रिकमंद हैं।
मोहन लाल गुप्ता, अध्यक्ष, भारत नेपाल मैत्री संघ, गोरखपुर