- पूर्वाचल के लिए कोई बड़ी योजना की सरकार ने नहीं की घोषणा
- गरीबों और किसानों के भरोसे यूपी में वापसी की तैयारी
GORAKHPUR: गोरखपुर को केंद्रीय यूनिवर्सिटी, गीडा में टेक्सटाइल पार्क, एम्स की रुकावट, नमामि गंगे से गोरखपुर की नदियां का भी नाम जुड़ेगा, पूर्वाचल को कोई बड़ी इंडस्ट्री मिलेगी। ऐसी तमाम उम्मीदें लगाए पूर्वांचलवासियों को आम बजट से निराशा हाथ लगी। अरुण जेटली के बजट में पूर्वाचल को बिल्कुल नजर अंदाज कर देने से यहां के विकास का सपना एक बार फिर अधूरा रह गया। जब केंद्र सरकार का आम बजट पास हुआ तो इसमें पूर्वाचल के विकास से जुड़ी योजनाएं के नामों-निशान गायब होने से लोगों के चेहरे पर उदासी छा गई।
कई सपने टूटे
गोरखपुर को उम्मीद थी कि बजट लघु उद्योगों के लिए कुछ नया होगा। लेकिन बजट को देखकर गोरखपुर के कई लघु उद्योग के सपने टूटते नजर आए। बजट पेश करने के दौरान जब वित्त मंत्री ने बुनकरों को बिल्कुल अंदाज कर दिया। पूर्वाचल की नदियां लगातार प्रदूषित होती जा रही हैं, लेकिन बजट में इनकी दशा सुधारने के लिए भी कोई जगह नहीं मिली। पूर्वाचल से प्रधानमंत्री होने के बावजूद भी इसे पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया। पूर्वाचल किसी भी तरह का कोई न तो विशेष पैकेज दिया गया और न ही इसके लिए कोई विशेष योजनाएं लांच की गई है। जिससे पिछड़ेपन की मार झेल रहे पूर्वाचल के विकास पर फिर से ब्रेक लग गया। गोरखपुर के लोगों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को सेंट्रल युनिवर्सिटी बनाए जाने की आस भी टूट गई। एम्स के लिए पिछले बजट में प्रस्ताव पास हो जाने के बाद भी इसके सामने आने वाली रूकावटों को भी दूर करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई।
लाभ कम, नुकसान अधिक
बीजेपी इस बजट को भले ही किसान का बजट बता रही हो, लेकिन किसी भी नजर से यह पूर्वाचल में भाजपा को लाभ देने वाला बजट नहीं है। क्योंकि किसानों और गरीबों के हित की बात करने वाले इस बजट में पूर्वाचल के लिए कोई योजना नहीं मिली है। इस पूर्वाचल का 60 प्रतिशत युवा रोजगार की तलाश में दिल्ली, पंजाब और मुंबई में पलायन कर रहा है। ऐसे में इस पूर्वाचल में एक भी इंडस्ट्री न मिलने से युवाओं के चेहरे पर उदासी है।
यह बजट कहीं से भी पूर्वाचल के लिए लाभदायक नहीं है, 2017 के चुनाव को इस बजट के भरोसे भाजपा अपनी नैया नहीं पार कर पाएगी। क्योंकि इस बजट में यूपी के लिए कुछ नहीं है। यहां कोई भी इंडस्ट्री खोलने की घोषणा नहीं की गई है।
प्रो। अजेय गुप्ता, कामर्स डिपार्टमेंट, गोरखपुर यूनिवर्सिटी