- प्रदेश सरकार ने दिया रिहाई का आदेश

- गोरखपुर में 40 बंदियों को मिलेगा फायदा

GORAKHPUR: जेल की दीवारों के भीतर बुढ़ापा नहीं गुजरेगा। बुजुर्ग हो चले सिद्धदोष बंदी अपने परिवारीजनों के साथ समय गुजार सकेंगे। प्रदेश सरकार ने बुजुर्ग बंदियों पर दरियादिली दिखाई है। 60 साल पार कर चुके बंदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया है। गवर्नमेंट के ऑर्डर पर प्रदेश भर की जेलों में कार्रवाई शुरू हो गई है। गोरखपुर में तकरीबन 40 बुजुर्ग बंदियों को इसका फायदा मिल सकेगा।

उम्र के आखिरी पड़ाव में परेशानी

प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदी है। इन बंदियों की भीड़ में तमाम ऐसे सिद्धदोष बंदी हैं जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा हो चुकी है। सालों से सजा भुगत रहे ऐसे बंदियों की स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर जेल प्रशासन को हलकान होता पड़ता है। उम्र के आखिरी पड़ाव की ओर जा रहे बंदी अकेलेपन की वजह से डिप्रेशन में चले जाते हैं। ऐसे में जेल के भीतर बुजुर्ग बंदियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बुजुर्ग बंदियों की समस्याओं को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया। ऐसे बंदियों को शर्तो के साथ रिहा करने का आदेश दिया।

इन शर्तो पर मिलेगी रिहाई

- क्या बंदी द्वारा भविष्य में कोई अपराध करने का अवसर है।

- क्या सिद्धदोष बंदी पुन: अपराध करने में अशक्त हो गया है।

- क्या बंदी को जेल में आगे निरुद्ध करने का कोई सार्थक उद्देश्य है।

- बंदी के परिवार की सामाजिक, आर्थिक दशा, उसके समय पूर्व रिहाई के उपयुक्त है।

- क्या उसका अपराध समाज को प्रभावित किए बिना व्यक्ति विशेष तक सीमित है।

अनुमोदन से पहले वेरीफिकेशन

साठ साल पार कर चुके सिद्धदोष बंदियों को रिहाई पूर्व अनुरोध करना होगा। उनके अनुरोध के 20 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अपनी ओर से जेल प्रशासन रिपोर्ट बनाकर जिला प्रोबेशन अधिकारी और एसपी को भेजेगा। बंदी के बारे में उसके थाना क्षेत्र के थानेदार वेरीफिकेशन करेंगे। बंदी के संबंध में पूरी डीएम की ओर से महानिरीक्षक कारागार प्रशासन और सुधार सेवाएं को भेजी जाएगी। इसके बाद बंदी को छोड़ने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

60 साल पूरी कर चुके बंदियों के संबंध में रिपोर्ट भेज दी गई है। मंडलीय कारागार में 40 बंदी हैं जिनकी रिहाई पर विचार किया जा रहा है।

एसके शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक