- एक माह में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए दो बार निकाल चुका टेंडर
- 131 करोड़ रुपए के टेंडर को नहीं मिल रहे खरीदार
- ठेकेदारों ने भी बिजली विभाग के कार्यो से मोड़ा मुंह
GORAKHPUR: थोड़े-थोड़े की बजाए बड़े काम को एक साथ पूरा कराने की चाह बिजली विभाग को भारी पड़ रही है। महानगर में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए आईडीपीएस योजना के तहत किए जाने वाले वर्क वेंडिंग पार्टी न मिलने की वजह से पेंडिंग पड़ गए हैं। हालत यह है कि बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए 131 करोड़ रुपए की योजना लटक गई है। दो बार टेंडर निकाले जाने के बाद भी अब तक किसी कंपनी ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया है। यहां तक कि टेंडर खरीदने के लिए भी किसी फर्म ने पहल नहीं की है, जिसके कारण योजना कागजों तक सीमित रह गई है।
मिल जाते तीन नए उपकेंद्र
महानगर विद्युत वितरण निगम के एसई आरआर सिंह का कहना है कि आईडीपीएस योजना के तहत शहर में 131 करोड़ रुपए मिला था। इसके तहत शहर की बिजली व्यवस्था में पूरी तरह से सुधार हो जाता। सबसे ज्यादा फायदा शहर के लोगों को होता। वह इसलिए कि इसके थ्रू जर्जर और खराब हो चुके पुराने तार बदल दिए जाते, साथ ही पुराने सामन को भी चेंज कर दिया जाता। इससे लो वोल्टेज और लोकल फॉल्ट की प्रॉब्लम से पब्लिक को निजात मिल जाती। वहीं सबसे अधिक अच्छी बात यह होती कि इस योजना में शहर को तीन नए सब स्टेशनों की भी सौगात मिलती, जिससे कुछ ओवरलोडेड सब स्टेशंस का बोझ कम हो जाता।
बिजली चोरी पर भी लगाम
इस योजना में पूरे शहर में होने वाली बिजली चोरी पर भी लगाम लगाने की तैयारी है। अगर इस स्कीम के तहत काम शुरू हो गया होता, तो शहर को एबीसी (एरियर बंच कंडक्टर) से लैस कर दिया जाता, जिससे बिजली चोरी काफी हद तक रुक जाती है। आरआर सिंह ने बताया कि अगर पूरे शहर में अगर एबीसी का केबल बिछा दिया गया, तो शहर में लगभग 19 प्रतिशत लाइन लास रुक जाता। बिजली विभाग के आंकड़ों में महानगर में कुल 29 प्रतिशत लाइनलॉस है, जिसमें 19 प्रतिशत बिजली चोरी के रूप में होता है। अगर ऐसा होता, तो शहरवासियों को डेली एक घंटे एक्स्ट्रा बिजली मिलती।
होने हैं यह काम
- 1500 किमी 33 हजार वोल्ट की लाइन
- शहर में 245 नए ट्रांसफॉर्मर लगाना
- एलटी लाइन को एबीसी लाइन में परिवर्तन कराना
- शहर में 2500 नए पोल बदलना
- 2000 से अधिक नए पोल लगाना
- 11 हजार वोल्ट की 500 किमी लाइन
- शहर के व्यस्त एरिया में अंडरग्राउंड केबल
- ट्रांसफॉर्मर को मीटरिंग प्रणाली से लागू करना
- फाल्ट को कंट्रोल करने वाला सिस्टम लागू करना
- 50 मोबाइल ट्रांसफॉर्मर
बड़ा काम होने के कारण इस कार्य के लिए टेंडर तो निकला, लेकिन शहर में इतना बड़ा फर्म न होने के कारण टेंडर नहीं बिक पाया है। इसकी जानकारी हम लोग एमडी ऑफिस दे दिए हैं। वहां से जो निर्देश प्राप्त होगा, उसी हिसाब से काम किया जाएगा।
आरआर सिंह, एसई, महानगर विद्युत वितरण निगम