-आरटीओ की नाक के नीचे चल रहा है खेल, सो रहे हैं जिम्मेदार

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में हुआ खुलासा

sunil.trigunayat@inext.co.in

GORAKHPUR: पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को लेकर पिछले कुछ अरसे से कड़ाई हो रही है। यह सर्टिफिकेट न होने पर चालान की अच्छी खासी रकम भी चुकानी पड़ती है। ऐसे में लोग पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर अवेयर हुए हैं। वहीं पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को लेकर बड़ा खेल चल रहा है। आलम यह है कि बिना वाहन लाए ही पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बना दिया जा रहा है। सोमवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में इस खेल का खुलासा हुआ।

सेटिंग का गेम

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम सोमवार को सिविल लाइंस स्थित आरटीओ के बाहर पहुंची। यहां पर कतार से पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाने की दुकानें खुली हुई हैं। इन्हीं में से एक दुकान पर रिपोर्टर ने बात शुरू की। पढि़ए क्या एजेंसी संचालक और रिपोर्टर के बीच क्या बात हुई।

रिपोर्टर: एक वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाना है।

संचालक: कौन सा वाहन है, टू-व्हीलर या फोर व्हीलर?

रिपोर्टर: फोर व्हीलर है, स्विफ्ट डिजायर डीजल मॉडल।

संचालक: कहां है आपका वाहन?

रिपोर्टर: अरे यार, यही तो प्रॉब्लम है। असल में कार महाराजगंज में है।

संचालक: जब कार वहां है तो फिर सर्टिफिकेट कैसे बनेगा?

रिपोर्टर: अरे भाई कुछ जुगाड़ बैठाइए।

संचालक: ऐसा कुछ नहीं हो पाएगा। आपको वाहन लेकर आना होगा।

रिपोर्टर: देख लीजिए। वहां से यहां तक वाहन लाने में बड़ा खर्च हो जाएगा।

संचालक: (कुछ देर सोचने के बाद) चलिए ठीक है। लेकिन डेढ़ सौ लगेंगे।

रिपोर्टर: अरे ठीक है। आप दो सौ ले लीजिएगा। मिलेगा कब?

संचालक: एक-दो घंटे बाद आकर ले लीजिएगा?

यह कहता है रूल

-किसी भी वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने के लिए नजदीकी प्रदूषण जांच सेंटर में जाना होगा1

-वहां आपके वाहन के प्रदूषण की जांच करने के लिए एक गैस एनालाइजर को ऐसे कंप्यूटर के द्वारा जोड़ा जाता है जिसमें कैमरा और प्रिंटर होते हैं।

-यह गैस एनालाइजर आपकी गाड़ी से निकलने वाले प्रदूषण के आंकड़ों की जांच करता है।

-जांच के बाद आंकड़ों और कैमरा आपकी गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की फोटो लेकर कंप्यूटर को भेजता है।

-अगर आपके वाहन से सामान्य मात्रा में प्रदूषण निकल रहा है तो आपके वाहन का प्रदूषण सर्टिफिकेट बनता है।

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रेट में भी चल रही मनमानी

गवर्नमेंट पब्लिक को सहूलियत देने की कोशिश करती है। लेकिन बीच में एजेंट मनमाना खेल शुरू कर देते हैं। कुछ ऐसा ही देखने में आ रहा है प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र बनाने के मामले में। रेट फिक्स करके गवर्नमेंट ने इसका टेंडर प्राइवेट एजेंसीज को दिया है। इसके पीछे मकसद यह है कि पब्लिक को लाइनों में लगकर परेशान न होना पड़े। लेकिन प्राइवेट एजेंसीज वाले इसका बेजा फायदा उठाते हुए पब्लिक से वसूली में लग गए हैं।

रिपोर्टर: भइया, एक पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाना है।

संचालक: बन जाएगा। टू-व्हीलर का चाहिए या फोर व्हीलर का?

रिपोर्टर: टू व्हीलर का।

संचालक: बाइक कहां है आपकी ले आइए?

रिपोर्टर: बाइक तो रोड पर खड़ी है। लेकिन पहले पैसा कितना लगेगा यह तो बताइए?

संचालक: 80 रुपए लगेंगे।

रिपोर्टर: लेकिन रेट तो कम है?

संचालक: वो पुराना रेट था। अब बढ़ गया है।

रिपोर्टर: अरे बढ़कर भी तो 50 ही हुआ है?

संचालक: यहां से बनवाएंगे तो इतना ही लगेगा। बनवाना हो तो बताइए। वरना जाइए।

वाहन पुराना रेट नया रेट वसूली

पेट्रोल टू व्हीलर 30 50 80

थ्री व्हीकल पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी 30 70 100

कार पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी 40 70 110

डीजल कोई भी 50 100 130

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नया रेट अभी बढ़ा है। यदि जांच केंद्र इससे ज्यादा चार्ज कर रहे हैं तो गलत है। शिकायत के आधार पर उनकी जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

-श्याम लाल, एआरटीओ प्रशासन