- गोरखपुर पहुंच रहे सभी पार्टियों के नेता
GORAKHPUR : गोरखपुर के सीहापार हाल्ट में हुए निषाद आरक्षण आंदोलन ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। बड़ी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की गाडि़यों का रूख गोरखपुर की ओर हो गया है। हर दिन कोई न कोई नेता आंदोलनकारियों से मिलता है और उनके साथ होने की हुंकार भरता है। हालांकि फिर भी कोई खुलकर ये नहीं बता रहा कि वे कब निषादों को आरक्षण दिलाने के लिए प्रयास करेंगे। आइए आपको बताते हैं घटना के बाद कब-कब कौन नेता गोरखपुर आया और निषाद आंदोलन के विषय में क्या कहा।
भारतीय जनता पार्टी
- घटना के अगले दिन 8 जून को सदर सांसद योगी आदित्यनाथ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की। उन्होंने कहा कि निषाद बिरादरी को अनुसूचित जाति में शामिल करके आरक्षण की विशेष सुविधा की मांग लम्बे अर्से से की जा रही है। इस विफलता के लिए दोषी अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
- 8 जून को ही भाजपा के कई अन्य कार्यकर्ताओं ने मीटिंग की और कई नेताओं ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके निषाद बिरादरी के साथ प्रशासन द्वारा की गई कारवाई की निंदा की गई है। सभी भाजपाइयो ने एक स्वर से कहा कि निषादों को आरक्षण मिलना चाहिए।
- 10 जून को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। लक्ष्मीकांत बाजपेयी गोरखपुर आए और जेल में आंदोलनकारी बंदियों से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने आंदोलकारियों को आश्वासन दिया कि राज्यपाल से मिलकर पूरे प्रकरण की जांच की मांग की जाएगी।
- 10 जून को भाजपा के मछलीशहर सांसद रामचरित निषाद कसरवल गए और गांव के लोगों से मुलाकात की। वहां से गोरखपुर मंडलीय जेल पहुंचकर आंदोलनकारियों से मुलाकात की और कहा कि राज्यपाल से मुलाकात करके पूरे प्रकरण की जांच की मांग की जाएगी। उन्होंने प्रदेश सरकार से प्रत्येक परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग की जाएगी।
समाजवादी पार्टी
- 9 जून को हाटा के सपा विधायक राधेश्याम सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा कि इस आंदोलन के पीछे भाजपा और कांग्रेस जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि 2013 में सपा सरकार ने निषाद बिरादरी को आरक्षण देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया था, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने हरी झंडी नहीं दी है।
- 9 जून को सपा एससी-एसटी आयोग के सदस्य संजय पहलवान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा की केंद्र सरकार पर निषादों को आरक्षण न देने का आरोप लगाया।
- 10 जून को पिपराइच विधायक राजमती देवी व उनके पुत्र अमरेंद्र निषाद ने सीएम से मुलाकात करके निषाद आंदोलन के बाद हो रही पुलिसिया कार्रवाई को रोकने व मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग की।
- 10 जून को सपा के एमएलसी रामसुंदर दास निषाद भी गोरखपुर जेल पहुंचे और आंदोलनकारियों से मुलाकात किए तथा भाजपा पर निषाद को आरक्षण न देने का आरोप लगाया।
- इस दौरान कई अन्य कार्यकताओं ने मीटिंग की व प्रेस विज्ञप्ति जारी करके इस घटना की निंदा की।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 8 जून को प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति के चेयरमैन पं। रामकृष्ण द्विवेदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मगहर के कसरवल का दौरा किया। घटनास्थल का दौरा करने के बाद पूरी घटना की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच करने की मांग की।
- कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के देवेंद्र कुमार निषाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की जानकारी दी।
बहुजन समाज पार्टी
- 8 जून को बसपा के चौरीचौरा विधायक जयप्रकाश निषाद ने मंडलायुक्त से मुलाकात की और पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। इस दौरान उन्होंने सपा सरकार पर निषादों के साथ धोखा करने का भी आरोप लगाया।
- 9 जून को सहजनवां विधायक राजेंद्र सिंह उर्फ बृजेश सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके घटना की निंदा की और कहा कि सपा सरकार में पब्लिक के साथ प्रशासन इसी तरह का व्यवहार कर रहा है।
छोटे-छोटे संगठन
- निषादों के साथ हुए पुलिसिया उत्पीड़न की सभी ने एक स्वर से निंदा की। आमी बचाओ मंच के संयोजक विश्वविजय सिंह, लोकदल, राष्ट्रीय निषाद युवा वाहिनी, निषाद विकास महासभा ने निषाद बिरादरी को आरक्षण की मांग की व इस घटना की निंदा की।
निषाद समुदाय के साथ धोखा कर रही सपा
सपा सरकार में जब पब्लिक अपनी मांग को लेकर आंदोलन करती है तो प्रशासन उन पर लाठियां बरसाता है। सपा के लोग पूरी तरह से झूठ बोल रहे हैं। सपा एमएलसी यह बताएं कि 2004 में उन्होंने निषाद समुदाय के लोगों को एससी कोटे में आरक्षण दिए जाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था और 2009 से लेकर 2014 तक सपा और बसपा ही केंद्र की यूपीए सरकार का समर्थन कर रही थी, फिर उन्हें आरक्षण क्यों नहीं दिला सके? सपा और बसपा का यूपीए सरकार को समर्थन प्रदेश की जनता के हित के लिए नहीं, बल्कि इन दोनों के नेताओं की सीबीआई के पास पड़ी फाइल से बचने के लिए थी। उत्तर प्रदेश में निषादों की उपजाति पर भी आरक्षण मिलता था, लेकिन सपा सरकार ने उसे वापस क्यों ले लिया और जब निषाद समुदाय के लोग अपने हक की मांग कर रहे थे तो उन पर लाठियां और गोलियां बरसाई गई। इससे तो यही साबित होता है कि सूबे की सरकार उनके आन्दोलन को कुचलना चाहती थी। मैं राज्यपाल से मिलकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराये जाने की मांग करूंगा।
डॉ। लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
सरकार के इशारे पर प्रशासन कर रहा कार्रवाई
यूपी की सरकार और उसके पुलिस-प्रशासन पर भरोसा नहीं है। मैं राज्यपाल से मिलकर पूरे मामले की उच्च एजेंसी से जांच कराये जाने की मांग करूंगा।
रामचरित निषाद, बीजेपी सांसद, मछली शहर जौनपुर
केंद्र सरकार ही नहीं चाहती मिले आरक्षण
निषादों को आरक्षण के संबध में हमारी सरकार ने फरवरी 2013 में प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से स्वीकृति न मिलने के कारण राज्य सरकार अभी तक आरक्षण नहीं दे पा रही है।
राम सुन्दर निषाद, सपा एमएलसी