- सिटी की आधा दर्जन योजनाएं हैंडओवर होने की आस में बनी खंडहर
- नगर निगम को हैंडओवर नहीं हुई योजनाएं, पब्लिक है परेशान
GORAKHPUR : डेवलपमेंट के नए प्लान बनते हैं तो पब्लिक बड़ी खुश होती है। योजना को परवान चढ़ते देख भी हिलारें मारता है, लेकिन जब हैंडओवर का पेंच फंसता है तो सब खंडहर बन जाता है। पब्लिक को लगता है कि जल्द सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं। सिटी में कई योजनाएं ऐसी हैं जो बन तो गई, लेकिन नगर निगम को हैंडओवर नहीं हुई। हैंडओवर ने होने से नगर निगम ने उनका ख्याल नहीं रखा और आज वे खंडहर बन चुकी हैं।
देख रहे हैंडओवर होने की राह
संत हुसैन नगर में पांच साल पहले और दिव्य नगर में 8 साल पहले कालोनाइजर्स ने पानी की टंकी बनाई। ये दोनों टंकियां खाली खड़ी मुंह चिढ़ा रही हैं। इनका यूज नहीं किया जा रहा। क्योंकि ये टंकियां नगर निगम को हैंडओवर नहीं हुई हैं। अगर ये दोनों टैंक चालू हो जाते तो कम से कम क् लाख निवासियों की पानी की समस्या हल हो जाती। दिव्य नगर एरिया की पार्षद केशवा देवी का कहना है कि कालोनाइजर्स ने जब पानी की टंकी बनाया तो हम लोगों ने विरोध किया था। आज पानी की टंकी में अगर पानी भर दिया जाए तो टपकने लगती है।
दो ओवरब्रिज सेतु निगम के पास
सिटी में दो साल पहले सेतु निगम ने चारफाटक और तरंग ओवरब्रिज बनाए थे। यह दोनों ओवरब्रिज अभी तक नगर निगम को हैंडओवर नहीं हो पाए हैं। दोनों ओवरब्रिज हैंडओवर न होने के कारण ओवरब्रिज की स्ट्रीट लाइट्स बंद पड़ी है। वहीं दोनों ओवरब्रिज पर गंदगी का अंबार है। तरंग ओवरब्रिज पर तो गड्ढे हो गए हैं जिससे अक्सर हादसे होते हैं।
जीडीए-जीएमसी में फंसी पब्लिक
क्99फ् के आस-पास जीडीए ने सिटी का विस्तार किया और क्क् कॉलोनियां बनाई। करीब ख्क् साल बाद भी इन कॉलोनियों में विकास की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। वो भी सिर्फ एक वजह से, इन कॉलोनियों का नगर निगम को हस्तांतरण नहीं हुआ है। दर्जनों बार तत्कालीन डीएम और कमिश्नर इन कॉलोनियों को स्थानांतरित करने के मुद्दे पर मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन नगर निगम को इन कॉलोनियों में सैकड़ों खामियां नजर आती हैं। उसका कहना है कि पहले जीडीए इन कॉलोनियों को दुरुस्त करके दे, फिर हम हैंडओवर के लिए तैयार होंगे।
जिम्मेदारी है नगर निगम की
ये सभी योजनाएं नगर निगम को हैंडओवर होने की राह देख रही हैं। कार्यदायी संस्था भले ही योजना बनाकर उसे क्रियान्वित करे, लेकिन उनके रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम की ही होनी चाहिए। इन योजनाओं के हैंडओवर न होने के चलते वे खंडहर हो गई हैं।
जिस मानक पर कॉलोनियां या प्रोजेक्ट्स बने थे, उसी हालात में अगर हमें हैंडओवर किया जाता है तो हम उन्हें अपने अधीन कर लेंगे।
राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त